आगरा: जिस तरह मक्के का दाना गर्म बालू में पड़कर ही फूलता है और खाने योग्य बनता है, उसी तरह जो व्यक्ति जीवन की कठिनाइयों का विष पीता है, उसको ही सफलता का अमृत चखने को मिलता है। ये विचार गीताचार्य पंडित दिनेश दीक्षित ने श्री मद्भगवत गीता चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा आयोजित सात दिवसीय गीता ज्ञान गंगा महोत्सव के दूसरे दिन व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि आज की समस्याओं की जड़ क्रोध है। क्रोध की उत्पत्ति और इसके निदान का सुंदर विवेचन गीता में किया गया है। किसी विषय के ¨चतन से आसक्ति, आसक्ति से काम भावना और काम भावना में व्यवधान से क्रोध पैदा होता है। गीता में क्रोध का निदान योग बताया गया है। प्रधान महेंद्र सिंह, श्रद्धा दीक्षित, एनके चतुर्वेदी, मनोज गुप्ता, नरेश चंद्र द्विवेदी, शक्ति चतुर्वेदी, भक्ति शुक्ला और विवेक जैन ने आरती उतारी।