आगरा( ब्यूरो) हाल ही में जब नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 (एनएफएचएस-5) का देशभर का आंकड़ा जारी हुआ तो पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं की आबादी बढ़ी थी। लेकिन एनएफएचएस-5 के आंकड़ों की बात करें तो बीते पांच साल में महिलाओं के जन्म लेने की दर में गिरावट आई है। एनएफएचएस-4 की रिपोर्ट के अनुसार पांच साल में एक हजार लड़कों की अपेक्षा कुल 991 लड़कियों ने जन्म लिया था। एनएफएचएस-5 की रिपोर्ट के अनुसार पांच साल में ये संख्या घटकर 902 रह गई है।
देश में अब तक 5 सर्वे हो चुके हैं।
एनएफएचएस सर्वे देश में स्वास्थ्य संबधी और लाइफस्टाइल में विकास को परखने के लिए किया जाता है। देश में अब तक कुल पांच एनएफएचएस सर्वे हो चुके हैैं। एनएफएचएस-5 यूपी व आगरा में दो भागों में आयोजित हुआ। 13 जनवरी 2020 से 21 मार्च 2020 तक पहले चरण में सर्वे हुआ। इसके बाद कोविड-19 आने के बाद ये रुक गया और 28 नवंबर 2020 से 19 अप्रैल 2021 तक दूसरा चरण हुआ। आगरा में रिसर्च डेवलपमेंट इनीशिएटिव प्राइवेट लिमिटेड द्वारा 944 परिवारों, 1226 महिलाओं और 159 पुरुषों से बातचीत के आधार पर ये सर्वे किया है।

कुल लिंगानुपात में हुई बढ़ोत्तरी
सर्वे के आंकड़ों के अनुसार कुल आबादी के लिंग अनुपात में बढ़ोत्तरी हुई है। एनएफएचएस-4 की रिपोर्ट में एक हजार पुरुषों की आबादी पर 941 महिलाएं थीं, वहीं एनएफएचएस-5 की रिपोर्ट के अनुसार ये संख्या 952 हो गई है।

लड़कियों का स्कूल जाना बढ़ा
एनएफएचएस-5 की रिपोर्ट के अनुसार लोगों ने लड़कियों को स्कूल भेजने में रुचि दिखाई है। एनएफएचएस-4 की रिपोर्ट के अनुसार छह वर्ष से अधिक उम्र की 67.4 प्रतिशत लड़कियों को स्कूल भेजा गया था। अब ये संख्या बढ़कर 69.4 हो गई है।

जन्म मृत्यु का रजिस्ट्रेशन कराने में बढ़ी जागरुकता
एनएफएचएस-5 के आंकड़ों के अनुसार लोगों ने जन्म और मृत्यु का रजिस्ट्रेशन कराने में लोग अवेयर हुए हैैं। एनएफएचएस-4 में पांच साल से छोटे बच्चों का बर्थ रजिस्ट्रेशन कराने की दर 66.9 प्रतिशत थी। जो अब बढ़कर 76.1 हो गई है। वहीं डेथ रजिस्ट्रेशन कराने के मामले में भी लोग अवेयर हुए हैैं। एनएफएचएस-5 के आंकड़ों के अनुसार 50.1 प्रतिशत लोगों की डेथ का रजिस्ट्रेशन हुआ है, जबकि एनएफएचएस-4 में ये आंकड़ा उपलब्ध नहीं था।

स्वच्छता का दायरा बढ़ा
एनएफएचएस-5 के सर्वे में आए आंकड़ों के अनुसार ताजनगरी में स्वच्छता दायरा बढ़ा है। लोग हाईजीन के प्रति जागरुक हुए हैैं। उचित साफ-सफाई रखते हुए पहले जहां 43.5 प्रतिशत लोग जीवनयापन करते थे, जो अब बढ़कर 70.8 प्रतिशत हो गई है। इसमें बड़ा उछाल आया है। वहीं, खाना पकाने में स्वच्छ ईधन का उपयोग करने वाले लोगों की संख्या में भी इजाफा हुआ है। पहले जहां, 46.7 प्रतिशत लोग स्वच्छ ईधन का उपयोग करते थे, लेकिन इसमें लगभग 20 परसेंट का इजाफा हुआ है। अब 67.5 परसेंट परिवार खाना पकाने में स्वच्छ ईधन का उपयोग कर रहे हैैं।

आयोडीन युक्त नमक खाने में आई कमी

एनएफएचएस-5 के आंकड़ों के अनुसार लोगों ने आयोडीन युक्त नमक खाना कम किया है। एनफएचएस-4 के सर्वे की रिपोर्ट के अनुसार 94.8 प्रतिशत लोग आयोडीन युक्त नमक उपयोग करते थे। एनएफएचएस-5 की रिपोर्ट के अनुसार ये संख्या 93.1 हो गई है।

एनएफएचएस-5 एनएफएचएस-4
बीते पांच साल जन्मे बच्चों का लिंग अनुपात- 902 991
6 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाएं जो कभी भी स्कूल गई हों- 69.4 67.4
15 वर्ष से कम उम्र की पॉपुलेशन- 30.5 32.7

कुल आबादी लिंग अनुपात- 952 941
पांच साल से छोटे बच्चों बच्चों का हुआ बर्थ रजिस्ट्रेशन- 76.1 66.9
बीते तीन साल में हुआ डेथ रजिस्ट्रेशन- 50.1 --
बिजली सुविधा के साथ रह रही आबादी-99.1 95.3
स्वच्छ पानी पीने की सुविधा के साथ रह रही आबादी-99.8 99.0
उचित साफ-सफाई की व्यवस्था के साथ रह रही आबादी-70.8 43.5
खाने पकाने में स्वच्छ ईधन प्रयोग करने वाली आबादी- 67.5 46.7
हेल्थ इंश्योरेंस या फाइनेंस स्कीम से कवर फैमिली 9.4 5.0
आयोडीन युक्त नमक प्रयोग करने वाले परिवार 93.1 94.8
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