(आगरा ब्यूरो) डॉ। भीमराव अंबेडकर यूनिवर्सिटी में डिग्री और मार्कशीट की समस्या जस की तस बनी है। यूनिवर्सिटी की वेबसाइट पर ऑनलाइन एप्लाई करने के बाद भी दूर-दराज से आने वाले स्टूडेंट्स कार्यालयों में भटकने को मजबूर हैं। इस समस्या को दूर करने के लिए कई बार अभियान के रूप में भी कार्य किया गया, लेकिन इसके बाद भी यूनिवर्सिटी प्रशासन द्वारा ठोस उपाय नहीं किए जा रहे हैं, जिसके चलते आज भी रोजाना दर्जनों स्टूडेंट्स कार्यालय पहुंच रहे हैं।

शुरु की हेल्पडेस्क
यूनिवर्सिटी में स्टूडेंस की समस्या का निस्तारण करने के लिए तत्कालीन कुलपति डॉ। अरविंद दीक्षित द्वारा हेल्प डेस्क छात्रों की सुविधा को ध्यान में रख हेल्पडेस्क खोली गई, जहां हेल्पडेस्क पर अंकतालिका, डिग्री न मिलने, माइग्रेशन, नामांकन संख्या गलत होने, विषय के अंक दर्ज न होने, अंक गलत दर्ज करने, चुनौती मूल्यांकन के मामले की कंप्लेन की जाती है। शिकायतें निस्तारण के लिए छात्रों को तीन से पांच दिन में संपर्क करने के लिए कहा गया है।

डाक से भेजी गईं डिग्रियां
यूनिवर्सिटी द्वारा पिछले महीने से डिग्रियों को अंतिम रूप देने का काम अभियान के रुप में शुरु किया गया था, जिसमें फ्री में कॉलेजों को डिग्री उपलब्ध कराने का दावा किया गया था, जिसके अंतर्गत लंबे समय से यूनिवर्सिटी कार्यालयों में पेंडिंग डिग्री की समस्या को सॉल्व करते हुए डिग्रियों का वितरण किय गया था, इन डिग्रियों को तैयार कर पोस्ट से छात्रों के घर भेजने का काम भी किया गया था, जिसमें हर रोज 120 से 150 तक डिग्रियां डाक से भेजी जा रही हैं।

5 वर्षो की डिग्री भेजने का दावा
स्टूडेंट्स की सुविधा के लिए दूसरे चरण में ऐसी डिग्रियों को भी तैयार कर दिया गया है, जिनके आवेदन छात्रों ने नहीं किए हैं। यह डिग्रियां भी वर्ष 2015 से 2019 के बीच की हैं। पूर्व कुलपति प्रो। अशोक मित्तल के निर्देशों पर परीक्षा नियंत्रक ने कर्मचारियों की एक टीम तैयार की, जो छलेसर परिसर में डिग्रियों को अंतिम रूप देने में जुटी है।

समय से नहीं हो रहा निस्तारण
यूनिवर्सिटी प्रशासन की समस्या है कि उनके पास जितनी डिग्रियां रखीं हैं, उस अनुपात में आवेदन नहीं हो रहे हैं। वहीं, जो आवेदन हो रहे हैं उनको समय पर डिग्री नहीं मिल पा रही है। अधिकारियों द्वारा बनाई गई योजनाओं के बाद भी हजारों डिग्री पेंडिंग में हैं। दो वर्ष में ऑनलाइन डिग्री के लिए करीब 25 हजार आवेदन हुए। इसमें से 8 हजार के करीब डिग्रियां दी गईं हैं, बाकी लंबित हैं। तमाम छात्रों की डिग्री तीन-चार साल के बाद भी नहीं पहुंच पाई है।

.केस एक
अलीगढ़ के रहने वाले राहुल ने बताया कि बीए 2013 की डिग्री है, इसमें मेरे नाम की स्पेलिंग गलत है। ठीक कराने के लिए तीन बार प्रार्थना पत्र दे चुका हूं। अधिकारी और पटलों के चक्कर काट-काट कर परेशान हूं। अभी पता चला कि एप्लीकेशन खो चुकी है, फिर देनी होगी।
राहुल, छात्र

केस दो
मथुरा के रहने वाले कृष्णा ने बताया कि मेरी बहन रेखा बीए कर चुकी है। उसके एक पेपर में नंबर नहीं चढ़ाए गए हैं, बाकी के सब्जेक्ट में नंबर अच्छे हैं, मूल्यांकन में गड़बड़ी की जांच कराने के लिए प्रार्थना पत्र दिया है। लेकिन अभी तक समस्या का निस्तारण नहीं हो सका है। कहा जा रहा है। यूनिवर्सिटी खुलने के बाद ही समस्या का समाधान किया जाएगा।
कृष्णा, छात्र
केस तीन
सिकंदरा के बाईंपुर मेें रहने वाले अमित खंदारी कैंपस से स्नातक कर रहे हैं, बैचलर ऑफ फाइन आर्ट के छात्र हैं। अंकतालिका में पिता के नाम की स्पेलिंग गलत है। ऐसे करीब 10 से अधिक छात्र हैं, उनकी अंकतालिका में भी यही गड़बड़ी है। तीन महीने से चक्कर काट रहे हैं, लेकनि अभी तक समस्या का निस्तारण नहीं हो सका है।
अमित यादव, छात्र


डिग्री और मार्कशीट की समस्या दूर करने के लिए स्टूडेंट्स की सुविधा के लिए अभियान चलाकर डिग्रियां वितरित की गईं, इसका कोई शुल्क भी नहीं लिया गया। आगे भी स्टूडेंट्स की समस्या निस्तारण के लिए हर संभव प्रयास किया जाएगा।
प्रो। प्रदीप श्रीधर, पीआरओ डॉ.भीमराव अंबेडकर यूनिवर्सिटी