-शराब पीने से मृत 80 से ज्यादा लोगों का विसरा भेजे गए आगरा

-मौत के कारणों से खुलेंगी माफिया की करतूतें

आगरा: प्रदेश भर में सनसनी फैलाने वाले अलीगढ़ शराब कांड का पर्दाफाश आगरा की फोरेंसिक लैब में किया जाएगा। शराब पीने से मृत 80 से ज्यादा लोगों के विसरा यहां जांच के लिए भेजे गए हैं। विज्ञानी जांच के बाद बताएंगे कि शराब में किस-किस तरह के रसायन मिलाए गए थे, जो मौत का कारण बने। इस विज्ञानी जांच से माफिया की करतूतों का भी भंडाफोड़ हो जाएगा। लैब में विज्ञानियों ने जहरीली शराब कांड में मृत लोगों के विसरे की जांच को प्राथमिकता पर लिया है। विसरा की ये जांच तीन चरणों में की जाएगी।

पहला चरण: स्टीम डिस्टिलेशन जांच

विसरा की जांच कर ये पता लगाया जाएगा कि जिस शराब का सेवन किया था, उसमें मिथाइल अल्कोहल मिलाया गया था या नहीं। विसरा से मिथाइल, ईथाइल और पानी की मात्रा का पता लगाने के लिए स्टीम डिस्टिलेशन प्रक्रिया से गुजारा जाता है। पानी 100 डिग्री सेल्सियस पर भाप बनता है, इसी तरह ईथाइल अल्कोहल 78 डिग्री सेल्सियस और मिथाइल अल्कोहल 64 डिग्री सेल्सियस पर वाष्पित होता है। स्टीम डिस्टिलेशन की प्रक्रिया में सबसे पहले मिथाइल अल्कोहल मिलता है। वैज्ञानिक 15 से 20 मिलीलीटर पानी व मिथाइल अल्कोहल, ईथाइल अल्कोहल मिश्रण (वैज्ञानिक नाम एजियोट्राप मिक्सचर) का परीक्षण करके इसमें मिथाइल अल्कोहल और उसकी मात्रा का पता लगाते हैं।

दूसरा चरण: यूरिया की जांच

कच्ची शराब बनाने वाले मिथाइल अल्कोहल के अलावा यूरिया भी मिलाते हैं। शराब में यूरिया मिलाया गया है कि नहीं, इसे जानने के लिए विज्ञानी विसरा में मिलने वाले अपच पदार्थों की जांच करते हैं। परीक्षण मे पता चल जाता है कि शराब में यूरिया मिलाया गया है कि नहीं।

तीसरा चरण: क्लोरल हाइड्रेड की जांच

कच्ची शराब शराब तैयार करने वाले मिथाइल अल्कोहल, इथाइल अल्कोहल और यूरिया के अलावा तेज नशे के लिए क्लोरल हाइड्रेड भी मिलाते हैं। विसरा में मिले अपच पदार्थों के परीक्षण से क्लोरल हाइड्रेड का पता लग जाता है।

शराब में मिथाइल अल्कोहल का पुख्ता संकेत

अलीगढ़ में जहरीली शराब पीने वाले अधिकांश लोगों की पहले आंखों की रोशनी गई, इसके बाद उनकी जान गई। विज्ञानियों के अनुसार, आंखों की रोशनी जाना शराब में मिथाइल अल्कोहल को मिलाने का पुख्ता संकेत है। मिथाइल अल्कोहल मिश्रित शराब के सेवन से सबसे पहले आखों की रोशनी जाती है। इसके बाद लेवल गिरने से सांस लेने में दिक्कत होती है। उसके शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा का स्तर 70 से 60 तक रह जाता है। इसके चलते मृत्यु हो जाती है।