-आगरा के संप्रेक्षण गृह में निरुद्ध किशोर की मौत के प्रकरण में लापरवाही पर शासन ने की कार्रवाई

-दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने प्रोबेशन विभाग की भूमिका पर किया था खबर का प्रकाशन

-प्रकरण को संज्ञान में लेकर निदेशक महिला कल्याण विभाग ने सहायक अधीक्षक को तत्काल किया था सस्पेंड

-निदेशक ने की थी डीपीओ के संस्पेंशन की संस्तुति, 2 माह बाद शासन ने उठाया कदम

आगरा: करीब दो माह बाद शासन ने आगरा के जिला प्रोबेशन अधिकारी लवकुश भार्गव को सस्पेंड कर दिया है। राजकीय संप्रेक्षण गृह में जनवरी माह में हुए एक बाल अपचारी की मौत के प्रकरण में लापरवाही उजागर होने पर शासन कार्रवाई को अमल में लाया है। बाल अपचारी की मौत के प्रकरण में ही निदेशक महिला कल्याण विभाग मनोज राय द्वारा तत्काल कार्रवाई करते हुए संप्रेक्षण गृह के सहायक अधीक्षक रतन सिंह वर्मा को सस्पेंड कर दिया था जबकि डीपीओ के खिलाफ सस्पेंशन के लिए शासन को लिखा था। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट में लगातार खबरों के प्रकाशन के शासन ने लापरवाही पर बड़ी कार्रवाई की है।

यह था घटनाक्रम

आगरा के मलपुरा स्थित राजकीय संप्रेक्षण में निरुद्ध किशोर की 30 जनवरी को इलाज के दौरान एसएन मेडिकल कॉलेज में मौत हो गई थी। किशोर टीबी की बीमारी से पीडि़त था। मेडिकल कॉलेज में प्रोबेशन विभाग के स्टाफ ने बाल अपचारी को 29 जनवरी को शाम करीब साढ़े 6 बजे गंभीर हालत में किशोर को एडमिट कराया गया था। टीबी की पुष्टि के बाद किशोर को मेडिकल कॉलेज के टीबी विभाग में भर्ती कराया गया। तत्कालीन विभागाध्यक्ष डॉ। संतोष कुमार ने बताया था कि मरीज के दाएं फेफड़े में गंभीर इनफेक्शन था, जिसके चलते उल्टियों के साथ ब्लड आने लगा। और उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई। प्रोबेशन विभाग का स्टाफ बालक को एडमिट कराकर अस्पताल ने गायब हो गया, इतना ही नहीं बालक की मौत के बाद उसके परिजनों को जानकारी दी गई। बता दें कि जनपद एटा के गांव नया बांस का रहने वाला किशोर 18 सितंबर 2019 से राजकीय बाल संप्रेक्षण गृह में निरुद्ध था। धारा 377, 308 और पॉक्सो एक्ट में तहत किशोर को संप्रेषण गृह में लाया गया था।

नहीं चल रहा था टीबी का इलाज

पोस्टमार्टम हाउस के बाहर मृत किशोर के परिजनों ने राजकीय बाल संप्रेक्षण गृह पर इलाज में लापरवाही का आरोप लगाया था। मृतक की मां ने बताया था कि संप्रेक्षण गृह में आने से पहले कोई दिक्कत नहीं थी, दो वर्ष में ही बीमारी बनी। मां का आरोप था कि संप्रेक्षण गृह के अधिकारियों ने उन्हें नहीं बताया था कि बालक को टीबी है। बीमारी पर भी सिर्फ इतना ही कहा था कि अस्पताल आ जाओ। आगरा आकर पता लगा कि मौत हो चुकी थी। प्रकरण में एक ओर जहां डीपीओ समेत प्रोबेशन विभाग का स्टाफ की लापरवाही उजागर हो रही थी। वहीं, दूसरी ओर कस्टडी में किशोर की मौत पर महिला कल्याण एवं बाल विकास विभाग ने जबाव-तलब कर लिया। निदेशक मनोज राय ने आगरा से प्रकरण पर रिपोर्ट तलब की जिसे भी 4 दिन बाद उपलब्ध कराया गया। इस दौरान निदेशालय द्वारा डीपीओ को लगातार फोन किया गया, किंतु उनका फोन स्विच ऑफ रहा।

सहायक अधीक्षक तत्काल सस्पेंड

गंभीर प्रकरण में लापरवाही उजागर होने पर निदेशक, महिला कल्याण मनोज राय ने राजकीय संप्रेक्षण गृह के सहायक अधीक्षक रतन सिंह वर्मा को तत्काल सस्पेंड कर दिया गया था। जबकि निदेशक ने जिला प्रोबेशन अधिकारी लवकुश भार्गव के खिलाफ चार्जशीट बनाकर शासन को सौंप दी थी। इसके अलावा उन्होंने प्रकरण में उच्च स्तरीय जांच सेटअप कर दी, सहायक अधीक्षक वीएस निरंजन को जांच अधिकारी बनाया गया था। जांच अधिकारी की रिपोर्ट में भी डीपीओ समेत सहायक अधीक्षक की लापरवाही उजागर हुई। जिसके बाद शासन ने रिपोर्ट को संज्ञान में लेकर शुक्रवार डीपीओ को भी सस्पेंड कर दिया।

फर्जी हेल्थ कार्ड पर फंसे

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश, हाईकोर्ट की निगरानी और जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के संरक्षण में संचालित संप्रेक्षण गृह में निरुद्ध बाल अपचारियों को आगरा में फर्जी हेल्थ कार्ड थमा दिए गए थे। टीबी जैसी गंभीर बीमारी से पीडि़त किशोर की बीमारी को डायग्नोस नहीं किया गया, जबकि संप्रेक्षण गृह में हर सप्ताह हेल्थ चेकअप के निर्देश हाईकोर्ट द्वारा दिए गए हैं। मृत किशोर को एक फर्जी हेल्थ कार्ड प्रोबेशन विभाग ने दे दिया, जिसमें किशोर को स्वस्थ बताया जा रहा था। जांच कमेटी ने इसे गंभीर लापरवाही करार दिया। इस प्रकरण उप्र बाल आयोग संज्ञान ले चुका था। आयोग के अध्यक्ष विशेष गुप्ता ने किशोर की मौत पर प्रोबेशन विभाग की भूमिका के जांच के निर्देश जिलाधिकारी प्रभु एन सिंह को दिए थे।

कार्रवाई की यह बनी वजह

-टीबी जैसी गंभीर बीमारी से पीडि़त किशोर का समय से चेकअप नहीं किया गया और उसे फर्जी हेल्थ कार्ड थमा दिया गया। जबकि प्रदेश सरकार द्वारा घर-घर टीबी मरीजों की पड़ताल की जा रही है।

-पोस्टमार्टम हाउस के बाहर मृत किशोर की मां प्रोबेशन विभाग पर बच्चे की बीमारी की जानकारी न देने का आरोप लगा रही थी। जांच में पुष्ट हो गया कि प्रोबेशन विभाग द्वारा परिजनों को बच्चे की बीमारी की जानकारी नहीं दी गई। बल्कि मौत के बाद सूचना दी गई।

-आगरा के संप्रेक्षण गृह में निरुद्ध किशोर की मौत की सूचना को प्रोबेशन विभाग के अधिकारियों ने छिपाया। दो दिन बाद किशोर की मौत के संबंध में पूछने पर अधिकारियों ने निदेशक मनोज राय को जानकारी दी।

-जिला प्रोबेशन अधिकारी अवकाश पर थे, गंभीर घटनाक्रम के दौरान भी उनका फोन स्विच ऑफ रहा और निदेशालय स्तर पर भी कोशिश के बाद उनसे बात नहीं हो सकी। जिसे निदेशालय ने गंभीर अनुसाशनहीनता माना है।

-प्रोबेशन विभाग की लापरवाही से संप्रेक्षण गृह के 3 अन्य किशोरों में जांच के बाद टीबी की पुष्टि हुई है। ऐसे में गंभीर लापरवाही से गृह में निरुद्ध सभी किशोरों के सामने स्वास्थ्य संकट खड़ा कर दिया।

-महिला कल्याण निदेशालय द्वारा तलब रिपोर्ट में तथ्यों को छिपाने का प्रयास किया गया।

आगरा के संप्रेक्षण गृह में निरुद्ध किशोर की मौत के प्रकरण में जिला प्रोबेशन अधिकारी लवकुश भार्गव को सस्पेंड कर दिया गया है। इसी प्रकरण में पूर्व में सहायक अधीक्षक रतन सिंह वर्मा को निदेशालय स्तर पर सस्पेंड किया जा चुका है। सहायक निदेशक वीएस निरंजन को इस प्रकरण का जांच सौंपी गई थी। जांच में लापरवाही की पुष्टि पर डीपीओ के विरुद्ध शासन में चार्जशीट दाखिल की गई, जिसपर कार्रवाई को अमल में लाया गया है।

-मनोज राय, निदेशक, महिला कल्याण एवं बाल विकास