- 5 दिन में पांच नॉन कोविड अस्पतालों में आपूíतकर्ताओं ने दर्शाई 810 आक्सीजन सिलिंडर की खपत

- संयुक्त टीम की जांच में खुला 'सांसोंच् की कालाबाजारी का खेल

आगरा: ऑक्सीजन के अभाव में मरीज दम तोड़ रहे हैं। तीमारदार ऑक्सीजन सिलिंडर के लिए दौड़ रहे हैं, प्लांटों पर गिड़गिड़ा रहे हैं। दूसरी तरफ आक्सीजन सिलिंडर के आपूíतकर्ताओं और वेंडरों ने जमकर कालाबाजारी की। यहां तक कि बंद हॉस्पिटल के नाम पर भी ऑक्सीजन की आपूíत दर्शा मोटी रकम बनाई गई। यह हकीकत संयुक्त टीम द्वारा शुक्रवार को पांच नॉन कोविड हॉस्पिपटलों की जांच में सामने आई है। टीम ने अपनी रिपोर्ट डीएम को सौंप दी है।

ऑडिट के दिए थे आदेश

कोरोना की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन संकट को देखते हुए शासन ने डीएम को नॉन कोविड अस्पतालों में ऑक्सीजन की आपूíत का ऑडिट करने के आदेश दिए थे। डीएम प्रभु एन सिंह के आदेश पर एसीएम प्रथम जेपी पांडेय, एसीएमओ डॉ। वीरेंद्र भारती, औषधि निरीक्षक राजकुमार सहित अन्य ने श्रीजी अस्पताल, सदाशिव अस्पताल, लाइफ लाइन अस्पताल, कबीर देव अस्पताल, मेट्रो अस्पताल में 30 अप्रैल से चार मई तक सिलिंडरों की आपूíत की जांच की। इन पांच दिनों में एजेंसी और वेंडरों ने पांच हॉस्पिटल में 810 आक्सीजन सिलिंडर की आपूíत का रिकार्ड सौंपा है। इसमें 20 दिन से बंद मेट्रो हॉस्पिटल में भी 80 आक्सीजन सिलिंडर की आपूíत दर्शाई गई है।

पांच अस्पतालों की जांच में कई बातें सामने आई हैं। अस्पतालों में जितनी खपत वेंडर ने दिखाई है। उतने मरीज भर्ती नहीं रहे हैं। न ही अस्पतालों ने ऐसा कोई इंडेंट भेजा है। वेंडर से पांच अस्पतालों के दस्तावेज मांगे गए हैं।

जेपी पांडेय, अपर नगर मजिस्ट्रेट प्रथम

ऑक्सीजन आपूíत की प्रक्रिया

- नियमानुसार ऑक्सीजन की मांग अस्पताल प्रशासन द्वारा की जाती है।

- अस्पताल प्रशासन के इंडेंट पर वेंडर आक्सीजन सिलिंडर भेजता है।

- वेंडर ने जितने सिलिंडर भेजे, उसे रजिस्टर पर अंकित किया जाता है। इसी आधार पर अस्पताल प्रशासन वेंडर को भुगतान करता है।