आगरा। आईसीएमआर के राष्ट्रीय जालमा कुष्ठ एवं अन्य माइकोबैक्टीरियल रोग संस्थान शनिवार केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ। हर्षवर्धन ने देसिकन भवन का उदघाटन किया। इस अनुसंधान भवन में कोविड की बायोसेफ्टी लैब-2 सहित अन्य हाईटेक लैब हैं। केंद्रीय मंत्री ने इस मौके पर कहा कि जैसे देश ने कोविड से लड़ने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर को खड़ा किया। ठीक उसी तरह से भारत सरकार का देश की 75 वीं वर्षगांठ पर हेल्थ फॉर ऑल का लक्ष्य है। यानि सभी तक स्वास्थ्य की बेहतर सुविधाएं पहुंच सकें।

लॉकडाउन में बना की 2402 लैब

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि देश ने सभी के सहयोग से लॉकडाउन जैसी विषम परिस्थितियों में कोविड जांच की एक लैब जो पुणे में स्थित थी, उससे 2402 लैब स्थापित कर दीं। अब भारत के कोने-कोने में कोविड की जांच की लैब उपलब्ध हैं। उन्होंने बताया कि अब भारत में डेली 13 लाख कोविड टेस्ट करने की क्षमता है। बीते कई महीनों से हम डेली दस लाख टेस्ट डेली कर रहे हैं। आगरा में भी कोविड की लैब स्थापित की गई। आईसीएमआर में कोविड की जांच लैब और मेडिकल कॉलेज में लैब स्थापित की गई। इससे आगरा में कोरोना को कंट्रोल किया जा सका। ठीक इसी प्रकार से अब हम सभी को मिलकर अपने स्तर से कुछ ऐसे कदम उठाने होंगे, जिससे हम हेल्थ फॉर ऑल के लक्ष्य को साकार कर सकें।

सबसे पहले आगरा कोरोना से जूझा

केंद्रीय मंत्री ने बताया कि शुरुआती दौर में ही कोविड का दंश झेला था। उस वक्त चौदह पेशेंट्स कोरोना के डिटेक्ट हुए थे। उस वक्त केंद्र की टीम लगातार आगरा प्रशासन के साथ मीटिंग करके कोविड को कंट्रोल करने काम कर रही थी। उस वक्त हमारे पास इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं था तो दिल्ली में आगरा के पेशेंट्स ाक इलाज किया गया। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मैं खुद उन पेशेंट्स से वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से बात करता था। लेकिन जल्दी हमने इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया और आगरा में भी कोरोना पेशेंट्स का अब इलाज हो रहा है।

लेप्रोस्कोपी को खत्म करने के लिए अंतिम दौर में रहना होगा सजग

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि लेप्रोस्कोपी को खत्म करने के हम काफी करीब आ चुके हैं। लेकिन अब हमें ज्यादा सजग रहना होगा। इसके लिए ज्यादा से ज्यादा पेशेंट्स को चिन्हित कर उन्हें इलाज देना होगा। उन्होंने बताया कि पहले हमारे यहां पर एक हजार की आबादी पर 15 लेप्रोस्कोपी के पेशेंट्स होते थे, लेकिन अब देश के 600 से ज्यादा डिस्ट्रिक्ट में दस हजार की आबादी पर 1 पेशेंट ही लेप्रोस्कोपी का मिल रहा है। उन्होंने कहा कि पोलियो को खत्म करने के अंतिम 10-12 साल में भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था। उस वक्त पोलियो के टीके को लेकर काफी सारी भ्रामक धारणाएं थीं। लेकिन हमारे स्वास्थ्यकíमयों ने हार नहीं मानी और गांव-गांव जाकर लोगों को समझाया और उनके पोलियो के टीके लगाए। इसके बाद 13 जनवरी 2013 को हावड़ा में पोलियो का लास्ट पेशेंट डिटेक्ट हुआ और उसके स्वस्थ होने के बाद 2014 में डब्लूएचओ ने हमें पोलियो मुक्त होने का सíटफिकेट दे दिया। ठीक इसी तरह से लैप्रोस्कोपी और टीबी को भी जल्दी ही खत्म किया जा सकेगा।

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कई सुविधाओं से लैस है देसिकन भवन

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने देसिकन भवन का उदघाटन किया। इस नए अनुसंधान भवन में कोविड-19 जांच की बायोसेफ्टी लेवल-2 की लैब है। इस नई जांच लेबोरेटरी की क्षमता लगभग 1200 सौ सैंपल प्रतिदिन है। इसमें ऑटोमेटिक आरएनए एक्सट्रैक्टर और रियल टाइम पीसीआर मशीनों की सुविधाएं उपलब्ध है। जो कोविड जांच के परिणाम को एक दिन के अंदर उपलब्ध करा देती हैं। इसके अलावा देसिकन भवन में कोविड लैब के साथ-साथ अन्य अनुसंधान सुविधाएं जैसे कि पशु लैबोरेट्री माइकोबैक्टेरियम स्पीसिज की होल जिनोम सीक्वेंसिंग और औषधीय पौधों से फाइटोकेमिकल एक्सट्रैक्शन कर एंटीमाइकोबैक्टीरियम का विकास करने की भी सुविधा है।

आगरा के टीबी कार्यक्रम की सराहना की

स्वास्थ्य मंत्री ने कोविड-19 महामारी के समय आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ बलराम भार्गव व देश के अन्य स्वास्थ्य कíमयों द्वारा किए गए कार्यो के लिए सराहना की। उन्होंने आईसीएमआर द्वारा क्षय रोग की जांच एवं उपचार संबंधित किए गए प्रयासों के लिए भी सराहना की और कहा कि इससे 2025 तक देश में टीबी को खत्म करने के लक्ष्य में मदद मिलेगी.जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ। यूबी सिंह ने बताया कि जनपद आगरा के राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम की विस्तृत जानकारी केंद्रीय मंत्री को दी गई। उन्होंने जनपद आगरा के कार्यक्रम की प्रशंसा की। इस दौरान उन्होंने टीबी जांच की स्लाइड को भी चेक किया।

वैक्सीनेशन हो गया शुरू

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि देश ने एक साल के भीतर अपनी दो-दो वैक्सीन खोज ली हैं और पूरे देश में वैक्सीनेशन भी शुरू हो गया। शुरूआत में एक वैक्सीन को लेकर भ्रामक सूचनाएं भी फैलाई गईं लेकिन अब देश में एक करोड़ 95 लाख लोगों को वैक्सीन लगाई जा चुकी है। अब वैक्सीनेशन तीसरे चरण में पहुंच गया है। अब सीनियर सिटीजन और 45 साल से ज्यादा के गंभीर पेशेंट्स को भी वैक्सीन लगाई जा रही है। सभी लोग अपनी बारी आने पर वैक्सीन लगवाएं।

कार्यक्रम में ये रहे मौजूद

इस मौके पर संस्थान के निदेशक डॉ श्रीपाद ए पाटिल ने कुष्ठ रोग एवं क्षय रोग के मरीजों की देखभाल संबंधित संस्थान में उपलब्ध सुविधाओं के बारे में बताया। इसके साथ ही उन्होंने नए अनुसंधान भवन के बारे में भी जानकारी दी। कार्यक्रम में आईसीएमआर आरएमआरसी गोरखपुर के निदेशक डॉ रजनी कांत, बीएमएचआरसी भोपाल के निदेशक डॉ प्रभा देसिकान, आगरा के सांसद प्रो। एसपी सिंह बघेल, एडी हेल्थ डॉ। एके सिंह, जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ यू बी सिंह, सरोजनी नायडू मेडिकल कॉलेज के क्षय एव वक्ष रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ। संतोष, डॉ। राजेश्वर दयाल मौजूद रहे।

वर्जन

देश में सभी स्वास्थ्य कíमयों ने कोविड-19 को तेजी से कंट्रोल किया है। इसी तरह से स्वास्थ्यकर्मी अपने स्तर से नई-नई योजनाएं बनाएं और 2022 तक हेल्थ फॉर ऑल के लक्ष्य को पूरा करने में सहयोग करें।

-डॉ। हर्षवर्धन, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री

आईसीएमआर ने बहुत मजबूती से को कोविड-19 का प्रबंधन किया है। राष्ट्रीय जालमा पोस्ट एवं अन्य माइकोबैक्टीरियल रोग संस्थान द्वारा माइकोबैक्टीरियल अनुसंधान के क्षेत्र में अच्छा काम किया है।

-प्रो। बलराम भार्गव, डीजी, आईसीएमआर