आगरा: कमला नगर से दयालबाग रोड। इस रोड की लंबाई साढ़े चार किमी है। दो साल पूर्व जल निगम ने गंगाजल की पाइप लाइन बिछाई थी फिर सीवर लाइन बिछाई गई। रोड की मरमत पर जल निगम ने 25 लाख रुपये खर्च किए थे.आधा दर्जन से अधिक स्थलों पर रोड धंस चुकी है।

कमला नगर, केनरा बैंक। जल निगम की टीम ने ढाई साल पूर्व गंगाजल की पाइप लाइन बिछाई थी। गंगाजल के समीप से 600 एमएम की सीवर की लाइन है। रोड की मरमत में जल निगम ने 19 लाख रुपये खर्च किए थे। रोड में मिट्टी का भराव नियमों के हिसाब से नहीं कराया गया। पांच अगस्त को बारिश के चलते रोड धंस गई थी। वबाग कंपनी की टीम मरमत करा रही है।

आवास विकास कालोनी सेक्टर आठ से सात की रोड। जल निगम ने दो साल पूर्व सीवर लाइन बिछाई थी। इसके बाद सिर्फ मिट्टी से भराव किया गया। डेढ़ साल के भीतर पांच बार रोड धंस चुकी है। जिसकी मरमत जल निगम द्वारा की गई। मरमत के नाम पर अब तक 30 लाख रुपये खर्च हो चुके हैं। रोड की एक लेन को भी बंद रखा गया। छह अगस्त को फिर से रोड धंस गई।

का¨लदी विहार सौ फुटा रोड स्थित डिवाइडर। चार साल पूर्व जल निगम ने 1600 एमएम की सीवर लाइन बिछाई थी। यह लाइन डिवाइडर के नीचे से होकर गुजरी है। नौ अगस्त को डिवाइडर धंस गया और विनोद कुमार का खोखा गड्ढे में समां गया। डिवाइडर पहली बार धंसा है। वबाग कंपनी की टीम ने बेरीकेडिंग करा दिया है। अभी तक मरमत शुरू नहीं हुई है।

बोदला से लोहामंडी रोड। एक साल पूर्व जल निगम ने गहरी सीवर लाइन बिछाई। दो माह पूर्व निगम की टीम ने रोड की मरमत की। जिस पर 30 लाख रुपये खर्च हुए। बारिश के चलते कई जगहों पर रोड धंस गई है। इसे छिपाने के लिए गिट्टी डाल दी गई है। इससे वाहन चालकों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

शहर में रोड धंसने के यह तो पांच ही उदाहरण हैं। ताजगंज हो या फिर शाहगंज। इन क्षेत्रों में छह माह के भीतर आठ बार रोड धंस चुकीं हैं। सबसे अधिक रोड जल निगम की हैं। वहीं कई रोड ऐसी भी हैं जिसकी क¨टग निजी एजेंसियों द्वारा कराई गई। नगर निगम से रोड क¨टग की कोई अनुमति नहीं ली गई। मरमत के नाम पर लाखों रुपये खर्च होने के बाद भी रोड धंस रही हैं। इन रोड पर लोगों की जान खतरे में है।

दो साल तक करानी होती है मरमत

नगर निगम के मुय अभियंता, सिविल बीएल गुप्ता का कहना है कि जिस रोड या फिर गली में सीवर और पानी की लाइन बिछाई जाती है। उसकी मरमत का कार्य संबंधित विभाग को कराना होता है। नियम के अनुसार दो साल तक अगर रोड धंसती है तो इसकी मरमत उसी विभाग को करनी पड़ती है। शहर में जल निगम द्वारा जिन क्षेत्रों में सीवर या फिर पानी की लाइन बिछाई गई है। उसकी मरमत जल निगम द्वारा कराया जाएगा। रोड धंसने के 72 घंटे के भीतर काम शुरू होना जरूरी है। पांच मीटर की दूरी पर वार्निंग के बोर्ड लगाने होंगे।

मांगी गई रिपोर्ट

नगरायुक्त निखिल टीकाराम ने बताया कि जिन क्षेत्रों में रोड धंसी है। इसकी रिपोर्ट चार जोन के अधिशासी अभियंताओं से मांगी गई है। रोड धंसने की वजह भी पूछी गयी है।