AGRA: डॉ। भीमराव अम्बेडकर यूनिवर्सिटी के सत्र 2013-14 में बड़ा फर्जीवाड़ा हुआ है। इस सत्र के चार्ट यूनिवर्सिटी के पास नहीं हैं। इस सत्र में बडे़ स्तर पर रोल नंबर जेनरेट करने और नंबर बढ़ाने का खेल हुआ है। इसके साथ ही अब ऐसे स्टूडेंट्स को डर सता रहा है, जिन्होंने वास्तविकता में एग्जाम दिया था, कि उनके नंबर पर किसी दूसरे का नाम न अंकित कर दिया जाए।

सक्रिय है कॉकस

सत्र 2014 में विभिन्न कोर्स में नंबर बढ़वाने और बिना एग्जाम के मार्कशीट दिलाने के लए यूनिवर्सिटी में एक कॉकस सक्रिय है। इस कॉकस के द्वारा रेट निर्धारित कर ठेका लिया जा रहा है। हर काम के अलग-अलग पैसे मांगे जा रहे हैं। ये कॉकस डॉ। भीमराव अम्बेडकर यूनिवर्सिटी की अम्बेडकर चेयर के पास सक्रिय हैं। कारण है कि यहां पर सर्वाधिक स्टूडेंट्स की संख्या मार्कशीट में अपनी त्रुटियां सही कराने के लिए आती है। वे इन स्टूडेंट्स को अपना टारगेट बनाते हैं।

यूनिवर्सिटी के पास नहीं हैं चार्ट

डॉ। भीमराव अम्बेडकर यूनिवर्सिटी के पास सत्र 2013 14 के चार्ट नहीं है। ये चार्ट शुभ्राटैक एजेंसी के पास हैं। ऐसे में रोल नंबर जेनरेट करा दिया जाए, या फिर किसी के नंबर बढ़वा दिए जाएं, यूनिवर्सिटी अधिकारी किसी को नहीं पकड़ सकते हैं। वेरीफिकेशन के लिए यूनिवर्सिटी अधिकारियों ने नया फार्मूला एफीडेविट का अपना ही लिया है।

रोल नंबर जेनरेट करना आसान

इस समय जो आसार हैं, उनमें सर्वाधिक मुफीद रोल नंबर जेनरेट करना है। पिछले सत्रों में ऐसे कई मामले यूनिवर्सिटी के सामने आ चुके हैं। बीएड सत्र 2005 में एक रोल नंबर जेनरेट करने का मामला खूब उछला था। इस मामले में एटा की एक छात्रा के नाम की जगह दूसरे कॉलेज की छात्रा का नाम चढ़ा हुआ था। इस मामले में जांच हुई। बाद में यूनिवर्सिटी ने ऑरिजिनल छात्रा को मार्कशीट जारी कराई थी। मौजूदा समय की बात की जाए, तो एजेंसी जिसको चाहे, उसे मार्कशीट उपलब्ध करा सकती है। कोई भी रिकॉर्ड न होने से यूनिवर्सिटी अधिकारियों के हाथ भी बंधे हुए हैं।