<

AGRA: AGRA: डॉ। भीमराव अम्बेडकर यूनिवर्सिटी के हैल्प डेस्क को हैल्प की जरूरत है। यहां अपनी विभिन्न समस्याओं को लेकर आने वाले अभिवावक और स्टूडेंट्स की कोई हैल्प नहीं होती है। उनकी एप्लीकेशन तक का कोई अता-पता नहीं रहता है और जो एप्लीकेशन दी जाती हैं, उसकी कोई रिसीविंग भी उन्हें नहीं मिलती है।

कर्मचारी भी नहीं रहते

डॉ। भीमराव अम्बेडकर यूनिवर्सिटी के खंदारी कैम्पस स्थित अम्बेडकर चेयर में हैल्प डेस्क बनाया गया है। यहां पर तीन काउंटर हैं, जिनमें से एक या दो काउंटर पर ही कर्मचारी बैठे होते हैं। समस्या तब आती है, जब सिर्फ एक ही काउंटर चालू रहता है। सैकड़ों स्टूडेंट्स की भीड़ इस एक काउंटर पर अपनी एप्लीकेशन जमा कराने के लिए घंटों लाइन में लगकर इंतजार करती है।

नहीं मिलती रिसीविंग

हैल्प डेस्क पर जो एप्लीकेशन ली जाती हैं, उसकी यूनिवर्सिटी कर्मचारियों द्वारा कोई रिसीविंग नहीं दी जाती है। यदि आज की डेट में कोई अपनी किसी समस्या को लेकर एप्लीकेशन जमा करता है और फिर एक सप्ताह बाद अपनी समस्या के समाधान की आशा लेकर यहां पहुंचता है, तो उसकी एप्लीकेशन का ही पता नहीं चलता है।

परेशान हैं कर्मचारी

यूनिवर्सिटी द्वारा हैल्प डेस्क पर जो कर्मचारी लगाए हैं, वो भी परेशान हैं। स्टूडेंट्स अपनी समस्याओं को लेकर इन कर्मचारियों से झगड़ तक जाते हैं। बेबस कर्मचारियों को बस चुप्पी ही साधनी पड़ती है, क्योंकि स्टूडेंट्स के आक्रोश का उन्हें कहीं सामना न करना पड़ जाए। कई बार तो स्थिति बिगड़ भी जाती है। इसके चलते कर्मचारी चाहते हैं, कि उन्हें कहीं भी काम पर लगा दिया जाए, लेकिन हैल्प डेस्क पर नहीं। सूत्रों की मानें तो हैल्प डेस्क के लिए रजिस्ट्रार ने पांच कर्मचारियों को तैनात किया हुआ है, लेकिन दो कर्मचारियों को छोड़कर तीन का कोई अता-पता नहीं रहता है।

हजारों एप्लीकेशन हो चुकी हैं गायब, स्टूडेंट्स परेशान

अम्बेडकर चेयर में सत्र ख्0क्ब् में आए रिजल्ट में विभिन्न त्रुटियां को लेकर स्टूडेंट्स द्वारा एप्लीकेशन जमा कराई गई। इसके साथ ही खंदारी के आईबीएस कैम्पस में भी एप्लीकेशन जमा हुए। सूत्रों की मानें तो यहां पर एप्लीकेशन की संख्या छह हजार से अधिक हो गई थी, जिसके चलते हैल्प डेस्क पर लगाए गए शिक्षकों ने हाथ खडे़ कर दिए। इन एप्लीकेशन को रजिस्ट्रार कार्यालय पहुंचा दिया गया, वहां से ये एप्लीकेशन कहां गुम हो गए कोई अता-पता नहीं है।