आगरा। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 के अनुसार आगरा में 15 वर्ष की अधिक उम्र के 46.1 परसेंट पुरुष तंबाकू उत्पादों का सेवन कर रहे हैैं। जबकि 15 वर्ष से अधिक उम्र की 8.9 परसेंट महिलाएं तंबाकू उत्पादों का सेवन कर रही हैैं। यदि अल्कोहल लेने के की बात करें तो 15 वर्ष से अधिक उम्र के 20.9 परसेंट पुरुष अल्कोहल का सेवन करते हैैं और 15 वर्ष से अधिक उम्र की 0.6 परसेंट महिलाएं अल्कोहल का सेवन करती हैैं।

15 वर्ष से कम उम्र के बच्चे भी शिकार
चाइल्ड राइट एक्टिविस्ट नरेश पारस बताते हैैं कि एनएफएचएस का डाटा जो दास्तां बयां कर रहा है। असल में स्थिति उससे भी ज्यादा बदतर है। उन्होंने बताया कि जनपद में दस साल के बच्चे भी नशे की लत का शिकार हो रहे हैैं। उन्होंने बताया कि सड़कों पर भिक्षावृत्ति करने वाले से लेकर कॉन्वेंट स्कूल में पढऩे वाले बच्चे नशे के मकडज़ाल में फंस चुके हैैं। उन्होने बताया कि बाल मजदूरी करने वाले छोटे बच्चे व्हाइटनर, टिंचर आदि से नशा करते हैैं। इसके साथ ही वे तंबाकू का भी सेवन करते हैैं। कई बार नशे के कारण छोटे-छोटे बच्चे हिंसक हो जाते हैैं। वे नशे की लत के इतने आदि हो जाते हैैं कि उन्हें सही समय पर नशा न मिले तो वो मारपीट और छीना-झपटी भी करने लगते हैैं।

दर्द से राहत के लिए बना दी आदत
नशे की लत से लड़कियां भी अछूती नहीं रही हैैं। वे भी नशे की लत की शिकार हैैं। जिला महिला अस्पताल में स्थित साथिया केंद्र की अर्श काउंसलर रूबी बघेल बताती हैैं कि उनके पास 100 में से सात या आठ ऐसी लड़कियां ( 12 से 18 वर्ष) आती हैैं जो किसी न किसी रूप में तंबाकू का सेवन कर रही हैैं। उन्होंने बताया कि ज्यादातर लड़कियां घर से ही नशे की लत की शुरूआत कर रही हैैं। उन्होंने बताया कि ज्यादातर लड़कियां सबसे पहले तंबाकू का मंजन उपयोग करती हैैं। इससे ही वे नशे की लत पकड़ लेती हैैं। कई बार तो लड़कियां घर में ही बड़ों की तंबाकू की पुडिय़ा में से चोरी करके तंबाकू खाने लगती हैैं। रूबी ने बताया कि कई केस ऐसे आते हैैं कि किसी के दांत में दर्द होने पर सुपारी या तंबाकू का सेवन शुरू किया था और अब वो आदत बन गई है।

पियर प्रेशर मुख्य कारण
जिला अस्पताल स्थित साथिया केंद्र के अर्श काउंसलर अरविंद कुमार बताते हैैं कि उनके यहां पर आने वाले दस में सात किशोर नशे की लत से जूझ रहे होते हैैं। उन्होंने बताया कि ज्यादातर किशोर पियर प्रेशर के शिकार होते हैैं। वे किसी दोस्त के कहने पर पहली बार सिगरेट या अन्य किसी नशीले पदार्थ का सेवन करते हैैं। इसके बाद उन्हें इसकी बुरी लत लग जाती है। उन्होंने बताया कि कई किशोरों का कहना है कि वेब सीरीज में उन्होनेंं उनके पसंदीदा एक्टर को सिगरेट के कश लगाते देखा था, उसके बाद उसने भी वैसे ही सिगरेट पीना शुरू किया और अब ये उसकी आदत बन गई है। उन्होंने कहा कि हम लोग उन किशोंरों की काउंसलिंग करते हैैं। कई किशोर इस गंदी लत को छोड़ चुके हैैं। अरविंद ने बताया कि स्कलों के आसपास आसानी से नशीले पदार्थ मिलने से किशोरों में तेजी से नशे की लत बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि टीवी देखकर अडोलसेंट जल्दी अडल्ट हो रहे हैैं।
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करना होगा रोडमैैप तैयार
नरेश पारस ने बताया कि कई बार पुलिस और प्रशासन ने बाल मजदूरी और भिक्षावृत्ति को दूर करने के लिए अभियान भी चलाए हैैं। इसमें कई बच्चों को रेस्क्यू किया गया। इनमें से कई बच्चे नशे के आदि पाए गए थे.शुरूआत में तो इन बच्चों को रेस्क्यू सेंटर इत्यादि में रखा गया। इसके बाद की स्थिति यह है कि ये बच्चे दोबारा से पहले जैसी स्थिति में आ गए हैैं। नरेश पारस ने बताया कि सरकार को नशे की बढ़ती लत रोकने के लिए रोडमैप तैयार करना चाहिए।

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ये करने होंगे उपाय
- काउंसलिंग की जाए
- पुर्नवास केंद्र बनाए जाए
- रोडमैप बनाकर काम किया जाए
- स्कूल्स में अवेयरनेस प्रोग्राम चलाया जाए
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दस साल के बच्चे भी नशे की लत का शिकार हो रहे हैैं। सरकार को नशे की बढ़ती लत रोकने के लिए रोडमैप तैयार करना चाहिए।
-नरेश पारस, चाइल्ड राइट एक्टिविस्ट

लड़कियां घर में तंबाकू के मंजन से शुरूआत करती हैैं और बाद में तंबाकू का सेवन करने लगती है। ये संख्या बढ़ती जा रही है।
-रूबी बघेल, अर्श काउंसलर, साथिया केंद्र, जिला महिला अस्पताल

पियर प्रेशर में आकर किशोर नशे करने की शुरूआत करते हैैं। इसके बाद उन्हें इसकी लत लग जाती है। बड़ी संख्या में ऐसे केस आ रहे हैैं।
- अरविंद कुमार, अर्श काउंसलर, साथिया केंद्र, जिला अस्पताल