आगरा (ब्यूरो)। अगर आपको भी रोजाना फेक कॉल्स आ रहे हैं, तो अलर्ट हो जाएं, क्योंकि आपका डेटा सार्वजनिक हो चुका है, ऐसे में साइबर ठग आपको गुमराह कर कभी भी ठगी का शिकार बना सकते हैं। मंहगाई के इस दौर में एक कारोबार ऐसा भी है जिस पर मंदी का कोई असर नहीं है। यह कारोबार लगातार बढ़ रहा है। धंधा भी ऐसा है जो आपके दैनिक जीवन से जुडा है। लोगों की पर्सनल डिटेल थोक के भाव बिक रही है। शहर में यह कारोबार लाखों रुपए का है। कुछ लोग ऐसे भी हैं जो लोगों की पर्सनल डिटेल खरीद कर ठगों को अपने रेट में बेच रहे हैं। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने इस संबंध में नाम नहीं छापने की शर्त पर कॉल सेंटर में कार्य कर चुके, युवक से डेटा के बारे में जानकारी हासिल की, जिसमें डेटा चोरी की बिक्री को खुलासा सामने आया है।

रोजाना आ रहे लोगों को कॉल
शहर में हर आम और खास के पास कॉल सेंटर से रोजाना फोन कॉल्स आ रहे हैं। कोई इंश्योरेंस लेने की बात कहता है तो कोई प्लॉट, क्रेडिट कार्ड, या फिर पर्सनल लोन ऑफर करता है। दर्जनों ऐसे प्रोडेक्ट हैं, जिनकी मार्केटिंग के लिए आपको ऐसे समय में परेशान किया जाता है, जब आप वाहन ड्राइव कर रहे हों, मीटिंग में हों। अब सवाल यह है कि इन सब के पास आपका नंबर कैसे पहुंचा,

धड़ल्ले से लीक हो रही निजी जानकारी
साइबर एक्सपर्ट जोनिस वर्गिस का कहना है कि शहर में ऐसे लोग मॉल और पेट्रोल पंप या फिर किसी दुकान के सामने खड़े होकर किसी न किसी बहाने से आपकी पर्सनल डिटेल हासिल कर ली जाती है, इसके जरुरतमंद लोगों को बेची जाती है। वहीं साइबर ठग अच्छी रकम देकर डेटा को खरीद लेते हैं। नाम नहीं छापने की शर्त पर कॉल सेंटर में काम कर चुके एक युवक ने बताया कि उनको संचालक द्वारा डेटा मुहैया कराया जाता है।

डिजिटल से नहीं आ रही दिक्कत
कॉल सेंटर पर कार्य कर चुके युवक ने बताया कि कई दूसरे कॉल सेंटर ऐसे हैं जो सीधे ही सरकारी विभाग, जैसे बैंक, इंश्योरेंस सेक्टर, दूर संचार, रेलवे और डाक का डेटा उठा लेते हैं, अब सब कुछ डिजिटल होने पर अधिक परेशानी नहीं हो रही है। वही डेटा चोरी क रने को लेकर कोई कानून भी नहीं है, ऐसे में पुलिस को कार्रवाई करने में समस्या होती है।

स्तर के हिसाब से डेटा के रेट तय
निजी जानकारी की सौदेबाजी को लेकर रुतबे के हिसाब से रेट तय किए गए हैं। मध्यम वर्ग या उससे नीचे के लोगों की जानकारी लेनी है, तो वह पच्चीस से पचास पैसे रेट हैं, वहीं समान्य और उच्च श्रेणी के अलग रेट हैं। कॉल सेंटर संचालक निजी जानकारी हासिल करने के बाद उसे आगे बेच देते हैं। कुछ सेंटर निजी जानकारी का इस्तेमाल लोगों को ठगने के लिए कर रहे हैं।

फेक कॉल्स को करें ब्लॉक
साइबर एक्सपर्ट जोनिस वर्गिस का कहना है कि अगर आपके पास भी रोजाना फेक कॉल्स आते हैं, तो उनको तुरंत ब्लॉक कर दें, इससे फिर से आपको उस नंबर से कॉल नहीं की जा सके। रोजाना हर आम और खास को दिन भर में लोन या प्लॉट खरीदने के नाम पर कॉल्स आते हैं। उनको नजरदांज करना चाहिए। क्योंकि कॉल करने वाले उस नंबर के आगे नॉट रिसीव लिखते हैं, इससे उस नंबर पर बहुत कम कॉल किए जाते हैं।

कॉल सेंटर के युवक से रिपोर्टर की बातचीत

रिपोर्टर: कॉल सेंटर पर काम क्यों छोड़ दिया।
युवक: पकड़े जाने का डर हमेशा बना रहता था, संचालक नहीं आते थे ऑफिस
रिपोर्टर: कॉल सेंटर पर रोजाना क्यों कार्य किया जाता है।
युवक: रोजाना सौ नंबर्स की सीट दी जाती थी, जिसमें लोगों को सस्ते लोन का झांसा दिया जाता था।
रिपोर्टर: ठगी किस तरह कराई जाती थी, कॉल के जरिए।
युवक: लोन से पहले फाइल चार्ज के जरिए बारह सौ रुपए जमा कराए जाते थे, अगर कोई झांसे में आ जाता था तो उससे और रकम जमा करने के लिए कहा जाता था।
रिपोर्टर: इसके बाद लोन किस तरह कराया जाता था।
युवक: लोन नहीं कराया जाता था, बल्कि उस नंबर को बंद कर दिया जाता है, जिससे बात होती हैं।
रिपोर्टर: इसके बदले में आपको क्या मिलता है।
युवक: सैलरी प्लस कमीशन पर कार्य किया जाता है।
'फेक कॉल्स से ठगी के कई मामले सामने आते हैं, ऐसे में लोगों को अवेयर होने की जरुरत है। किसी भी फोन कॉल्स को अपनी पर्सनल डिटेल को शेयर बिल्कु ल न करें,जब तक कि आप उनके बारे में पूरी जानकारी न कर लें। '
सुल्तान सिंह, प्रभारी साइबर सेल