केस 1-

सेंट्रल बैंक रोड कमला नगर स्थित एक इंस्टीट्यूट में बीते दिनों एडमीशन के लिए एक कॉल आया। कॉल करने वाले ने इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर से अपनी बहन के एडमीशन को लेकर डिटेल कलेक्ट की और तत्काल एडमीशन के लिए हामी भर दी। ऑनलाइन कोर्स के लिए डायरेक्टर ने फीस सजेक्ट की, जिसपर कॉलर ने एक फेमस ऑनलाइन पेमेंट एप से फीस जमा कराने का प्रस्ताव भी रख दिया। जिसके बाद पेमेंट एप पर 20 हजार रुपए पेमेंट का एक मैसेज भी फ्लैश होने लगा। इंस्टीट्यूट संचालक अभी पेमेंट पर क्लिक करने की वाले थे कि मैसेज पर नजर पड़ी। यहां स्क्रीन पर शातिर ने 20 हजार रुपए का एमाउंट पे के बजाय रिक्यूस्ट पर रखा था। पे पर एक क्लिक होते ही खाते से 20 हजार रुपए गायब हो जाते। इंस्टीट्यूट संचालक ने नंबर के साथ डिटेल साइबर सेल को शेयर करते हुए कार्रवाई की मांग की है।

केस 2-

बल्केश्वर के एक ट्रेडर को बल्क परचेजिंग का झांसा देकर साइबर क्रमिनल ने 20 हजार रुपए ठग लिए। ट्रेडर्स के पास एक कॉल आया और कॉलर ने बल्क में ग्रासरी का आर्डर दिया। पेमेंट पर कॉलर ने पेमेंट एप का ऑप्शन रखा। जिसके बाद ट्रेडर के मोबाइल पर 20 हजार की रकम का मैसेज पेमेंट एप पर आया। ट्रेडर ने पेमेंट पर जैसे ही क्लिक किया वैसे ही एकाउंट से 20 हजार रुपए उड़ गए। एक्चुअल में हुआ यह था कि ट्रेडर को पेमेंट एप पर 'पे' के स्थान पर क्लिक कर दिया था।

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-एक पेमेंट एप पर ऑनलाइन ट्रांजिक्शन में कर रहे ठगी

-आगरा के एक इंस्टीट्यूट संचालक से शातिरों ने किया का प्रयास

-एक कारोबारी को प्रलोभन देकर खाते से उड़ाए 20 हजार

आई एक्सक्लूसिव

आगरा: आगरा में कमला नगर स्थित एक इंस्टीट्यूट के संचालक से एक पेमेंट एप पर ऑनलाइन ठगी का प्रयास किया गया। वहीं, एक कारोबारी के एकाउंट से 20 हजार रुपए उड़ा दिए। एक-दो नहीं बल्कि आगरा साइबर सेल में रोजाना एक दर्जन से अधिक ऐसी शिकायतें आ रही हैं, जिनमें पेमेंट एप्स के माध्यम से लोगों को ठगी का शिकार बनाया जा रहा है। जानकारी के अभाव और लालच में फंसकर लोग अपनी गाढ़ी कमाई गंवा रहे हैं।

कैसे बनते हैं शिकार?

इस प्रकार की ठगी के शिकार वे लोग होते हैं जो पेमेंट एप का प्रयोग करते हैं। डिजिटल लेन-देन के लिए अब इन एप का चलन काफी हो गया है। साथ ही, कुछ लोग शौक या फैशन के तौर पर भी इन एप्स का प्रयोग करने लगे हैं, जबकि उन्हें इन एप को सही तरीके से इस्तेमाल करना नहीं आता। और तो और, तमाम समझदार लोग भी हैं जो पेमेंट एप पर आए मैसेज को ध्यान से नहीं पढ़ते और जल्दी से पे वाली जगह पर क्लिक कर देते हैं टैप पर देते हैं।

पेमेंट एप की सुरक्षा

हर पेमेंट एप की दो तरह से सुरक्षा की जाती है। पहला एमपिन और दूसरा यूपीआई पिन। एमपिन चार या छह अंकों का होता है। इस पिन के बिना पेमेंट एप को नहीं खोला जा सकता। कुछ एप में यह पिन जरूरी तो कुछ में वैकल्पिक होता है। वहीं किसी से पैसा मंगाना है तो एप को खोलने के लिए एमपिन का प्रयोग करना होगा। यूपीआई पिन भी चार या छह अंकों का होता है। यूपीआई पिन के बिना न तो किसी को पैसा भेजा जा सकता है और न ही अकाउंट का बैलेंस चेक किया जा सकता है। हालांकि पैसा लेने के लिए किसी भी प्रकार के पिन की जरूरत नहीं पड़ती। पैसे देने यानी पे करने के लिए इसकी जरूरत होती है।

ऐसे करते हैं ठगी

-जालसाज सेल-परचेज वेबसाइट पर अपना शिकार ढूंढते हैं। ये जालसाज उस शख्स को फोन करते हैं और कुछ महंगे सामान जैसे मोबाइल, लैपटॉप, व्हीकल, फर्नीचर आदि खरीदने का नाटक रचते हैं।

-बात करते हुए जालसाज सामान बेच रहे शख्स से मोलभाव कर एक दाम तय करता है। जालसाज 50 प्रतिशत रकम शुरू में देने की बात कहता है और बाकी की रकम सामान खरीदने पर। ऐसे में सामान बेचने वाला शख्स भी लालच में आ जाता है।

-सामान की कीमत तय होने पर जालसाज पेमेंट एप के जरिए ही भेजने की बात कहता है। फिर पेमेंट एप का नाम और उससे जुड़ा मोबाइल नंबर मांगता है। सामान बेचने वाला शख्स जालसाजों को पेमेंट एप से जुड़ा मोबाइल नंबर दे देता है।

-क्योंकि डील पक्की हो चुकी होती है, इसलिए ये जालसाज फोन पर बात करने के दौरान टोकन मनी की रकम अपने पेमेंट एप से पैसे भेजने की जगह पैसे लेने यानी रिक्यूस्ट मनी का ऑप्शन भेज देते हैं और सामने वाले शख्स से कहते हैं कि रकम भेज दी है, प्लीज आप उसे ओके कर दीजिए और यूपीआई पिन डालकर बैलेंस चेक कर लीजिए।

-बातचीत के दौरान सामान बेचने वाला व्यक्ति मैसेज को ध्यान से पढ़ नहीं पाता। वह बस रकम देखता है और पे को ओके समझकर उस पर टैप पर देता है। साथ ही बैलेंस चेक करने के लिए यूपीआई पिन डाल देता है। ऐसा करते ही उसके पेमेंट एप से पैसे कट जाते हैं और जालसाज के अकाउंट में आ जाते हैं।

-फोन डिस्कनेक्ट होने के बाद उस शख्स को पता चलता है कि उसके पेमेंट एप से जालसाज ने पैसे अपने अकाउंट में ट्रांसफर करा लिए हैं। जब जालसाज को फिर से फोन किया जाता है तो वह फोन नहीं उठाता या उसका मोबाइल नंबर बंद आता है।

इन बातों का रखें ध्यान

-अगर आप किसी शख्स को पेमेंट एप के जरिए पैसे भेज रहे हैं, तो इसके लिए एमपिन और यूपीआई पिन की जरूरत होती है। बिना यूपीआई पिन के किसी को भी पैसा नहीं भेजा जा सकता।

-यह ठीक उसी तरह है जैसे आप अपने बैंक में जाकर पैसे निकालते हैं। इसके लिए पैसे निकालने वाली स्लिप या चेक पर आपका साइन होना जरूरी है। यूपीआई पिन ही एक तरह से आपका साइन है।

-अगर कोई आपको पेमेंट एप के जरिए पैसे भेज रहा है तो आपको पेमेंट एप पर कहीं टैप करने की जरूरत नहीं है और न ही कोई पिन डालने की।

-यह ठीक उसी तरह है जैसे कोई भी आपके बैंक अकाउंट में पैसे जमा करा सकता है। इसके लिए पैसे जमा करने वाली स्लिप पर आपका साइन होना जरूरी नहीं है।

-यह पेमेंट एप में रेक्यूस्ट के नाम से होता है। इसका अर्थ है कि जिस शख्स ने यह मैसेज भेजा है, वह आपसे पैसे मांगना चाहता है। अगर आपने पे पर क्लिक करके यूपीआई पिन डाल दिया तो आपके अकाउंट से पैसे उसके अकाउंट में चले जाएंगे।

मिल सकती है रकम

अगर आपके साथ इस तरह की कोई ठगी हो गई है तो रकम वापस मिलना मुश्किल होता है। फिर भी बेहतर है कि आप कुछ कदम उठाएं। हो सकता है कि जालसाज पकड़ में आ जाए और आपकी रकम वापस मिल जाए। इसके लिए जालसाज का फोन नंबर जिस पर आपकी बात हुई थी, उसे अपने पास संभालकर रखें। साथ ही ट्रांजेक्शन आईडी और उसका स्क्रीन शॉट भी ले लें। ये सबूत के तौर पर काम आएंगे। नजदीकी क्राइम ब्रांच में सबूत देकर शिकायत दर्ज कराएं और उसकी एक कॉपी जरूर ले लें।

गूगल साइट से न लें नंबर

फर्जी कस्टमर केयर का ऑनलाइन खेल भी आजकल खूब चल रहा है। इसमें गूगल पर साइट बनाकर नामी कंपनियों के कस्टमर केयर के गलत नंबर लिखे जाते हैं। आप जब गूगल सर्च में इन नंबरों को ढूंढकर फोन करते हैं तो वे जालसाजों का नंबर निकलते हैं और आपको पता भी नहीं चलता। इसलिए गूगल साइट से कस्टमर केयर के नंबर न लें।

स्क्रीन शेयर करने वाले किसी भी एप को डाउनलोड करने से पहले उसके काम करने के तरीके को ढंग से समझ लेना बेहतर रहता है। बिना जानकारी ये एप यूजर को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसके साथ ही इस बात का जरूर ध्यान रखें कि कोई भी बैंक अपने ग्राहकों को थर्ड पार्टी एप डाउनलोड करने के लिए नहीं कहता है।

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कभी-कभी समझदार लोग भी पेमंट एप पर आए मेसेज को ध्यान से नहीं पढ़ते और जल्दी से पे वाली जगह पर क्लिक कर देते हैं। झांसे में न आएं और अपने खाते को सिक्यॉर रखें, यूपीआई, पिन, एमपिन यूज करें। खाते में ज्यादा पैसे न रखें, ऐसे फ्रॉड के लिए बैंक जिम्मेदार नहीं होते।

-सचिन सारस्वत, साइबर एक्सपर्ट

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रोजाना ऐसे कई मामले साइबर सेल में आते हैं। थानों से भी ऑनलाइन फ्रॉड की शिकायतें आती हैं। लुभावने ऑफर्स में न फंसे। किसी भी तरह के ट्रांजिक्शन से पहले एडवाइजरी पर गौर करें। आजकल लोग पेमेंट एप का जमकर प्रयोग कर रहे हैं। ऐसे में सतकर्ता बरतकर ठगी का शिकार होने से बचा जा सकता है।

-अमित सिंह, प्रभारी, साइबर सेल