आगरा: शहर के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ.एससी अग्रवाल की पुत्रवधु डॉ। दीप्ति आखिर जिंदगी की जंग हार गईं। तीन दिन से उनका फरीदाबाद के सर्वोदय अस्पताल में इलाज चल रहा था। गुरुवार सुबह उनकी मृत्यु हो गई। दीप्ति के पिता डॉक्टर नरेश मंगला ने बेटी की हत्या करने का आरोप लगाया है।

ताजगंज के विभव नगर स्थित विभव वैली व्यू अपार्टमेंट में तीन अगस्त को एनेस्थीसिया विशेषज्ञ डॉ। दीप्ति ने फांसी लगा ली थी। पति हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ। सुमित अग्रवाल व अन्य स्वजन गंभीर हालत में उन्हें फरीदाबाद ले गए। मंगलवार को पूछताछ को गई पुलिस टीम को फरीदाबाद के चिकित्सकों ने दीप्ति के कोमा में होना बताया था। एसएसपी बबलू कुमार ने बताया कि महिला चिकित्सक के पिता ने शुक्रवार को तहरीर देने की बात कही है।

सुसाइड नोट की होगी फोरेंसिक जांच:

पुलिस और फोरेंसिक टीम को दीप्ति के फ्लैट में उनके बेड पर चार अगस्त को एक सुसाइड नोट मिला था। डॉ। दीप्ति ने अपने सुसाइड नोट में किसी को अपनी मौत के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया है। इंस्पेक्टर ताजगंज नरेंद्र कुमार ने बताया कि सुसाइड नोट को हस्तलेख की जांच के लिए विधि विज्ञान प्रयोगशाला भेजा जाएगा।

पिता ने कहा-बेटी को खोया है, चुप नहीं बैठूंगा

दीप्ति के पिता डॉ। नरेश मंगला कोसी (मथुरा) के प्रतिष्ठित डॉक्टर हैं। उनका आरोप है कि दीप्ति को काफी समय से दहेज के लिए प्रताडि़त किया जा रहा था। उसके साथ मारपीट की जाती थी। पूर्व में दीप्ति के साथ मारपीट भी की गई। इसका उन्होंने (डॉ। नरेश) मेडिकल भी कराया था। उस दौरान माफीनामा के बाद मामले को रफा-दफा करा दिया। तीन अगस्त को दीप्ति के ससुर का उनके पास फोन आया था। वह डॉ। दीप्ति पर घर तोड़ने का आरोप लगा रहे थे। मैंने उन्हें समझाने का भी प्रयास किया। मैंने बेटी से भी बात की थी। वह बिल्कुल ठीक थी। उसकी मां व भाई से भी बात हुई। उनकी बेटी ने खुदकशी नहीं की, उसकी हत्या हुई है। तीन अगस्त को उन्हें बेटी के फंदे से लटके होने की सूचना मिली थी। दामाद डॉ। सुमित अग्रवाल ने बेटी को अपने ही अस्पताल में भर्ती किया। वहां कोई क्रिटिकल केयर एक्सपर्ट नहीं था। उनका कहना था कि मैंने अपनी बेटी को खोया है, चुप नहीं बैठूंगा। वह शुक्रवार को आगरा आकर इसके तथ्य पुलिस और मीडिया के सामने भी रखेंगे। इस मामले में मुकदमा भी कराएंगे।

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डॉ। दीप्ति के गर्भस्थ शिशु का नाम था क्रिशव

सुसाइड नोट में दीप्ति ने लिखा था कि मुझे क्रिशव के साथ चला जाना चाहिए था। डॉ। नरेश मंगला ने बताया कि दीप्ति ने अपने गर्भस्थ शिशु का नाम क्रिशव रख लिया था। प्रसव के समय उसको बचाया नहीं जा सका। इससे दीप्ति बहुत आहत थी।

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बेटी ने दी शव को मुखाग्नि

डॉ। दीप्ति का शव गुरुवार को फरीदाबाद से कोसी लाया गया। उनकी दो वर्षीय बेटी इनाया ने मुखाग्नि दी। भाई अभिषेक ने भांजी को गोद में लेकर अंतिम संस्कार की रस्म पूरी कराई।