आगरा: डॉ। भीमराव आंबेडकर यूनिवर्सिटी का 95वां स्थापना दिवस एक जुलाई को आयोजित किया जा रहा है। इस यूनिवर्सिटी के पूर्व छात्र वर्तमान में अलग-अलग क्षेत्रों में नाम कमा रहे हैं। सालों बाद भी यूनिवर्सिटी से मिली उपलधियां और यादें आज भी उनके जेहन में ताजा हैं।

आगरा कालेज से ही स्नातक और परास्नातक वर्ष 1982 से 86 तक किया था। एथलेक्टिक्स में 800 और 1500 मीटर रेस में हिस्सा लेता था। दो साल तक लगातार मुझे स्वर्ण और रजत पदक मिले थे। उस समय टीमें दूसरे राज्यों में खेलने भी जाया करती थी। दीक्षा समारोह में छात्रों को समानित किया जाता था। आज भी खुद को यूनिवर्सिटी का वही पुराना खिलाड़ी ही मानता हूं।

मलकीत सिंह, पूर्व अधिकारी, बीएसएनएल

वर्ष 1980 में मेरी नौकरी बैकुंठी देवी कन्या महाविद्यालय में लगी थी। 41 साल बाद भी मंच पर चढ़कर पुरस्कार लेने की याद बिल्कुल ताजा हैं। ऐसा लगा, जैसे सपना पूरा हो गया। सुंदर पंडाल, मंच, कुलपति, कुलाधिपति, सामने छात्र। होमसाइंस इंस्टीट्यूट से मैंने वर्ष 1976 में बीएससी और 1980 में एमएससी किया था। तभी नौकरी लग गई। एमएससी में अच्छे अंक प्राप्त करने पर दीक्षांत समारोह में पुरस्कार मिला था।

डॉ। नीता गुप्ता, प्राचार्य, बैकुंठी देवी कन्या महाविद्यालय

मैंने बैकुंठी देवी कन्या महाविद्यालय से वर्ष 1987 में परास्नातक किया था। उसके बाद ही श्रीमती बीडी जैन कन्या महाविद्यालय में वर्ष 1988 में नौकरी लग गई। नौकरी के साथ ही पीएचडी की। तब पहली बार विश्वविद्यालय गई थी, उससे पहले यूनिवर्सिटी का रास्ता भी नहीं देखा था।

डॉ। मीरा अग्रवाल, प्राचार्य, श्रीमती बीडी ग‌र्ल्स पीजी कालेज