पालीवाल पार्क में हैं पक्षियों की करीब 50 प्रजातियां

नेवलों का है प्रजनन केंद्र, बायोडायवíसटी की संभावनाएं

आगरा। शहर के बीचोंबीच स्थित पालीवाल पार्क में कई वन्यजीव बसते हैं। यहां पर पेड़-पौधों और झील के मौजूद होने के कारण इसे शहर का एयर फिल्टर भी कहा जा सकता है। आपको विश्वास नहीं होगा कि गांवों और जंगलों में मिलने वाले नेवले का यह प्रजनन केंद्र है। लॉकडाउन के कारण यहां की हरियाली और प्रकृति और ज्यादा संवरी है। इसका परिणाम यह हुआ है कि ग्रे हॉर्नबिल नामक चिडि़या आगरा रीजन में यहां सबसे ज्यादा देखने को मिली हैं। शहर के बीचों बीच स्थित इस जगह को बायोडायवíसटी पार्क में विकसित करने की कई संभावनाएं देखी जा सकती हैं।

इन वन्यजीवों की शरणस्थली है पालीवाल पार्क

बायोडायवíसटी रिसर्च एंड डेवलपमेंट सोसायटी के अध्यक्ष डॉ। केपी सिंह बताते हैं कि शहरी क्षेत्रों में जैव विविधता संरक्षण बहुत बड़ी चुनौती है। शहरों के लोग अपने आसपास के जीव-जंतुओं, पेड़-पौधों और पक्षियों की पहचान से अनभिज्ञ हैं। पालीवाल पार्क में आबादी के पास रहने वाले पक्षियों एवं जंतुओं की उपस्थिति दर्ज की गई है। यहां पर पक्षियों की लगभग 50 प्रजातियां मौजूद हैं जिनमें ग्रे होर्नबिल, कॉपर स्मिथ बारबेट, ब्राउन हेडेड बारबेट, कबूतर, मोर, बैबलर, मैना, मैगपाई रोबिन, ब्लैक काइट, पोंड हैरोन, स्पोटिड आउल, ईग्रिट की प्रजातियां सैकडों की संख्या में मौजूद हैं। इसके अलावा पालीवाल पार्क नेवलों और गिलहरियों की बहुत बडी प्रजनन स्थली भी है।

सामाजिक कार्यकर्ताओं ने बचाया गिलहरियों का जीवन

पालीवाल पार्क में बड़ी संख्या में गिलहरियां मौजूद हैं। विगत कुछ वर्षो में पालीवाल पार्क में कुछ गिलहरियों को बिना पूंछ के देखा जा रहा था। जब पार्क की निगरानी कर देखा गया तो मालूम हुआ कि कुछ असामाजिक तत्व ब्रुश बनाने के लिए गिलहरियों को पत्थर मारकर उनकी पूंछ काटकर ले जाते थे जिसमें कुछ गिलहरियों की मौत भी हो जाती थी। ईको क्लब के प्रदीप खंडेलवाल बताते हैं कि यह बात जब ईको क्लब के सदस्यों को पता लगी तो उन्होंने गिलहरियों के शिकार करने पर अभियान चलवाकर रोक लगवाई।

बटरफ्लाई पार्क बनाने के करेंगे प्रयास

शहरी क्षेत्रों की प्रदूषण की समस्या पर्यावरण संरक्षण एवं जन जागरूकता द्वारा ही संभव है। ग्रामीण क्षेत्रों के मुकाबले शहरी क्षेत्र में वायु, ध्वनि व जल प्रदूषण गंभीर समस्या है। इसके निदान में पर्यावरण संरक्षण की महत्वपूर्ण भूमिका है। बायोडायवíसटी रिसर्च एंड डवलपमेंट सोसायटी के अध्यक्ष डॉ। केपी सिंह ने बताया कि पालीवाल पार्क में बटरफ्लाई पार्क विकसित करने की संभावनाएं हैं। बटरफ्लाई पार्क बनने के बाद पार्क के अध्ययन के अवसर बनेंगे और सौंदर्य के साथ सरकार का आय का स्त्रोत भी तैयार हो सकता है।

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पहले हेविट पार्क था नाम

पालीवाल पार्क आगरा शहर के बीचों बीच स्थित लगभग 70 एकड़ में फैला एक जंगलनुमा पार्क है। अंग्रेजी शासन काल में यह हेविट पार्क के नाम से जाना जाता था। आजादी के बाद उत्तर प्रदेश के पहले वित्त मंत्री श्रीकृष्ण दत्त पालीवाल के नाम पर इसका नामकरण किया गया। तब से यह पालीवाल पार्क के नाम से ही जाना जाता है.पालीवाल पार्क में बहुत पुराने पेड़ एवं वन्यजीवों की शरणस्थली भी है।

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वन्यजीव सप्ताह के अंतर्गत किया शैक्षिक भ्रमण

आगरा। बायोडायवíसटी रिसर्च एंड डवलपमेंट सोसायटी के द्वारा मनाये जा रहे वन्यजीव सप्ताह के अंतर्गत बुधवार को पालीवाल पार्क में शहरी जैव विविधता से परिचित होने के लिए शैक्षिक भ्रमण किया गया। कार्यक्रम का नेतृत्व डॉ धीरेंद्र सिंह द्वारा किया गया। भ्रमण के दौरान पार्क की जैव विविधता के बारे में बताया गया। पक्षियों एवं पेड़ पौधों की पहचान की गई। डॉ धीरेन्द्र सिंह द्वारा बताया गया कि पालीवाल पार्क में पक्षियों के हेविटाट के अनुरूप पौधारोपण की आवश्यकता है।

जगदम्बा डिग्री कालेज द्वारा जीव संरक्षण के लिए किया सम्मानित

इस मौके पर जगदम्बा डिग्री कालेज फाउंड्री नगर आगरा के डॉ पुष्पेन्द्र विमल द्वारा पालीवाल पार्क में जीव जन्तुओं व पेड़ पौधों की देखभाल करने के लिए ईको क्लब के सदस्यों को सम्मानित किया गया। पालीवाल पार्क में लगभग दस स्वैच्छिक संगठनों के द्वारा इसकी प्रकृति का संरक्षण किया जा रहा है। जिसमें ईको क्लब और ग्रीन क्लब प्रमुख है। इस मौके पर प्रदीप खंडेलवाल, डॉ के पी सिंह, डॉ पुष्पेन्द्र विमल, डॉ धीरेन्द्र सिंह, डॉ शिवम, डॉ राजेश शर्मा, तरून चौधरी, नवीन, शिल्पी, सुदर्शन, अजय चौधरी आदि मौजूद रहे।