-पहले खुद की पॉकेट मनी और बाद में परिजनों का अकाउंट खाली कर रहे बच्चे

- मोबाइल में ऑनलाइन गेम के जरिए साथियों के साथ हार-जीत के लगा रहे दांव

आगरा। कोविड-19 के चलते स्कूल बंद है। ऐसे में बच्चे घर से ही ऑनलाइन क्लास ले रहे हैं। लेकिन, कहीं आपका बच्चा ऑनलाइन क्लास की आड़ में किसी बुरी लत में तो नहीं पड़ गया है। पेरेंट्स की अनदेखी के चलते बच्चे ऑनलाइन गेमिंग एप की जद में आ रहे हैं। ये ऑनलाइन गेमिंग एप एक तरह के बेटिंग एप हैं। इनमें ऑनलाइन गेम्स की आड़ में बेटिंग की जाती है। जिसके चलते बच्चे गलत रास्ते पर जा रहे हैं। हाल ही में शहर में इस तरह के कई मामले सामने आ चुके हैं।

घरों से ले रहे बच्चे ऑनलाइन क्लास

बच्चों की घर से ही ऑनलाइन क्लास चल रहीं हैं तो कई पेरेंट्स को न चाहते हुए भी उन्हें मोबाइल सौंपना पड़ता है। लेकिन बच्चों की एक्टिविटी ऑनलाइन क्लास के साथ अन्य गेमिंग एप की तरफ भी बढ़ रही है। वह कुछ ऐसे गेमिंग ऐप की जद में आ रहे हैं, जो बेटिंग ऐप हैं। इसके लिए वह रुपए दांव पर लगा रहे हैं। जब छोटे दांव बड़े हो जाते हैं और खाते खाली होने लगते हैं, तो पेरेंट्स को जानकारी होती है, लेकिन तब तक काफी नुकसान हो जाता है।

केस1

कारोबारी का बेटा हुआ शिकार

दयालबाग के अदनबाग में रहने वाले एक व्यापारी के बच्चों ने शास्त्रीपुरम में रहने वाले दोस्त से फेक आईडी के जरिए रकम मांगी। इसका खुलासा पुलिस जांच में हुआ। मामला पेरेंट्स तक पहुंच गया। पुलिस जांच में पता चला की 11वीं क्लास में पढ़ने वाले बच्चे को ऑनलाइन गेम की लत लग चुकी थी। जिसके बाद रुपयों की जरूरत के चलते इस तरह का कदम उठाया गया। पुलिस ने किशोर के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की।

केस2

दादा के एटीएम से लगा रहा था दांव

कमला नगर में रहने वाले रिटायर्ड बिजली विभाग के कर्मचारी के नाती ने गेम के लिए दादा के एटीएम का इस्तेमाल कर 18 हजार रुपए निकाल लिए। दादा ने न्यू आगरा पुलिस से मामले की कंप्लेन की। जब पुलिस ने एटीएम से रुपए निकालने की जांच की तो पीडि़त के नाती को रुपए निकालते हुए देखा गया। पुलिस ने बच्चों को पेरेंट्स के कहने पर हिदायत देकर छोड़ दिया।

यह है ऑनलाइन गेम का सिस्टम

- यह जुआ मोबाइल फोन पर विभिन्न एप के जरिए खिलवाया जाता है।

- इस एप पर हर पांच मिनट पर एक नंबर निकाला जाता है। नंबर पर ही रुपए दांव पर लगाए जाते हैं।

- जिसका नंबर खुल जाता है, संचालक उसे लगाए गए दांव के अनुरूप जीत में मिले रुपए देता है।

- एक-एक नंबर पर कई लोग दांव लगाते हैं, नंबर न खुलने पर जुआ में लगाया गया रुपया डूब जाता है।

एक बार की जीत बन जाती है लत

एक्सपर्ट बताते हैं कि इस दौर में हर युवा के हाथ में हाईटेक मोबाइल है। मोबाइल पर कई तरह के ऑनलाइन गेम भी खेले जा रहे हैं। इसकी आड़ में जुआ भी खेला जा रहा है, जिसकी जद में युवा के साथ बच्चे भी हैं। पेरेंट्स को चाहिए कि वे अपने नौनिहालों पर पैनी नजर रखें। ज्यादा देर तक मोबाइल पर लगे रहने वाले युवाओं की एक्टिविटी पर ध्यान देना चाहिए। क्योंकि ऑनलाइन इस जुआ में एक बार रुपए जीतने वाले युवा में लालच आ जाता है, फिर वह किसी भी तरह से रुपयों का प्रबंध करके दांव लगाने लगते हैं।

इस तरह रखें बच्चों पर नजर

- समय-समय पर बच्चे की मोबाइल पर सर्चिग चेक करते रहें।

- देखें कहीं बच्चा ऑनलाइन क्लास के अलावा तो मोबाइल पर ज्यादा समय नहीं दे रहा।

- खाली समय में बच्चे के हाथ में मोबाइल न रहने दें।

- अगर रुपए अकाउंट से निकले हैं, तो वह नंबर जरूर नोट कर लें, जिससे फोन आया है।

- बच्चों के हाथ में पर्स और एटीएम न लगने दें।

वर्जन

ऑनलाइन क्राइम, ठगी की वारदातों पर पूरी तरह से अंकुश लगाने के लिए लोगों को अवेयर करने का कार्य किया जाएगा। वहीं, मोबाइल के जरिए ऑनलाइन गेम से बच्चों में क्रिमिनल एक्टिविटी की घटनाएं भी सामने आई हैं। ऐसे में पेरेंट्स को भी अवेयर करने का कार्य किया जाएगा। जोन में तीन अगस्त से अभियान भी शुरू किया जाएगा।

राजीव कृष्ण, एडीजी जोन, आगरा