80 परसेंट जूझ रहे बीमारी से

लगातार मोबाइल, कंप्यूटर, टीवी पर  आंखों को गड़ाने की वजह ऐसा हुआ है। उन्हें सिर में दर्द, आंखें लाल होना और उनमें भारीपन की शिकायत है। सर्वे में पता चला है कि 60 परसेंट बच्चे और 80 परसेंट यंगस्टर कंप्यूटर विजन सिंड्रोम बीमारी से जूझ रहे हैं। कंप्यूटर पर लगातार पढ़ाई, गेम और चैटिंग ने स्टूडेंट्स को परेशानी में डाल दिया। जीजी नर्सिंगहोम के पैरामेडिकल कोर्स करने वाले स्टूडेंट्स को लेक्चर देने गए डॉ। समीर प्रकाश गुप्ता ने इसका खुलासा किया। उन्होंने बताया कि बच्चों और यंगस्टर्स की आंखों का पानी सूख रहा है।

कैसे बढ़ रही बीमारी?

डॉ। समीर प्रकाश गुप्ता के मुताबिक  ज्यादा देर तक लगातार कंप्यूटर पर काम करने से व्यक्ति की आंखों के रेटिना पर सीधा प्रभाव पड़ता है। आंखों में बनने वाला द्रव्य पदार्थ पलक नहीं झपकने से नेत्र में फैल नहीं पाता है। इससे आंखों में सूखापन, भारीपन, सिर दर्द और घबराहट महसूस होती है। अधिकतर घरों व कॉलेजेज के कंप्यूटर रूम में एयर कंडीशन लगे हैं। इससे आद्रता घट जाती है। आंख के आंसू (ड्राइनेस) सूखने लगते हैं।

बढ़ रहा है चश्मे का नंबर

कुछ माह से मोबाइल पर इंटरनेट चलने से लोग मोबाइल का यूज अधिक कर रहे हैं। मोबाइल की छोटी स्क्रीन होने के कारण उसे देखने के लिए आंखों पर प्रेशर डालना पड़ता है। जिसकी वजह से 6-14 साल तक के 60 परसेंट बच्चे और 15-30 साल तक के यंगस्टर्स 60 परसेंट कंप्यूटर विजन स्ड्रोंम बीमारी से परेशान हैं। मां-बाप सोचते हैं कि बच्चा जल्दी से जल्दी कंप्यूटर सीख ले। लेकिन घर या किसी कंप्यूटर सेंटर पर कंप्यूटर और कुर्सी बड़ों के बैठने के हिसाब से ही होती हैं। इससे कंप्यूटर का इस्तेमाल करते समय आंखों और कंधे पर दबाव पड़ता है। छोटी एज में ही उन्हें बच्चों में माइनस पॉवर के चश्मे की जरूरत बढ़ रही है। इसका मैन कारण घंटों तक टीवी, कंप्यूटर पर गेम और मोबाइल पर एसएमएस से चेटिंग करना है।

खुद करें आंखों की सेफ्टी

नेचुरल तौर पर एक मिनट में आंख की पलकें 20 बार झपकती हैं। कंप्यूटर पर काम करते समय मात्र दो से तीन बार ही झपक पाती है। आंखों की सलामती के लिए खुद पलकें झपकाएं। इससे आंखों का सूखापन कम होगा। कोशिश रहे कि हर मिनट पर 20-20 बार पलक झपकाने का नियम अपनाएं। ध्यान रखें कि कंप्यूटर से बीस इंच दूर रहें। हर बीस मिनट पर बीस सेकेंड के लिए 20 फीट दूर किसी वस्तु को देखें या आंखें मूंद लें। कई घंटे बिना उठे कंप्युटर पर काम करने से कार्य क्षमता में 20 प्रतिशत की कमी आती है। कंप्यूटर में फोकसिंग और डीफोकसिंग होता रहता है। यह इतनी तेजी से होता है। इससे आंख प्रभावित होती है।

कंप्यूटर या एलसीडी की लाइट को हम आंखों से देख नहीं पाते, लेकिन वीडियो कैमरा स्क्रीन के पास लेकर जाए तो हमें उसकी तेज लाइट का पता चल जाता है। जो हमारी आंखों के लिए बेहद घातक होती हैं।

इनका रखें ध्यान

- कंप्यूटर स्क्रीन पर धूप या कृत्रिम प्रकाश न आए।

- काम के दौरान बीच-बीच में चाय, कॉफी या पानी पीएं। इससे आंख को आराम मिलता है।

- अगर आंखें सूखती हैं, तो साफ पानी से धो लें या आई ड्रॉप डालें।

- मोबाइल, कंप्यूटर, एलसीडी से आंखों को 20 इंच की दूर पर रखें।

- कंप्यूटर पर काम करते समय खुद पलकें झपकाते रहें।

- मॉनीटर हमेशा 25 से 35 डिग्री के कोण पर ऊपर की तरफ  रखें।

- बच्चों को लगातार देर तक कंयूटर गेम न खेलने दें।

बीमारी की पहचान

- आंखों से ठीक से नहीं देख पाना

- सिर भारी होना

- कुछ पल के लिए कोई चीज दो दिखना

- धुंधला दिखना

- दूर से गुजर रहे व्यक्ति को पहनाने में चार-पांच सेकेंड का वक्त लगना

- रंग में परिवर्तन (किसी चीज में नीला रंग का आभास होना)

जो लोग बैंक, ऑफिस में कंप्यूटर पर घंटों काम करते हैं। उनके अंदर तो कंप्यूटर विजन सिंड्रोम 99 परसेंट मिल जाती है। उन्हें भी समय-समय पर आंखों को टेस्ट कराते रहना चाहिए।

जो लोग बाइक पर या गर्दन झुकाक र मोबाइल पर बात करते हैं, उनके अंदर नेक सिंड्रोम बीमारी बढ़ रही है। जिससे गर्दन के नीचे दर्द होता है। इसके बचाव के लिए कुर्सी पर सीधे बैठे, हर दो घंटे बाद गर्दन का व्यायाम करें।

इस बीमारी का असर बच्चों में तेजी से बढ़ रहा है। जो ज्यादा देर तक कंप्यूटर पर काम करते हैं हर बीस मिनट बाद दो मिनट का रेस्ट जरूर लें। आई डॉक्टर से कंसल्ट कर लें।

डॉ। समीर प्रकाश गुप्ता

By-MD khan (matauddin.khan@inext.coin)