सेट योर गोल: अपना लक्ष्य (गोल) पहले ही मन में तय कर लें इससे आपको उस तक पहुंचने में आसानी होगी। जो लोग मेंटली तैयार हो जाते हैं वो अपने लक्ष्य को आसानी से पूरा कर पाते हैं। छोटे लक्ष्य पहले बनाएं, अगर आप पहली बार लॉन्ग रनिंग करने जा रहे हैं तो अपने दौडऩे का अंतराल कम रखें। पहले ही दिन आप ज्यादा थक जाएंगे तो आपके लिए अगले दिन का लक्ष्य पूरा कर पाना मुश्किल हो सकता है इसलिए धीरे-धीरे स्पीड बढ़ाएं।

मेडिटेशन: आपको लंबी दौड़ के लिए खुद को मानसिक रूप से तैयार करना है तो आप मेडिटेशन की मदद ले सकते हैं। आपको दौड़ते समय ब्रीदिंग पर ध्यान देना है, स्टेप्स को एडजस्ट करना है और एक जैसी स्पीड बनाकर रखनी है। इन तीनों चीजों के लिए आपको सुबह रनिंग करने से पहले मेडिटेशन करना चाहिए। मेडिटेशन के कई फायदे हैं पर आप लंबी दौड़ से पहले मेडिटेशन करेंगे तो फोकस करेंगे, रिलैक्स रहेंगे और अपने लक्ष्य तक पहुंचने से पहले थकेंगे नहीं।

पॉजिटिव एटीट्यूड: मानसिक तौर पर खुद को तैयार करने के लिए ब्रेक भी ले सकते हैं, आप दौड़ के बीच ब्रेक लें और खुद को आगे के लक्ष्य को पूरा करने के लिए प्रेरित करें। दौडऩा एक फिजिकल चैलेंज नहीं है, ये आपके दिमाग की काबिलियत भी देखता है कि आप मेंटली कितना तैयार हैं? अगर आप अगली रनिंग के लिए तैयार भी हैं तो भी मानसिक तौर पर पॉजिटिव रहना उतना ही जरूरी है जितना मैराथन और लांग रन के लिए शूज पहनना। ब्रेक के दौरान आप पानी लेते रहें। इससे आपके अंदर के नेगेटिव थॉट्स निकल जाएंगे और शरीर को आगे बढऩे की एनर्जी मिलेगी।

फायदों को याद करें: अगर आपको मैराथन पूरा करने में परेशानी आती है तो दौड़ के फायदों को याद करें। बहुत से लोग कई बीमारियों के शिकार होते हैं जिन्हें करने के लिए वो लंबी दौड़ को अपने फिटनेस का तरीका मानते हैैं। इसलिए आपको फायदों को याद करते हुए लंबी दौड़ पूरी करने में मदद मिलेेगी।

यू कैन डू इट: ये मंत्रा हमेशा याद रखें कि आप कर सकते हैं और खुद से इसे कई बार रिपीट करें। ये एक लाइन से आप खुद को मोटिवेट कर सकते हैं, जिससे आपको अपने लक्ष्य तक पहुंचने में आसानी होगी। अगर आपको किसी तरह की परेशानी हो रही है तो डॉक्टर या सॉइकोलॉजिस्ट की मदद लेना न भूलें। साइकोलॉजिस्ट भी मानते हैं कि व्यक्ति जितना खुद को मोटिवेट कर सकता है उतना डॉक्टर भी मदद नहीं कर सकता पर केवल खुद पर विश्वास रखना जरूरी है।

बीमारी से लडऩे के लिए रनिंग एक बढिय़ा एक्सरसाइज है। खुद में पॉजिटिव फर्क महसूस होगा जिसके बाद आप आत्मविश्वास महसूस करेेंंगें। मानसिक तौर पर मजबूत रहने से आप मैराथन को अपने रूटीन में शामिल कर सकते हैं, ये आप पर निर्भर करता है कि आप मानसिक और शारीरिक तौर पर कितना मजबूत हैैं।

दौडऩा ज्यादा फायदेमंद है
2014 में आयोवा स्टेट यूनिवर्सिटी में शारीरिक गतिविधि विज्ञान के प्रोफेसर डक-चुल ली और उनकी टीम की एक स्टडी से पता चला कि नियमित तौर से 9 किलोमीटर प्रति घंटे या उससे धीमी गति से जॉगिंग करने वाले पैदल चलने वालों और न चलने वालों की तुलना में 30 परसेंट ज्यादा फिट थे। अगले 15 सालों में इन लोगों में डेथ रिस्क भी 30 परसेंट कम था।
स्टडीज से ये भी पता चला कि रोज 25 मिनट की दौड़ लगाने और 105 मिनट की सैर करने से अगले आठ सालों के दौरान डेथ रिस्क लगभग 35 प्रतिशत कम हो जाता है।

डिड यू नो- मैराथन दौडऩा आपके नर्वस सिस्टम को मजबूत करता है। रनिंग के दौरान आपके माइंड में मॉलीक्यूल्स एक्टिव हो जाते हैैं। इस प्रोसेस से मेमोरी तेज होती है और हार्ड टॉपिक्स को सीखना आसान हो जाता है।
डिस्क्लेमर- किसी पुरानी बीमारी, चोट या सर्जरी के मामले में, आपको दौडऩे से पहले अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लेना चाहिए।