नगर निगम के 100 वार्ड हैं। इनमें जलकल के 1.80 लाख कनेक्शन हैं। साथ ही शहर में 1100 किमी से अधिक विभाग की ओर से पानी की लाइन बिछाई गई है। मौजूदा समय में बुलंदशहर के पालड़ा से 350 एमएलडी गंगाजल की शहर को सप्लाई होती है। सिकंदरा और जीवनी मंडी वाटरवक्र्स से इसे शहर में डिस्ट्रीब्यूट किया जाता है। लाइन काफी पुराने होने के चलते लीकेज की समस्या रहती है। इससे शहर के एरियाज में दूषित पानी सप्लाई होने की समस्या रहती है। जलकल की ओर से शहर को चार जोन में बांटा गया है। इसमें छत्ता, हरीपर्वत, लोहामंडी और ताजगंज शामिल हैं। हर जोन में रोज एक से दो शिकायतें लीकेज की पहुंचती है।

शहर के कई वार्ड में अब भी वाटर सप्लाई नहीं
शहर में गंगाजल को आए पांच वर्ष से ज्यादा समय गुजर चुका है। लेकिन शहर के 45 प्रतिशत एरिया में पाइपलाइन और कोई इंफ्र ास्ट्राक्चर न होने से गंगाजल नहीं पहुंच पा रहा है। शहर में 55 प्रतिशत एरिया में ही पाइपलाइन है। शहर के 100 वार्डों की बात करें तो इनमें से 27 वार्डों में जलापूर्ति के लिए कोई इंफ्र ास्ट्रक्चर नहीं है। 55 वार्ड ऐसे हैं जिनमें आंशिक रूप से पाइपलाइन है। 18 वार्ड ऐसे हैं, जिनमें पाइपलाइन है। ऐसे में लोगों को गंगाजल उपलब्ध होने के बाद भी गंगाजल नसीब नहीं हो रहा है।

'अमृतÓ ने दी राहत
अमृत प्रोजेक्ट के थर्ड और फोर्थ फेज में आजम पाड़ा बोदला सहित 25 कॉलोनियों को चिह्नित किया गया था। अब यहां गंगाजल प्रोजेक्ट योजना के तहत सप्लाई शुरू कर दी गई है। यहां करीब 194 करोड़ रुपए से 180 किमी पाइपलाइन बिछाई गई। 22 हजार से अधिक घरों में पानी के कनेक्शन भी किए गए। इससे राममोहन नगर, आवास विकास कॉलोनी सेक्टर एक व तीन के किनारे का हिस्सा, सुभाषपुरम फस्र्ट व सेकेंड, बोदला पुरानी बस्ती, मानस नगर, कलाकुंज, अवधपुरी, अलबतिया रोड, शाहगंज का छूटा हुआ हिस्सा, प्रेम नगर, ईंट की मंडी रोड, शास्त्रीपुरम रोड, गढ़ी भदौरिया, जवाहरपुरम, मारुति वाटिका आदि क्षेत्र में जलसंकट दूर हुआ।

इन एरिया में नहीं है कोई इंफ्र ास्ट्रक्चर
शहर की एक चौथाई आबादी 350 एमएलडी गंगाजल उपलब्ध होने के बाद भी पेयजल आपूर्ति से वंचित है। नरीपुरा, अजीत नगर, बारह खंबा, मुस्तफा क्वार्टर, सोहल्ला आदि क्षेत्र में पेयजल वितरण के लिए कोई इंफ्र ास्ट्रक्चर उपलब्ध नहीं है। लोहामंडी के राजनगर, अशोक नगर, कंस गेट, अहीर पाड़ा घास की मंडी में भी प्रॉपर सप्लाई नहीं हो पाती। उखर्रा, बड़ा उखर्रा, बीच का उखर्रा, हिमाचल कॉलोनी, तख्त पहलवान, सराय मलूक चंद समेत दर्जन भर क्षेत्रों में पाइप्ड पेयजल आपूर्ति हेतु कोई इंफ्र ास्ट्रक्चर उपलब्ध नहीं है।

शहर की स्थिति
100 वार्ड शहर में
24 लाख से अधिक पॉपुलेशन
1.80 लाख जलकल के कनेक्शन

गंदा पानी पीने के नुकसान
- यदि व्यक्ति गंदे पानी का सेवन करता है तो पेट से संबंधित समस्याएं हो सकती हैं। गंदा पानी ना केवल पाचन क्रिया को प्रभावित कर सकता है बल्कि इससे व्यक्ति को उल्टी, दस्त, पेट दर्द आदि समस्याओं का सामना भी करना पड़ सकता है।
- गंदे पानी के सेवन से व्यक्ति के दिमाग पर भी नकारात्मक असर पड़ता है। गंदे पानी के सेवन से व्यक्ति को मानसिक समस्याओं का सामना भी करना पड़ सकता है।
- यदि व्यक्ति गंदे पानी का सेवन करता है तो इसके कारण से किडनी से संबंधित समस्याओं का सामना भी करना पड़ सकता है। पानी में कैडमियम की मात्रा पाई जाती है। ऐसे में इसके सेवन से व्यक्ति को किडनी स्टोन आदि समस्याएं हो सकती हैं।
- डायरिया, टायफाइड, हैजा आदि की समस्या भी दूषित पानी के सेवन से होती है।



गंदे पानी के इस्तेमाल से शरीर को काफी नुकसान पहुंचता है। पेट रोग के साथ अन्य बीमारी के शिकार होने की भी आशंका रहती है। इसलिए हमेशा स्वच्छ का पानी उपयोग करना चाहिए।
डॉ। तरुन मित्तल

गर्मी में व्यक्ति को जहां भी पानी मिलता है, इसे पी लेता है। जबकि रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड आदि कई पब्लिक प्लेसेज पर यूज्ड बॉटल को ही रिफिल कर बेच दिया जाता है। दूषित पानी में ऐसे वायरस होते हैं, जो लंबे समय तक जिंदा रहते हैं। इससे इंटेस्टाइन इंफेक्शन हो जाते हैं। जिसमें मलेरिया, टायफाइड, लूज मोशन आदि शामिल हैं। इससे बॉडी में पानी की कमी हो जाती है। बीपी डाउन हो जाता है। ये पेशेंट के लिए घातक हो जाता है।
डॉ। आशीष मित्तल, फिजिशियन

दूषित पानी का सेवन टायफाइड, डायरिया, मलेरिया आदि की वजह बनता है। बच्चों के पेट में कीड़े हो जाते हैं। इससे ह्यूमन बॉडी को काफी नुकसान पहुंचता है।
डॉ। ब्रज किशोर मंगल


एक जोन में रोज एक से दो लीकेज की शिकायत आती हैं, जिन्हें टीम भेजकर दुरुस्त कराया जाता है।
बब्बन प्रसाद, सचिव, जलकल

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लोगों की जिंदगी तबाह
25 किमी दूर खेड़ा पचगाई समेत पांच गांवों में फ्लोराइड युक्त पानी ने जिंदगी तबाह कर दी है। यहां आबादी करीब 24 हजार है। करीब 12 साल पहले पानी में फ्लोराइड बढऩे लगा। ये पानी पीकर ग्रामीणों की हड््िडयां टेढ़ी होने लगीं। बरौली अहीर के गांव खेड़ा, पचगाई और पट्टी पचगाई में बड़ी संख्या में पानी ने बच्चों, बूढ़ों और युवाओं को दिव्यांग बना दिया। फ्लोराइड वाला पानी पीने की बेबसी से इनका भविष्य अंधेरे में हैं। हालात इतने खराब हैं कि दिव्यांगों की इस गांव में भरमार है। पिछले वर्षों में यहां बनी पानी की टंकी और हैंडपंप पर लाल निशान लगा दिया। बहुत भागदौड़ हुई, लेकिन यहां आज भी लोगों को शुद्ध पानी नसीब नहीं हो पाया।

यहां खतरा अधिक
जिन इलाकों में लोग हैंडपंप और कुएं का पानी पीते हैं, वहां फ्लोरोसिस बीमारी के होने का खतरा काफी ज्यादा होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि ये लोग बिना ट्रीटमेंट और फिल्टर वाला पानी पी रहे होते हैं। ऐसे पानी में फ्लोरोसिस की मात्रा अधिक होने का खतरा रहता ही है। इसलिए खासतौर पर ग्रामीण इलाकों के लोगों को अपनी सेहत का विशेष ध्यान रखना चाहिए। अगर नल या कुएं से पानी पी रहे हैं तो इसको उबाल लेना चाहिए। भोजन में विटामिन डी की मात्रा अधिक रखें।

फ्लोरोसिस होता क्या है?
जिन इलाकों में पीने के पानी में फ्लोराइड जरूरत से ज्यादा होता है वहां के लोगों को फ्लोरोसिस डिजीज हो जाती है। ये काफी खतरनाक बीमारी होती है, जो व्यक्ति को दिव्यांग कर देती है। पीन के पानी में अगर प्रति लीटर एक 1.2 एमजी से ज्यादा फ्लोराइड होता है, तो ऐसे पानी को लगातार पीने से फ्लोरोसिस की बीमारी हो सकती है। इसकी शुरुआत हड््िडों में दर्द और दांतों के पीलेपन से होती है।

पेयजल का मानक
डब्ल्यूएचओ के मुताबिक पेयजल ऐसा होना चाहिए जो स्वच्छ, शीतल, स्वादयुक्त तथा गंधरहित हो। पीएच मान 7 से 8.5 के मध्य हो.

पानी में पाए जाने वाले तत्व
पीएच 8.5-6.5
सल्फेट 200
क्लोराइड्स 250
फ्लोराइडस 1.2
नाइट्रेट 45
सोडियम 200
आयरन 0.3
जिंक 5
लोहा 0.10
तांबा 0.05
मैगनीज 0.1़
साइनाइड 0.05
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नोट::डब्ल्यूएचओ के अनुसार पानी में पाए जाने वाले तत्वों की उच्चतम मात्रा मिग्रा प्रति लीटर।


इन क्षेत्रों में फ्लोराइड की समस्या
- पचगईं खेड़ा
- पट्टी पचगईं
- देवरी
- गढ़ी देवरी
- नगला रोहता
- रोहता की गढ़ी

शहर के अधिकतर एरियाज में खारा पानी
शहर के अधिकतर एरियाज में खारा पानी है। विशेषज्ञों की मानें तो ग्राउंड वॉटर में फ्लोराइड की मात्रा 1.2 होनी चाहिए, जबकि जिले के कई एरियाज में ये मात्रा 3.5 तक रहती है। इसके चलते लोगों को मुसीबत का सामना करना पड़ता है।
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गंदे पानी की आपूर्ति की रहती है समस्या
श्काहर में दो वाटरवक्र्स हैं। बावजूद इसके लोग स्वच्छ पानी को तरसते हैं। गंदे पानी की आपूर्ति की जाती है। राजामंडी, गोकुलपुरा, प्रतापनगर, गढ़ी भदौरिया, आवास विकास, लोहामंडी आदि क्षेत्रों में गंदे पानी की आपूर्ति की जाती है।
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बारिश के दिनों में अधिक समस्या
बारिश में जब नाले और सीवर ओवरफ्लो होते हैं तो ज्यादातर क्षेत्रों में गंदे पानी की सप्लाई की समस्या बन जाती है। कई-कई दिनों तक गंदे पानी के चलते लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।


- 200-300 टीडीएस का पानी पीया जा सकता है
- 900-4500 टीडीएस तक का ग्राउंड वाटर पाया जाता है
- 1.5 मिग्रा प्रति लीटर फ्लोराइड की सामान्य होती है वैल्यू

350 एमएलडी शहर में वाटर की होती है सप्लाई
340 एमएलडी शहर में वाटर सप्लाई की डिमांड


जीवनी मंडी वाटरवक्र्स 225 एमएलडी

सिकंदरा वाटरवक्र्स
144 एमएलडी गंगाजल प्लांट
144 एमएलडी एमबीबीआर प्लांट

100 वार्ड हैं नगर निगम में
5 हजार से अधिक मोहल्ले शहर में
1.80 लाख शहर में जलकल के कनेक्शन
3.50 लाख मकान शहर में