तिल की फैक्ट्री में एक साथ थे पार्टनर

फर्जी हस्ताक्षर कर लिया चार बार लोन

आगरा। थाना न्यू आगरा क्षेत्र में पार्टनर ने अपने साथी को बड़ा धोखा दे दिया। उसके नाम का सहारा लेकर बैंक से लोन ले लिया, जबकि लोन में प्रॉपर्टी पार्टनर की दिखाकर उसे गारंटर बना दिया। पीडि़त को इसकी जानकारी तब हुई, जब बैंक से उनके पास नोटिस आया। पुलिस ने वादी पक्ष से चक्कर भी लगवाए, लेकिन मुकदमा दर्ज नहीं किया।

पार्टनरशिप में होता था काम

राधा बिहार, कमला नगर निवासी कृष्ण मुरारी गर्ग की शाहदरा में तिल की फैक्ट्री है। लम्बे समय से कृष्ण मुरारी की दोस्ती बी-657 कमला नगर निवासी राम अवतार अग्रवाल से थी। वादी के बेटे सोनू के मुताबिक 1979 में कृष्ण मुरारी गर्ग ने शाहदरा में अपनी 15 हजार गज जमीन के हिस्से में तिल की फैक्ट्री बनाई। उस दौरान राम अवतार अग्रवाल किसी के यहां पर नौकरी किया करते थे।

दोस्त की मदद की

दोस्त को नौकरी करना देख उन्हें ठीक नहीं लगा तो उन्होने राम अवतार गर्ग को अपने काम में पार्टनर बना लिया। दोनों की पार्टनरी में काम चलने लगा। आरोप है कि जुलाई 2014 में राम अवतार अग्रवाल ने बैंक ऑफ इंडिया शाखा न्यू आगरा में पौने तीन करोड़ का लोन एप्लाई किया। लोन में धोखाधड़ी से कागज शाहदरा वाली जमीन के लगा दिए। कागजों पर कृष्ण मुरारी गर्ग के फर्जी हस्ताक्षर कर दिए।

बैंक अधिकारियों की रही मिली भगत

वादी के बेटे सोनू के मुताबिक इस मामले में तत्कालीन बैंक अधिकारियों की पूरी-पूरी मिली भगत रही। उन्होने पिता को कभी फोन कर इस मामले की जानकारी नहीं दी। इनमें से वर्तमान में एक बैंक अधिकारी छिबरामऊ ब्रांच में तैनात हैं। उस दौरान वह फील्ड ऑफिसर थे। दूसरे अधिकारी जयपुर में तैनात हैं। उस दौरान वह प्रबंधक थे।

चार बार कराया लोन

एक बार लोन क्लीयर हो जाने के बाद आरोपी पक्ष के मन से डर निकल गया। इसके बाद आरोपी पक्ष ने एक के बाद कुल 9 करोड़ के चार लोन कराए। इस धनराशि की वेल्यू वर्तमान में 11 करोड़ रुपये है। राम अवतार अग्रवाल ने बिल्डर का काम शुरु कर दिया। मुगल रोड पर इनकी बिल्डिंग और ऑफिस है।

नोटिस आने पर हुई जानकारी

जुलाई 2016 में राम अवतार अग्रवाल को बिल्डर वाली फर्म में नुकसान हो गया जिससे उसके लोन की किस्त रुक गई। किस्त रुकने पर बैंक ने कृष्ण मुरारी गर्ग को नोटिस भेजा। एक बार नोटिस आने पर गौर नहीं किया गया, लेकिन जब फिर से नोटिस आया तो उनका माथा ठनका इसके बाद पता किया गया तो पैरों तले जमीन खिसक गई।

बैंक और पुलिस दोनों ने घुमाया

सोनू के मुताबिक इस मामले में पुलिस से शिकायत की, लेकिन सुनवाई नहीं हुई। इसके बाद बैंक से आरटीआई मांगी कि कौन से दस्तावेजों से लोन दिया है। इस पर वहां से मात्र एक कागज ही दिया गया। पुलिस से जब भी शिकायत की, लेकिन टरका दिया गया। एसएसपी से शिकायत करने पर मुकदमा पंजीकृत हुआ। साढ़े चार महीने के बाद मुकदमा दर्ज हो सका है। सोनू के मुताबिक आरोपी कृष्ण मुरारी पर पहले भी धोखाधड़ी आदि के पांच मुकदमें दर्ज हैं। इस मामले में बिल्डर व उसकी पत्‍‌नी, बेटे, बेटी व बैंक के पूर्व दो अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा पंजीकृत हुआ है।