यूनिवíसटी एग्जाम के 15 दिनों में एक भी नकलची नहीं पकड़ा गया

-रोजाना परीक्षा केन्द्रों पर पहुंच रही फ्लाइंग स्क्वॉयड की टीमें

-महाविद्यालयों में एग्जाम दे रहे स्टूडेंट्स कर रहे नकल की शिकायत

आगरा। डॉ। भीमराव अंबेडकर यूनिवíसटी में फाइनल एग्जाम चल रहे हैं। एग्जाम को गुणवत्ता परक बनाने के लिए कुलपति प्रोफेसर अशोक मित्तल के निर्देशन पर फ्लाइंग स्क्वॉयड की आठ टीमों का गठन किया गया है, जो शहर से बाहर दूसरे जिलों में भी नकल को रोकने के लिए छापामार कार्रवाई करतीं हैं। एग्जाम को 15 दिन बीत चुके हैं, लेकिन अभी तक एक भी नकलची टीम के हाथ नहीं लग सका है।

रोजाना नकल पकड़ने जा रहीं टीमें

यूनिवíसटी में 11 सितंबर को एग्जाम शुरू हुए थे। इसके बाद ही 8 फ्लाइंग स्कॉट की टीमों का गठन किया गया। आठ टीमों को अलग-अलग जिम्मेदारी सौंपी गई। वही कुलपित कार्यालय पर कंट्रोल रूम बनाया गया। जहां से एग्जाम हॉल में निगरानी भी रखी जा रही है। इसी के साथ महाविद्यालयों को हिदायत दी गई थी कि जो महाविद्यालय परीक्षा केंद्र बनाए गए हैं, वह अपने परीक्षा केन्द्रों को यूनिवíसटी कंट्रोल रूम से कनेक्ट कर लें। अगर ऐसा नहीं पाया गया तो कार्रवाई की जाएगी। ऐसी स्थिति में गठित टीम द्वारा 14 दिन से छापामारी की जा रही है। इस दौरान कई वाहन भी लगाए जा रहे हैं, जो टीम द्वारा इस्तेमाल किए जाते हैं। नकल पर ऐसी नकेल है कि अभी तक एक भी नकलची नहीं पकड़ा गया।

फ्लाइंग स्क्वॉयड को भी मिली नकल की शिकायत

यूनिवíसटी में फाइनल ईयर की परीक्षा 11 सितंबर से 29 सितंबर तक चलेंगी। एग्जाम में खत्म होने में 5 दिन शेष हैं, लेकिन अभी तक एक भी नकलची नहीं पकड़ा गया है। हालांकि कॉलेजों में महाविद्यालय में इस तरह के कई मामले सामने हो चुके हैं, जिसमें पेपर सॉल्व कराने के एवज में पैसे की मांग की गई है। फ्लाइंग स्कवॉयड की टीम को भी इसकी सूचना मिली है। इस संबंध में किसी पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है, क्योंकि अभी तक लिखित में शिकायत नहीं दी गई है।

दागी कॉलेज भी बने केंद्र

यूनिवíसटी द्वारा मुख्य परीक्षा से पहले एग्जाम शुरू होने पर दागी कॉलेजों को भी परीक्षा केंद्र बनाया गया था। ऐसे सभी महाविद्यालयों को काली सूची में शामिल किया गया था। जिसकी संख्या 35 से 40 तक थी। फाइनल ईयर की परीक्षा में उन्हीं महाविद्यालय को एग्जाम के लिए फिर से केंद्र बना दिया गया है, जिसमें यमुनापार के दो महाविद्यालय भी शामिल हैं। ऐसे में वहां नकल होने की संभावना अधिक बढ़ जाती है। जहां पूर्व में महाविद्यालय का रिकॉर्ड ठीक नहीं रहा है।

पेपर सॉल्व कराने में हो रही आसानी

फाइनल ईयर की परीक्षा में पेपर सॉल्व करवाना नकल माफियाओं और कॉलेज प्रबंधन के लिए आसान हो गया है, क्योंकि अब केवल क्वेश्चन पेपर पर टिक किया जाता है। वहीं ओएमआर शीट्स पर ब्लैक होल किए जाते हैं, जबकि इससे पहले माफियाओं को नकल कराने में खासी मशक्कत करनी पड़ती थी। सूत्रों का कहना है कि एग्जाम केंद्रों पर लास्ट के कुछ मिनट में पेपर सॉल्व करा दिया जाता है। इससे किसी को पता भी नहीं चलता काम आसान हो जाता है।

नकल को पकड़ने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। गांव, देहात शहर में ऐसे महाविद्यालयों को चिह्नित किया गया है, जो नकल में लिप्त है। लगातार यहां छापामार कार्रवाई की जा रही है।

प्रो। लवकुश मिश्रा, फ्लाइंग स्क्वॉयड प्रभारी