आगरा। अपना खून देकर लोगों को जिंदगी देने वालों की शहर में कोई कमी नहीं है। इनमें कोई अपनों का बर्थ-डे ब्लड डोनेट कर मनाता है, तो कोई किसी की याद में। किसी के लिए तो यह कार्य धार्मिक भाव से जुड़ा है, तो किसी के लिए समाजसेवा से। आज व‌र्ल्ड ब्लड डोनर्स डे पर हम आपको शहर की कुछ ऐसी ही शख्सियतों से रूबरू करा रहे हैं, जो समय-समय पर ब्लड डोनेट कर दूसरों को जिंदगी दे रहे हैं। साथ ही शहर में ब्लड बैंक की स्थिति और ब्लड की जरूरत पड़ने पर किन मुश्किलों का सामना करना पड़ता है, कुछ इन्हीं बिन्दुओं पर पेश है आई नेक्स्ट की स्पेशल रिपोर्ट

अपने खून से 52 लोगों की बचा चुके है जान

देवरी रोड निवासी शैल बिहारी खंडेलवाल भी सिटी के उन ब्लड डोनेट करने वालों में से हैं, जो पता लगने पर तत्काल जरूरत मंद को ब्लड देने पहुंच जाते हैं। उनका कहना है कि एक रिश्तेदार को ज्वाइंडिस हो गया था। उसे ब्लड की आवश्यकता थी। उस वक्त ब्लड को लेकर काफी परेशानी हुई, तभी से मन में ठान लिया कि ब्लड के लिए अब किसी को अपने सामने परेशान नहीं होने दूंगा। वह अब तक वह 52 बार ब्लड डोनेट कर चुके हैं। साथ ही कुछ अपनी संस्थाओं दिव्य ज्योति और जीवन किरण के माध्यम से समय-समय पर ब्लड डोनेट कैंप आयोजित कराते हैं। नौ साल में अब तक लगभग 28 कैंप लगा चुके हैं।

हाईस्कूल से शुरू हुआ दान का सिलसिला

नगला कली, शमसाबाद निवासी एनआर श्रीधर भी हर तीन महीने में एक बार ब्लड डोनेट करते हैं। उनकी वाइफ एनएएस श्रीधर भी इसमें पीछे नहीं रहतीं। श्रीधर ने बताया कि जब वह हाईस्कूल में थे, तब उन्होंने पहली बार ब्लड डोनेट किया। तब से ब्लड डोनेट का शुरू हुआ सिलसिला अब तक जारी है। वह साल में चार बार ब्लड डोनेट करते हैं।

रक्तदान के साथ सेलिब्रेशन

एनआर श्रीधर से प्रेरित होकर आवास-विकास कॉलोनी निवासी अरविंद आचार्य पिछले काफी समय से साल में तीन बार ब्लड डोनेट करते आए हैं। वाइफ या बच्चों का बर्थ-डे हो या फिर मैरिज एनिवर्सरी, सभी का सेलिब्रेशन ब्लड डोनेट कर ही किया जाता था। दिसम्बर में एक माइनर हार्टअटैक के बाद उन्होंने भले ही अब ब्लड डोनेट करना बंद कर दिया हो, लेकिन ब्लड डोनेशन कैंप में आज भी बढ़-चढ़कर सहयोग करने से पीछे नहीं हटते।

अपनों की याद में करते है ब्लड डोनेट

समर्पण ब्लड बैंक में काम करने वाले किरावली निवासी चंद्रप्रकाश शर्मा (24) साल में दो बार अगस्त और दिसम्बर के महीने में ब्लड डोनेट करते हैं। उनसे जब पूछा कि वह इस निश्चित समय पर ब्लड डोनेट क्यों करते हैंब् तो इसपर उनका जवाब था कि दिसम्बर में उनकी भतीजी का बर्थ-डे होता है, जबकि अगस्त में किसी और नजदीकी का। ब्लड डोनेट कर वह दोनों का सेलिबे्रशन करते हैं।

जारी है सिलसिला

गढ़ी भदौरिया, सरस्वती नगर निवासी कमल शर्मा हाईस्कूल से ब्लड डोनेट करते आ रहे हैं। वह बताते हैं कि आज भले ही पोस्ट ग्रेजुएशन कंप्लीट कर ली हो, लेकिन दसवीं क्लास से शुरू हुआ ब्लड डोनेट करने का सिलसिला आज भी जारी है। वह साल में कम से कम तीन बार ब्लड डोनेट करते हैं। कमल शर्मा का कहना है कि वह खुद रक्तदान करने के साथ अपने परिवारीजनों और दोस्तों को भी इसके लिए प्रोत्साहित करते हैं। कमल शर्मा कहते हैं कि थैलेसीमिया ग्रस्त लोगों को ज्यादा ब्लड की आवश्यकता होती है। इसी को ध्यान में रखकर वह हर तीन महीने में ब्लड डोनेट करते हैं।

ब्लड बैंक के लिए 'नाको' की परमीशन जरूरी

-ब्लड बैंक के लिए पहले सीएमओ के यहां एप्लीकेशन देनी पड़ती है। सीएमओ वह एप्लीकेशन नाको को फॉरवर्ड करते हैं। नाको की टीम मौके पर निरीक्षण करती है, तब कहीं जाकर ब्लड बैंक खोलने के लिए नाको से परमीशन मिलती है।

-ब्लड कैंप लगाने से पहले सीएमओ और नाको (नेशनल एड्स कंट्रोल ऑग्रेनाइजेशन) से परमीशन लेनी पड़ती है। (एक साल में तीन कैंप के लिए सीएमओ, पांच कैंप के लिए डीएम और पांच से अधिक कैंप लगाने के लिए नाको से परमीशन लेनी पड़ती है.)

-जानिए क्यों जरूरी होता है रक्तदान

रक्तदान जीवनदान है। हमारे द्वारा किया गया रक्तदान कई जिंदगियों को बचाता है। इसका अहसास हमें तब होता है जब हमारा काई अपना खून के लिए सघ्ार्ष करता है। ऐसे में कहीं न कहीं आज हम सबकी यह नैतिक और सामाजिक जिम्मेदारी बनती है कि हम रक्तदान के प्रति जागरुक हों ताकि कल किसी की मौत खून की कमी से न हो।

-चार मेन ब्लड ग्रुप हैं, 'ए', 'बी', 'एबी' और 'ओ'

-एक स्वस्थ्य व्यक्ति हर 56 दिन पर एक यूनिट ब्लड दे सकता है।

-एक स्वस्थ डोनर सात दिन के फासले पर प्लेटलेट्स डोनेट कर सकता है, बशर्ते साल में इसकी संख्या 24 से अधिक न हो।

-एक यूनिट ब्लड के डोनेशन में 10 से 12 मिनट का औसत समय लगता है।

-एक वयस्क व्यक्ति के शरीर में औसतन 10 यूनिट ब्लड होता है। डोनेशन के समय एक बार में एक यूनिट लिया जाता है।

-अगर आप 18 वर्ष की उम्र से लेकर 60 वर्ष की उम्र तक हर 90 दिन के अंतर पर ब्लड डोनेट करते रहते हैं तो समझिए कि आपने 30 गैलेन ब्लड डोनेट किया और 500 से ज्यादा जिंदगी बचा लीं

सरकारी ब्लड बैंक

1. जिला अस्पताल ब्लड बैंक

2. एसएन मेडिकल कॉलेज ब्लड बैंक

3. मिलिट्री हॉस्पिटल ब्लड बैंक

प्राइवेट ब्लड बैंक

1. जीआर ब्लड बैंक, शमसाबाद रोड

2. सिटी ब्लड बैंक, सुभाष पार्क के सामने

3. समर्पण ब्लड बैंक, देहली गेट

4. लाइफ लाइन, देहली गेट

5. संजीवनी ब्लड बैंक, राम नगर कॉलोनी

6. मानव सेवा ब्लड बैंक, मदिया कटरा चौराहा

7. जनकल्याण ब्लड बैंक, नामनेर

8. मां पुष्पा ब्लड बैंक, खंदारी

9. लोकहितम ब्लड बैंक, कमला नगर

10. मां सरस्वती ब्लड बैंक, रामबाग चौराहा

11. जन सुविधा ब्लड बैंक, संजय प्लेस

12. गोयल ब्लड बैंक, मोती कटरा

ब्लड बैंक में होना चाहिए

-लगभग एक हजार स्क्वॉयर फीट जमीन

-आठ रूम होना जरूरी

-रजिस्ट्रेशन रूम

-मेडिकल एग्जामिनेशन रूम

-ब्लड कलेक्शन रूम

-रिफ्रेशमेंट रूम

-सीरोलॉजी लैब

-ट्रांस्मेशिबल लैब

-ब्लड स्टोर रूम

-रिकॉर्ड रूम

-स्टरलाइजेशन

-बाथरूम

-एक ही ब्लड चार जगह डिस्टब्यूट किया जा सकता है।

-ब्लड को सेफ करने के लिए चार से छह डिग्री टेम्परेचर के फ्रिज में स्टोर किया जाता है।

-इसके अलावा एक वेटिंग रूम भी होना चाहिए, लेकिन यह नॉ‌र्म्स में शामिल नहीं है।

जिला अस्पताल में हर समय 20 यूनिट खून उपलब्ध

जिला अस्पताल के ब्लड बैंक में हर समय 15-20 यूनिट ब्लड उपलब्ध रहता है। यूनिट की संख्या घटती-बढ़ती रहती है। साल में दो बार यहां कैंप लगाया जाता है। ब्लड बैंक इंचार्ज डॉ। भंवर सिंह और डॉ। नरेन्द्र मोहन शर्मा के अनुसार सिटी की अधिकांश संस्थाएं समय-समय पर कैंप के जरिए जिला अस्पताल के ब्लड बैंक को अपना सहयोग करती रहती हैं। इसके अलावा जिला अस्पताल के डॉक्टर्स और कर्मचारी भी समय-समय पर ब्लड डोनेट करते हैं।

एसएन मेडिकल कॉलेज ब्लड बैंक

एसएन मेडिकल कॉलेज में 100-120 यूनिट ब्लड हमेशा रहता है। यहां से पर डे 20 से 30 यूनिट ब्लड दिया जाता है। 2014 में यहां 34 कैंप लगाए गए, इससे 37 हजार यूनिट ब्लड इकट्ठा किया गया। 2015 अप्रैल से अब तक सात कैंप लग चुके हैं। हर साल एसएन मेडिकल की ओर से 10 लोगों को ब्लड डोनेट करने के लिए सम्मानित भी किया जाता है। इस बार भी एसएन मेडिकल कॉलेज में 15 जून को 10 लोगों का सम्मान किया जाएगा। ब्लड बैंक के इंचार्ज डॉ। हरेन्द्र कुमार यादव के अनुसार वह खुद साल में तीन बार ब्लड डोनेट करते हैं। यहां पर भी कई संस्थाओं द्वारा समय-समय पर कैंप लगाए जाते हैं।

बैंक में ब्लड नहीं, दलाल दिलवा रहे

भले ही सिटी में कई ब्लड बैंक हों, लेकिन आज भी जरूरत के समय आम आदमी इधर-उधर भटकने को मजबूर है। इसका फायदा दलाल उठाते हैं। जब ब्लड बैंक में किसी ग्रुप के ब्लड नहीं होने का दावा किया जाता है, तब दलाल मोटी रकम लेकर इसे आसानी से मुहैया करा देते हैं। हाल ही में इटावा निवासी करीब आठ महीने की निक्की को बी नेगेटिव ब्लड की जरूरत पड़ी। वह हार्ट से जुड़े रोग से पीडि़त थी। पिता अमरनाथ और मां विभा ने शहर की हर ब्लड बैंक में इस गु्रप का ब्लड खोजा, लेकिन नहीं मिला। अमरनाथ ने बताया कि बच्ची की हालत सीरियस थी। ब्लड की सख्त जरूरत थी। इसी का फायदा दलाल उठा रहे थे। कोई पांच तो कोई सात हजार रुपये में ब्लड का इंतजाम करने का दावा कर रहा था। उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि जब किसी बैंक के पास इस ग्रुप का ब्लड नहीं है तो यह कहां से लाकर देंगे। पैसों का इंतजाम नहीं होने पर उन्होंने सोशल मीडिया पर बेटी का फोटो लगाकर ब्लड डोनेट के लिए मैसेज लिखा। इसके बाद दानदाताओं के फोन आना शुरू हो गए। तब जाकर बच्ची को खून मिला और उसकी जान बच सकी।

रिक्शेवाले दे जाते हैं ब्लड

कुछ दिन पूर्व खुलासा हुआ था कि एसएन मेडिकल कॉलेज में कुछ रिक्शेवाले सिर्फ चंद पैसों के खातिर अपनी जान जोखिम में डालकर ब्लड देने पहुंचते हैं। इनका न तो यहां पर वजन लिया जाता था न ही इनके लिए कोई चेकअप किया जाता था। यह रिक्शेवाले न सिर्फ तीन माह में एक बार बल्कि हर माह ब्लड देने पहुंच जाते थे।

कई जगह बेवजह चढ़ता है रक्त

सूत्रों की मानें तो कुछ निजी हॉस्पिटल में अपनी कमाई को एक जरिया रक्त भी बना रखा है। यहां पर मरीज को ब्लड चढ़ाना पड़ेगा उसकी स्थिति गंभीर है। कहकर उसके तीमारदारों को परेशान कर दिया जाता है। घबराया हुआ तीमारदार तुरंत ब्लड के लिए निजी हॉस्पिटल में ही या तो पैसे जमा करवा देते हैं या फिर किसी प्राइवेट ब्लड बैंक में ब्लड भुनाने पहुंच जाते हैं। कई बार मरीज का हीमोग्लोबिन चैक तक नहीं किया जाता है उसे बेवजह ही ब्लड चढ़ा दिया जाता है।

रक्तदान से जुड़ी अहम जानकारी

-एक स्वस्थ व्यक्ति में पांच लीटर ब्लड होता है।

-ब्लड देने के बाद 24 से 48 घंटे में ब्लड रिकवर हो जाता है।

-जिस व्यक्ति में पांच लीटर ब्लड है वह तीन यूनिट ब्लड दान कर सकता है।

ये कर सकते हैं रक्तदान

-18-65 साल की उम्र का व्यक्ति रक्तदान कर सकता है।

-वजन 45 से ऊपर होना चाहिए।

-हीमोग्लोबिन 12.5 होना चाहिए।

-नाड़ी की गति और तापमान सामान्य होना चाहिए।

-कोई भी सांस से संबधित बीमारी न हो।

-कोई भी ट्रांसफ्यूजन के कारण किसी बीमारी से ग्रस्त न हो।

-नशे का आदी न हो।

ये नहीं कर सकते रक्तदान

-एचआईवी या अन्य कोई गंभीर बीमारी से पीडि़त।

सीएमएस जिला अस्पताल डॉ। राम प्रकाश ने कहा कि यह पुनीत कार्य ग्रंथों का सार है। परहित सरस धरम नहीं भाई, साइंस ने बेशक काफी तरक्की कर ली है उसके बावजूद भी ब्लड के लिए कोई प्रयोगशाला तैयार नहीं जहां इसे बनाया जा सकें। कोई दूसरा सोर्स नहीं जहां से ब्लड मिल सकें। हर स्वस्थ्य आदमी को साल में तीन से चार बार ब्लड देते रहना चाहिए। न देने पर ब्लड डिस्ट्रॉय हो जाता है।