आगरा(ब्यूरो)। औरेया जिले की रहने वाली शिप्रा गौतम लॉयर्स कॉलोनी में रह कर GNM सेकेंड ईयर की पढ़ाई कर रही थी। बुधवार सुबह परिजनों ने जब छात्रा को फोन किया तो छात्रा का फोन नहीं उठा। जब छात्रा की सहेली को फोन किया गया तो पता लगा उनकी बेटी ने फंदा लगाकर जान दे दी है। पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा और जांच शुरू कर दी है।

युवाओं में बढ़ रही सुसाइड अटेम्प्ट की प्रवृत्ति
शहर में ये पहला मामला नहीं है आगरा के युवाओं में सुसाइड की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है। हर माह पांच लोग सुसाइड कर रहे हैं। एनसीआरबी के आत्महत्या को लेकर शहर के आंकड़े हैरान करने वाले हैं। आगरा में हर माह लगभग पांच लोग सुसाइड कर रहे हैं। इनमें अधिकतर युवा हैं। कोरोना के बाद सुसाइड अटेम्प्ट के केस बढ़े हैं जोकि खतरनाक तो है ही साथ में चिंताजनक भी है। जरा-जरा सी बातों को लेकर लोग सुसाइड कर रहे हैं। एनसीआरबी ने भी सुसाइड की बढ़ती घटनाओं पर चिंता जाहिर की है।

क्या कहते हैं एनसीआरबी के आंकड़े
-एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार भारत में साल 2021 में 164233 लोगों ने सुसाइड किया। साल 2022 में 170924 लोगों ने सुसाइड किया जो कि विश्व में सबसे अधिक था। शहर में इस साल ही 29 लोगों ने सुसाइड किया है वहीं 2020 में 174 लोगों ने साल 2021-22 में 232 लोगों ने सुसाइड किया। शहर में औसतन हर माह पांच लोग सुसाइड कर रहे हैं जो कि चिंताजनक है।

कोविड पीरियड के बाद बढ़े हैं केसेज
कोरोना लॉकडाउन के बाद युवाओं में सुसाइड करने का ट्रेंड बढ़ता जा रहा है। शहर में पिछले तीन सालों में सुसाइड के आंकड़ों में बढ़ोत्तरी हुई है। आगरा पुलिस के रिकॉर्ड के अनुसार पिछले तीन सालों में 508 लोगों ने सुसाइड किया, इनमें अधिकांश युवा थे। इस साल शहर में कई हैरान कर देने वाले सुसाइड के मामले सामने आए हैं। कई राज्य युवाओं में सुसाइड रोकने के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी कर चुके हैं इसके अलावा इस साल शहर में जितने सुसाइड के केस आए हैं, उनमें अधिकतर यूथ हैं। पुलिस के मुताबिक सुसाइड के आंकड़े चौंका रहे हैं।

ये हैं शहर के हालात
एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार भारत में पिछले साल 1.71 लाख लोगों ने सुसाइड किया जो कि पूरी दुनिया में अधिक है। एनसीआरबी की रिपोर्ट यह भी कहती है की इन सुसाइड में 41 फीसदी सुसाइड 30 साल से कम युवाओं के द्वारा की जाती हैं। 54 फीसदी सुसाइड स्वास्थ्य के कारण से होती है। शहर में हर माह 5 लोग सुसाइड अटेम्प्ट कर रहे हैं जिनमें से तीन लोगों की डेथ हो रही है। साल 2024 में ही शहर में हैरान करने वाले सुसाइड के मामले आए।

इस साल ये है शहर के चर्चित सुसाइड केस
- 17 मई को आजाद नगर खंदारी में नर्सिंग छात्रा ने अपने कमरे में फंदे से लटककर जान दे दी मौत से कुछ देर पहले ही छोटी बहन से फोन पर की थी।
-बुलंदशहर की रहने वाली छात्रा शहर में रहकर पीसीएस की तैयारी कर रही थी 20 मार्च को छात्रा ने कमरे में फंदे से लटककर जान दे दी।
-22 नवंबर 2023 को ब्रह्मकुमारी आश्रम में रहने वाली दो सगी बहनों ने सुसाइड नोट छोड़कर जान दे दी। यूपी सीएम से लगाई न्याय की गुहार।
-छेड़छाड़ से आहत होकर युवती ने 10 मार्च को सुसाइड कर लिया। लापरवाही पर दरोगा को लाइन हाजिऱ किया गया।
- 16 मार्च को शादी के 9 दिन बाद ही युवक ने सुसाइड कर ली घरवालों के मुताबिक कोई भी मानसिक तनाव नहीं था।
-11 फरवरी को कर्ज में डूबने पर युवक ने अपनी मां और बेटे की हत्या कर सुसाइड कर ली।

चिंताजनक है बच्चों का सुसाइड रेट
एनसीआरबी द्वारा भारत में आकस्मिक मौत और आत्महत्या 2022 पर जारी ताजा रिपोर्ट के अनुसार 2022 में भारत में 13,000 से अधिक छात्रों ने सुसाइड किया है। 2022 में आत्महत्या से होने वाली सभी मौत में 7.6 प्रतिशत छात्र थे। कुल मिलाकर, 2022 में 18 साल से कम उम्र के 10,295 बच्चों ने आत्महत्या की है। क्लास वाइज बच्चों के सुसाइड परसेंटेज की बात करें तो आंकड़े और भी चौंकाने वाले हैं।

एजुकेशन - सुसाइड रेट प्रतिशत
कक्षा 9 से 10 23.9 प्रतिशत
कक्षा 6 से 8 18 प्रतिशत
कक्षा 11 और 12 15.9 प्रतिशत
प्राइमरी लेवल 14.5 प्रतिशत
अशिक्षित 11.5 प्रतिशत
ग्रेजुएट 5.2 प्रतिशत
डिप्लोमा 1.6 प्रतिशत
प्रोफेशनल्स 0.4प्रतिशत

सुसाइड की बढ़ती मनोवृत्ति का कारण मानसिक तनाव है। युवा वर्ग इस भाग दौड़ भरी जिंदगी में अपनी आकांक्षाओं को बहुत जल्द पूरा करना चाहते हंै इसके लिए वे कोई भी कदम उठाने को तैयार रहते हैं। प्रेम प्रसंग में भी धोखा खाने के बाद आज के युवा वर्ग इस तरह के कदम उठा रहे हैं। इस तरह के मामलों को रोकने के लिए स्कूल के स्तर पर इसके लिए कांउसलिंग होनी चाहिए। इसे भागमभाग की ङ्क्षजदगी कहें या काम के बोझ के कारण आज के युवाओं में एकल परिवार का बढ़ता प्रचलन भी परेशानी पैदा कर रहा है। युवा अपनी बात किसी से कह नहीं पा रहा है और ऐसे कदम उठा रहा है।

कम्युनिकेशन गैप ऐसी घटनाओं का मुख्य कारण है पेरेंट्स को अपने बच्चों से बात करनी चाहिए। इसके अलावा कोई भी एक्टिविटी बच्चे में या किसी और में अलग दिखे उसको नजर अंदाज न करें इससे ऐसी घटनाओं को रोका जा सकता है।
- डॉ। विशाल सिन्हा, मनोचिकित्सा विभाग एसएनएमसी