आगरा(ब्यूरो)। आगरा के ज्योतिषाचार्य एवं रत्न विशेषज्ञ सैयद इमरान ने बताया कि इस साल तकरीबन हर माह कहीं न कहीं बारिश देखने को मिल सकती है, लेकिन सूर्य, शुक्र व मंगल की स्थिति तापमान में वृद्धि का कारण बनती दिख रही है। मुमकिन है कि आगामी कुछ दिनों में सर्दी की वापसी हो, लेकिन यदि पूरे साल की बात की जाए तो इस साल ग्रहों और नक्षत्रों की स्थिति ज्यादा गर्मी की ओर इशारा कर रही है।

नक्षत्र की स्थिति से बढ़ेगी गर्मी
ज्योतिषाचार्य सैयद इमरान का कहना है कि इस साल गर्मी के कारण माने जाने वाले ज्येष्ठा नक्षत्र, मूल नक्षत्र, मंगल प्रधान धनिष्ठा नक्षत्र, रेवती नक्षत्र आदि की स्थिति देश में इस बार ज्यादा गर्मी बिखेरती दिख रही है। इस कारण जहां पूर्वोत्तर के राज्यों समेत पश्चिमी, उत्तर पश्चिमी राज्यों में तापमान कुछ अधिक रहेगा। वहीं गंगा के आसपास के क्षेत्रों में तापमान कम रहने की संभावना है। इस वर्ष सूर्य, शुक्र व मंगल की स्थिति साफ दर्शा रही है कि कई क्षेत्रों में लू की लपट गर्मी के मौसम में देखने को मिलेगी। इसके चलते तापमान में वृद्धि होगी। इसके अलावा अधिकांश क्षेत्रों में ये ग्रह अपना प्रभाव छोड़ते हुए तेजी से तापमान में वृद्धि करेंगे।

मार्च में बारिश होने की संभावना
इस महीने यानि मार्च 2022 में भारत के पश्चिम क्षेत्र में काफी अधिक बारिश हो सकती है। जहां तक ग्रहों की स्थिति का सवाल है तो इस साल यानि 2022 में ग्रह और नक्षत्र की स्थितियां भारत के पश्चिमी, उत्तरी, पूर्वी सहित मध्य के अधिकांश क्षेत्रों में गर्मी में इजाफा करते दिख रहे हैं। जबकि उत्तर मध्य,पूर्व मध्य और पश्चिम मध्य क्षेत्रों में तापमान कम रह सकता है।


इस बार सूर्य, शुक्र व मंगल की स्थिति ऐसी है कि तापमान में वृद्धि होगी यानि गर्मी अधिक पड़ेगी।
- सैयद इमरान, ज्योतिषाचार्य

होलाष्टक में न करें शुभ कार्य
आगरा। ज्योतिषाचार्य सैयद इमरान ने बताया कि फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से होलाष्टक शुरू हो जाते हैं और फाल्गुन पूर्णिमा तिथि यानी होलिका दहन तक होलाष्टक खत्म हो जाते हैं। होली से आठ दिन पहले होलाष्टक शुरू हो जाते हैं। इस बार 28 फरवरी से होलाष्टक शुरू हो चुके हैैं और सात मार्च को होलिका दहन के साथ खत्म हो जाएंगे। होलाष्टक में कोई भी मांगलिक कार्य जैसे गृह प्रवेश, मुंडन, नामकरण, शादी-विवाह आदि करना वर्जित बताया गया है। होलाष्टक के समय नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ जाता है, इसी प्रभाव को खत्म करने के लिए होलिका दहन किया जाता है।