आगरा(ब्यूरो)। समाज में समान अधिकार के लिए थर्ड जेंडर समुदाय लंबे समय से संघर्ष कर रहा था। यह संघर्ष सामाजिक और संवैधानिक दोनों स्तरों पर चल रहा था। पहचान के लिए समाज की स्वीकृति और संवैधानिक मान्यता दोनों बहुत जरुरी थे। इस मामले में 15 अप्रैल 2014 को न्यायालय द्वारा दिए गए फैसले ने थर्ड जेंडर को संवैधानिक अधिकार दे दिए और सरकार को निर्देशित किया कि वह इन अधिकारों को लागू करने की पहल शुरू करें। उसके बाद 5 दिसंबर, 2019 को राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने के बाद थर्ड जेंडर के अधिकारों को कानूनी मान्यता मिल गई।

थर्ड जेंडर को मिलेगी आर्थिक और सामाजिक सुरक्षा
डॉ.भीमराव अंबेडकर यूनिवर्सिटी में थर्ड जेंडर की मदद के लिए सेल खोला गया है, जहां आने वालेे थर्ड जेंडर की समस्या को संज्ञान में लेकर सॉल्व किया जाएगा। इससे पढ़ लिखकर वे भी समाज का हिस्सा बन आत्मनिर्भर बन सकेंगे। इससे थर्ड जेंडर समुदाय के लोगों को आर्थिक और सामाजिक तौर पर सुरक्षा तो मिलेगी ही साथ में उनकी पहचान को सामाजिक स्वीकृति मिल सकती है। अब तक परिवार जिन्हें स्वयं की पहचान से भी अलग करता रहा, इसके साथ ही पारिवारिक एवं सामाजिक सोच में थोड़ा बहुत परिवर्तन आए लेकिन यह फैसला परिवार की सोच में परिवर्तन से ज्यादा थर्ड जेंडर समुदाय के हक़ एवं पहचान के लिए महत्वपूर्ण है।


शैक्षिक अधिकार से मिलेगी मजबूती
सामाजिक समन्वय के तहत ट्रांसजेंडर स्टूडेंट्स के लिए एजूकेशन का माहौल बनाने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। डॉ। भीमराव अंबेडकर यूनिवर्सिटी की कुलपति प्रो। आशु रानी ने बताया कि राज्यपाल आनंदी बेन की मंशा के अनुरूप ट्रांसजेंडर को समाज में समान स्थान दिलाने के लिए उनको शैक्षिक रूप से मजबूत कराना है, इसी क्रम में पहली बाद यूनिवर्सिटी कैंपस में ट्रांसजेंडर सेल खोला गया है, जहां उनकी समस्या का निस्तारण कराया जाएगा। वर्तमान में दस ट्रांसजेंडर को प्रवेश दिया गया है।

यूनिवर्सिटी में ट्रांसजेंडर को शैक्षिक माहौल देने के लिए सेल को शुभारंभ किया गया है, उनका शैक्षिक स्तर मजबूत करने के लिए सामाजिक जीवन में आने वाली चुनौतियों को सॉल्व करने के लिए कौशल विकास के के तहत आत्म निर्भर बनाया जाएगा।
प्रो। आशु रानी, कुलपति डॉ। भीमराव अंबेडकर यूनिवर्सिटी


यूनिवर्सिटी में ट्रांसजेंडर सेल का गठन किया गया है, यहां आने वाले स्टूडेंटस की समस्या का समाधान किया जाएगा। सेल की निगरानी के लिए भी जिम्मेदारी दी गई है। वर्तमान में दस ट्रांसजेंडर पढ़ रहे हैं।
राजीव कुमार, कुलसचिव


ट्रांसजेंडर को समाज में बराबर का स्थान मिलना चाहिए, सरकार द्वारा भी इनको बढ़ावा देने के लिए हर संभव प्रयास कि ए जा रहे हैं, अगर उनको शैक्षिक स्तर से मजबूत किया जाए तो ये सराहनीय पहल होगी।
डॉ। रचना सिंह, समाजसेवी


-जिले ट्रांसजेंडर की संख्या
1125

-यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे ट्रांस जेंडर
10

-माध्यमिक स्तर पर पढ़ रहे ट्रांसजेंडर
175