छोटे इलाकों को कहा जाता है बीट
जिस किसी थाना इलाके में घनी आबादी होती है। वहां अपराध होने की ज्यादा संभावना बनी रहती है और जुर्म से जुड़े मामले भी सामने आते रहते हैं। ऐसे में आमजन के मन में सुरक्षा का भाव का बनाए रखने, अपराध रोकने और कानून व्यवस्था को बनाए रखने के मकसद से थाना क्षेत्र को छोटे-छोटे इलाको में बांट दिया जाता है। उसे छोटे इलाके को ही बीट कहा जाता है।

बीट क्षेत्र के क्रिमिनल्स पर नजर
कमिश्नरेट के बीट कांस्टेबल अब बीट पुलिस अफसर के रूप में जाने जाएंगे। विभाग उनकी रिपोर्ट को भी अब गंभीरता से लेगा। अधिकारी उनकी रिपोर्ट को देखेंगे और उस पर कार्रवाई भी करेंगे। इसके लिए कमिश्नरेट के सभी पुलिस अधिकारियों को निर्देशित भी किया है। बीट क्षेत्र के सक्रिय अपराधियों पर नजर रखी जाएगी। इसके अंतर्गत आने वाले पासपोर्ट, किराएदार, शस्त्र लाइसेंस व वेरीफिकेशन के साथ जानता से जुड़े काम को और भी आसान किया जाएगा।


रिपोर्ट को गंभीरता से लेंगे अधिकारी
बीट कांस्टेबल का कद बढ़ाने व बीट पुलिसिंग को मजबूत करने के उद्देश्य से कमिश्नरेट द्वारा ये कदम उठाया गया है। कमिश्नरेट में पुलिस कमिश्नर, एसीपी को निर्देशित किया है कि कमिश्नरेट में तैनात बीट कांस्टेबल को बीट पुलिस अफसर कहा जाए। क्षेत्र के सार्वजनिक स्थलों पर उनके पोस्टर लगाए जाएं। जिस पर बीट पुलिस अफसर का नंबर अंकित रहे। ताकि लोग अपने क्षेत्र के बीट पुलिस अफसर को जान सकें। और जरूरत पडऩे पर उनसे संपर्क करेंगे।


मजबूत होगी बीट पुलिसिंग
बीट क्षेत्र से संंबंधित शिकायतों को सर्वप्रथम बीट पुलिस अफसर देखेंगे और उस अपनी रिपोर्ट वह उच्चाधिकारियों को भेजेंगे। आगरा कमिश्नरेट के पुलिस कमिश्नर जेे रविन्द्रर गौड़ ने कहा है कि बीट पुलिसिंग को महत्वपूर्ण बनाने के उद्देश्य से ऐसा किया जा रहा है। इससे एक सिपाही में भी जिम्मेदारी का भाव जगेगा। बीट पुलिस अफसर अपने क्षेत्र के सक्रिय क्राइम की सूची तैयार करेंगे और उन पर नजर रखेंगे।


क्षेत्र के हिस्ट्रीशीटरों की निगरानी रखना बीपीओ का प्रमुख कार्य होगा। इतना ही नहीं बीट क्षेत्र में किसी भी वारदात के लिए वह सीधे तौर पर जिम्मेदार होंगे। कमिश्नरेट में पहली बार इस व्यवस्था को लागू किया जा रहा है।
जे। रविन्दर गौड़, कमिश्नर