आगरा(ब्यूरो)। एयर क्वॉलिटी शुक्रवार से खराब होना शुरू हुई थी। शनिवार, रविवार व सोमवार को भी यहां हालात खराब रहे। हवा में धूल कणों (पीएम10) व अति सूक्ष्म कणों (पीएम2.5) की मात्रा बढऩे से धुंध छाई रही थी। इससे शहरवासियों को आंखों में जलन, सांस लेने में दिक्कत और खांसी की समस्या रही थी। मंगलवार को वायु गुणवत्ता में थोड़ा सुधार देखने को मिला था।

हवा में धूल कणों की मात्रा अधिक

बुधवार को शहर में शास्त्रीपुरम सबसे अधिक प्रदूषित और रोहता सबसे स्वच्छ रहा। शास्त्रीपुरम में धूल कणों की मात्रा मानक 100 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर की अपेक्षा 274 रही। तीन दिन की बंदी के बाद संजय प्लेस स्थित आटोमेटिक मॉनिटङ्क्षरग स्टेशन ने बुधवार से काम करना शुरू कर दिया। यहां अति सूक्ष्म कण मानक 60 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर के तीन गुना से अधिक 200 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर दर्ज किए गए। मनोहरपुर, सेक्टर तीन-बी आवास विकास कालोनी, रोहता में हवा में घुले अति सूक्ष्म कण और शाहजहां गार्डन में धूल कण अधिक रहे।

बच्चों को देना पड़ रहा नेबुलाइजर
आगरा। धूल कण के साथ ही प्रदूषक तत्वों के निचली सतह पर आने से बच्चों की सांस की नलिकाओं में सूजन आने लगी है। सांस फूलने, गले में दर्द, नाक बंद और बुखार की समस्या के साथ मरीज सरकारी और प्राइवेट हॉस्पिटल में पहुंच रहे हैं। बच्चों को सांस लेने में परेशानी होने पर नेबुलाइजर देना पड़ रहा है। सुबह और रात को तापमान में गिरावट आने से धूल कण और प्रदूषक तत्व निचली सतह पर बने रहते हैं। प्रदूषक तत्व सांस की नलिकाओं में पहुंचने पर संक्रमण कर रहे हैं, लगातार प्रदूषक तत्वों के सांस की नलिकाओं में पहुंचने से सूजन आ रही है।


पिछले सात दिन से ओपीडी में 40 प्रतिशत मरीज प्रदूषण के कारण सांस फूलने, गले में दर्द, नाक बंद की समस्या के साथ आ रहे हैं। जिन बच्चों को वायरल संक्रमण हो रहा है, उन्हें प्रदूषक तत्वों से सांस लेने में परेशानी हो रही है। 10 वर्ष तक के बच्चों को ज्यादा परेशानी हो रही है। 10 प्रतिशत मरीज सांस लेने में परेशानी के साथ आ रहे हैं। इन्हें नेबुलाइजर देना पड़ रहा है।
- डॉ। नीरज यादव, एचओडी, बाल रोग विभाग, एसएन मेडिकल कॉलेज


जिन बच्चों को एलर्जी की समस्या है, उन्हें सुबह और शाम को ज्यादा परेशानी हो रही है। रात में खांसी आ रही है। गंभीर हालत में आ रहे बच्चों को भर्ती कर नेब्युलाइजर देना पड़ रहा है, इसके बाद राहत मिल रही है।
डॉ। अरुण जैन, अध्यक्ष, इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स (आईएपी)


अस्थमा, क्रोनिक आब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी), टीबी और जिन मरीजों को एलर्जी, उन्हें इस मौसम में विशेष एहतियात बरतनी चाहिए। वे सुबह और शाम को घर से बाहर ना निकलें। सांस फूलने पर डॉक्टर से परामर्श ले लें।
डॉ। प्रभात अग्रवाल, प्रोफेसर, एसएनएमसी

3 दिन के एक्यूआई की स्थिति
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