आगरा: कुख्यात विनोद जाट और हिस्ट्रीशीटर मोनू यादव के बाद एक और गैंगस्टर इमरान को गिरफ्तार करने में पुलिस फेल रही। सोमवार को ही वह कोर्ट में समर्पण कर जेल चला गया। श्याम बोहरा के बाद शहर के सट्टे की सबसे बड़ी गद्दी उसके यहां चलती है। वह गैंगस्टर एक्ट के मुकदमे में वांछित था। सात माह से फरार होने के बाद भी उसका इनामी सूची में नाम तक नहीं था।

मंटोला के टीला अजमेरी निवासी इमरान हिस्ट्रीशीटर है। उसकी निगरानी के नाम पर खाना पूर्ति होती रही। पुलिस की मेहरबानी से वह बड़े पैमाने पर जुआ-सट्टा कराता था। क्षेत्र में उसकी दबंगई चलती है, इसलिए कोई उसके आगे बोलने की हिम्मत नहीं करता। शहर के सटोरियों के खिलाफ एसएसपी बबलू कुमार ने अभियान चलाया। उस समय इमरान के खिलाफ जुआ अधिनियम के तीन मुकदमे दर्ज हुए। पुलिस उसको गिरफ्तार करने में नाकाम रही। उसने इन तीनों मुकदमों में कोर्ट से जमानत करा ली थी। एसएसपी बबलू कुमार के निर्देश पर तीन जनवरी को मंटोला थाने में गैंगस्टर एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया।

हिस्ट्रीशीटर और गैंगस्टर की गिरफ्तारी को अभियान चल रहा है। मगर, इमरान की ओर पुलिस ने नहीं देखा। उस पर इनाम भी घोषित नहीं हो सका। सोमवार को उसने एडीजी सप्तम और विशेष न्यायाधीश गैंगस्टर कोर्ट में समर्पण कर दिया। दीवानी में उससे मिलने वाले लोग भी बड़ी संख्या में पहुंचे थे। उसके कोर्ट के आदेश पर जेल जाने के बाद पुलिस को समर्पण की जानकारी हुई। फिलहाल उसे एमडी जैन इंटर कॉलेज में बनी अस्थाई जेल में रखा गया है। एसएसपी ने इमरान के समर्पण की पुष्टि की। उन्होंने बताया कि पुलिस उसकी गिरफ्तारी के प्रयास कर रही थी। दबाव के कारण ही उसने समर्पण किया है।

खाकी वालों से है इमरान का याराना

गैंगस्टर इमरान का बहुत से पुलिसकर्मियों से याराना है। वे उसे पुलिस की हर गतिविधि की सूचना देते हैं। वह लंबे समय से मंटोला में जुआ और सट्टे का अवैध धंधा कर रहा है। इसके बाद भी पुलिस उस पर कार्रवाई नहीं करती। इमरान के साथ पार्टी में एक सिपाही का वीडियो वायरल हुआ था। मामले की जांच हुई । मगर, उसमें सिपाही को क्लीनचिट दे दी गई। कई और पुलिसकर्मी इमरान की प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से मदद करते हैं। वह उन्हें महंगे गिफ्ट देता है। लॉकडाउन से पहले वह होटलों में पुलिसकर्मियों को पार्टी भी देता था।

खुफिया एजेंसी भी कर चुकी है जांच

इमरान के कार्यों को संदिग्ध मानते हुए पूर्व में खुफिया एजेंसी भी उसकी जांच कर चुकी है। उसके बारे में खुफिया एजेंसी को कुछ इनपुट मिला था। वह बेहद शातिर अंदाज में काम करता है। इसलिए पकड़ में नहीं आया।