प्रियंका सिंह
आगरा(ब्यूरो)। बदन सिंह के बेटे डॉ। एसपी सिंह ने बताया कि वे पूरी तरह स्वस्थ थे। कोरोना महामारी के दौरान वह 2 बार संक्रमण की चपेट में आए थे लेकिन दोनों बार वह कोरोना को मात देकर स्वस्थ हो गए ।

पैतृक गांव में होगा अंतिम संस्कार
चौधरी बदन सिंह का अंतिम संस्कार 2 दिसंबर को ग्राम रिठौरा, थाना कागारौल, तहसील किरावली में सुबह 9 बजे किया जाएगा। अंतिम दर्शन के लिए उनके आवास चारबाग, शाहगंज में समर्थकों का तांता लगा हुआ है। इन्क्रेडिबल इंडिया फाउंडेशन के चेयरमैन पूरन डावर, महासचिव अजय शर्मा, समन्वयक ब्रजेश शर्मा आदि ने शोक व्यक्त किया।


लेखन और लोक गीतों पर में आजमाया हाथ
चौधरी बदन सिंह के राजनीतिक जीवन की बात करें तो उनके सामने मैदान में उतरने की किसी में हिम्मत नहीं होती थी। उनको राजनीतिक का धुरंधर भी कहते थे। उन्हें राजनीति का भीष्म पितामह कहते थे। राजनीतिक चेहरा होने के साथ ही वह अच्छे लेखक भी थे।

यह रहीं उनकी लेखनी की किताबें
उनकी पुस्तक बृज के ब्याह गीत काफी मशहूर है। इसमें बृज के गीतों का संकलन है। हिंदी पुस्तक 'वर्ण मंजु मंजरीÓ, बृज के भूले-बिसरे गीत, जिकड़ी भजन आदि पुस्तकें भी उन्होंने लिखीं हैं। उनके 3 बेटे और 3 बेटियां हैं। एक बेटे डॉ। एसपी सिंह पेशे से चिकित्सक हैं।

जनता को सुविधाएं देने के लिए खूब खाए पुलिस के डंडे
फतेहपुर सीकरी। सीकरी से पांच बार विधायक रहे चौ। बदन सिंह शुरू से जुझारू रहे थे। वह हमेशा जनता के लिए आवाज उठाते थे। वह कई आंदोलनों में सक्रिय रहे। जून 1984 में फतेहपुर सीकरी में बिजली पानी की मांग को लेकर चल रहे, आमरण अनशन के दौरान जुलूस से कुपित होकर पुलिस द्वारा आंदोलनकारियों पर जमकर लाठी-डंडे बरसाए। इसमें कई प्रमुख लोगों के साथ विधायक बदन सिंह भी गंभीर घायल हो गए थे।

आंदोलन से जुडी यादों को साझा करते हुये रामकिशन सिंघल ने बताया कि जून 1984 में कस्बे में जल और बिजली संकट को लेकर लोकतंत्र रक्षक सैनानी रामकिशन खण्डेलवाल ने कई दिनों तक आमरण अनशन किया। 16 जून 1984 को विधायक चौ। बदन सिंह के साथ सभी आंदोलनकारियों द्वारा जनता के साथ सरकार विरोधी जलूस निकाला गया। जलूस में रामजीलाल सुमन व कई अन्य प्रमुख लोग भी शामिल थे। जलूस जैसे की घण्टाघर के निकट पहुंचा, पुलिस द्वारा आंदोलनकारियों को जमकर लाठीचार्ज कर दिया और दौड़ा-दौड़ाकर लोगों को पीटा। इस घटना में रामकिशन खण्डेलवाल, विधायक चौधरी बदन सिंह, रामकिशन सिंघल व कई अन्य गंभीर रूप से घायल हुये थे। इस घटना में पुलिस के खिलाफ संगीन धाराओं मुकदमे भी दर्ज किए गए ।


विधायक चौ। बदन सिंह सबसे पहले 1977 में जनता पार्टी की टिकट पर पिता काग्रेंस प्रत्याशी चौधरी बिजेन्द्र सिंह को हरा कर विजयी हुए थे। उसके बाद 1991 में जब वे (नरेन्द्र सिंह) सपा से लड़े तब विधायक बदन सिंह, भाजपा के चौधरी उम्मेद सिंह से पराजित हुए थे।
नरेन्द्र सिंह, इंजीनियर