तंबाकू की वजह से हर साल बढ़ रही मृत्यु दर।
हेल्थ एक्सपर्ट के मुताबिक मुंह के कैंसर का सबसे बड़ा कारण तम्बाकू है। कई चेतावनियों के बाद भी भारत में लोग इसका सेवन किसी न किसी रूप में कर रहे हैं। कैंसर इंडिया ओआरजी द्वारा जारी एक रिसर्च के मुताबिक भारत में हर दिन लगभग 3500 लोगों की मौत रोज तंबाकू जनित ओरल कैंसर से होती है।

इस तरह बनता है तंबाकू कैंसर का कारण

एक मेडिकल रिपोर्ट के मुताबिक तंबाकू पान, गुटखा और पान मसाला में इस प्रकार का पदार्थ डाला जाता है। इसमें कैंसर को बढ़ावा देने वाले एलिमेंट्स मौजूद होते हैं। भारत में गुटखा और पान मसाला खाने वालों की संख्या बहुत अधिक है। कोई तंबाकू, पान मसाला या गुटखा को मुंह के अंदर रखता है। और जितनी देर रखता है, उतनी देर का टाइम ऑफ एक्सपोजर होने पर उसका एब्जॉर्शन रक्त में होता रहता है। इस एब्जॉर्शन के जरिए ही तंबाकू के कैंसर फैलाने वाले एलिमेंट्स मुंह में घुलकर कैंसर का कारण बन जाते हैं। इसके अलावा जितनी देर तंबाकू मुंह के अंदर म्यूकोजा (जहां तंबाकू देर तक चिपका रहता है) में रहता है ये फैक्टर भी कैंसर का कारण बनता है।

तम्बाकू सेवन में ये है आगरा की स्थिति
-राष्ट्रीय पारिवारिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (2019-21) के आंकड़ों के अनुसार आगरा जिले के 46.1 फीसदी पुरुष किसी न किसी रूप में तंबाकू का सेवन कर रहे हैं। इसके अलावा 8.9 फीसदी महिलाएं भी तंबाकू का सेवन कर रही हैं जो की चिंताजनक है।

ये हैं तंबाकू सेवन के नुकसान

सीएमओ डॉ अरूण श्रीवास्तव के मुताबिक तंबाकू सेवन के कारण मुंह, गले, फेफड़े और पेट का कैंसर हो सकता है। यदि महिलाएं ध्रूमपान कर रही हैं तो उन्हें कम वजन का शिशु पैदा हो सकता है या गर्भाशय में ही शिशु की मौत हो सकती है। पैदा होने के बाद ऐसी महिलाओं के शिशु कई गंभीर बीमारियों से पीडि़त हो सकते हैं। जो लोग पहले से दमाग्रस्त हैं। उनके लिए तंबाकू और धूम्रपान और भी मुश्किलें बढ़ा सकता है। इसके अलावा तंबाकू में मौजूद 7000 से अधिक रसायनों में से 250 रसायन बहुत ही खतरनाक हैं। सिगरेट में सड़क बनाने वाली तारकोल, बेंजीन और रेडियो एक्टिव तत्व पाए जाते हैं। प्रतिवर्ष सिगरेट के उत्पादन के लिए 60 करोड़ पेड़ काटे जाते हैं और इसमें 22 अरब लीटर पानी बर्बाद हो जाता है। वल्र्ड की बात करें तो धूम्रपान से 84 करोड़ टन कार्बन डाईआक्साइड पैदा होती है जो पर्यावरण और मानव जीवन के लिए घातक है।

इस तरह छोड़ सकते हैं लत

-तंबाकू का सेवन छोडऩे के लिए मनोचिकित्सक की मदद ले सकते हैं।
-इसकी लत धीरे-धीरे छोडऩे की बजाय दृढ़ इच्छाशक्ति से एक बार में छोड़ देना चाहिए।
-शराब से दूरी बना कर तंबाकू छोड़ सकते हैं।
-इलायची, अनार दाने की गोलियां, भुनी हुई सौंफ, मिस्री जैसी वैकल्पिक चीजों का सेवन करने पर तंबाकू छोड़ा जा सकता है।
-निकोटिन रिप्लेसमेंट थेरेपी, योग, प्राणायाम और मोबाइल एप्स की मदद से भी यह लत छोड़ सकते हैं।

-राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के तहत टीबी मरीजों को दवा देने के साथ तम्बाकू व शराब का सेवन छोडऩे के लिए भी परामर्श दिया जा रहा है। मरीजों को समझाया जाता है कि ध्रूमपान फेफेड़े को कमजोर बनाता है। और इससे बीमारी की जटिलताएं बढ़ जाती हैं।
डॉ अरूण श्रीवास्तव मुख्य चिकित्साधिकारी

-तम्बाकू न सिर्फ ध्रूमपान के रूप में घातक हैं, बल्कि यह गुटका आदि के तौर पर भी टीबी मरीजों के लिए नुकसानदायक है। ऐसे मरीजों के कुपोषित होने की आशंका भी बढ़ जाती है। जो इलाज में बाधा बनती है।
डॉ। सुरेंद्र मोहन प्रजापति नोडल अधिकारी राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन