आगरा(ब्यूरो)। सिकंदरा आवास विकास कालोनी के सेक्टर 14 में बांग्लादेशियों ने करीब दो हजार वर्ग मीटर में झुग्गी-झोपडिय़ां और कबाड़ के गोदाम भी बना रखे थे। 80 से अधिक झुग्गी-झोपडिय़ां हैं। जिसमें से 40 में बांग्लादेशी रहते थे। आईबी के इनपुट पर पुलिस ने इनको पांच फरवरी को अरेस्ट किया। झुग्गी-झोपडिय़ों में भी बांग्लादेशी सभी सुविधाओं का इस्तेमाल कर रहे थे। बाकायदा इन पर बिजली कनेक्शन था।

वर्ष 2016 से कनेक्शन
बिजली मीटर झोपड़ी पर टंगा हुआ था। मीटर प्रॉपर नहीं लगाया गया था। जब इस बारे में टोरंट अधिकारियों से पूछा गया तो उनका कहना था कि प्रॉपर डॉक्यूमेंट के आधार पर यह कनेक्शन 2016 में जारी किया गया था। जिसका समय रहते भुगतान हो रहा है। ऐसे में साफ होता है कि यहां रिहायश वर्ष 2016 या फिर उससे पहले की है।

जमीन को लेकर विवाद
जिस जमीन पर बांग्लादेशियों ने अपनी बस्ती बसा रखी थी, उसको लेकर भी विवाद है। क्षेत्रीय लोगों ने बताया कि जमीन विवादित है। पूर्व में आवास विकास परिषद की ओर से जमीन को अधिग्रहण किया गया, लेकिन मामला कोर्ट में पहुंच गया। इसके बाद से आवास विकास कॉलोनी के बीच जमीन का ये बड़ा टुकड़ा वीरान पड़ा था। शुरूआत में यहां दो से तीन झुग्गी-झोपड़ी थीं।

तीन से चार साल में बढ़ीं झोपडिय़ां
आसपास रहने वालों ने बताया कि शुरू में यहां दो से तीन झुग्गी-झोपड़ी ही दिखती थीं। लेकिन पिछले तीन से चार वर्ष में यहां तेजी से झुग्गी-झोपडिय़ों की संख्या बढ़ी। यहां रहने वाले लोगों की संख्या में भी तेजी से इजाफा हुआ।

लॉकडाउन में पुलिसकर्मी देने आते थे खाने के पैकेट
कोरोना के चलते जब शहर में लॉकडाउन लग गया था तो बस्ती में कई बार पुलिस की गाड़ी में इन लोगों के लिए खाने के पैकेट लाए गए। एक क्षेत्रीय नागरिक ने बताया कि लॉकडाउन में अक्सर पुलिस की गाड़ी में खाने के पैकेट लाकर बस्ती में वितरित किए जाते रहे। अब सवाल यह है कि तो क्या पुलिस की नजर भी इन पर थी।

सामने की जगह पीछे किया फैलाव
आवास विकास में जिस जगह बांग्लादेशियों ने बस्ती बसा रखी थी, उसके पीछे की ओर झाडिय़ां हैं, सामने की ओर रिहायश है। क्षेत्रीय लोगों ने कहा कि शुरू में बस्ती में रहने वाले लोगों ने कबाड़ का फैलाव कॉलोनी की तरफ कर दिया। जिसका विरोध किया तो उन्होंने बस्ती और कबाड़ गोदाम का फैलाव पीछे झाडिय़ों की ओर कर दिया।

बिजली कनेक्शन की ये है प्रक्रिया
टोरंट पॉवर के एक अधिकारी ने बताया कि बिजली कनेक्शन के लिए एक प्रॉपर प्रक्रिया है। इसमें आवेदक से पीओआई (प्रूफ ऑफ आईडेंटिटी), पीओए (प्रूफ ऑफ एड्रेस) और पीओपी (प्रूफ ऑफ प्रॉपर्टी) मांगी जाती है। इसी के बाद बिजली कनेक्शन दिया जाता है।

इन सवालों का जवाब तलाशना जरूरी
- बांग्लादेशियों को किन दस्तावेज के आधार पर दिया बिजली कनेक्शन?
- जमीन विवादित, तो प्रूफ ऑफ प्रॉपर्टी को कैसे किया गया स्वीकार?
- बिजली मीटर रस्सी से बंधा लटका था। क्या इस तरह मीटर लग सकता है?
- हर महीने टोरंट कर्मचारी रीडिंग लेने जाता था, बावजूद इसके मीटर को सही से क्यों नहीं लगाया गया?
- क्या इस तरह घुसपैठियों को बिजली कनेक्शन देकर बिजली बिल के दुरुपयोग की आशंका से इंकार किया जा सकता है?

बिजली बिल का हो सकता है दुरुपयोग
वरिष्ठ अधिवक्ता रवि चौबे ने बताया कि अगर टोरंट पॉवर की ओर से बांग्लादेशियों को बिजली कनेक्शन दिया गया है तो ये संगीन मामला है। बिजली कनेक्शन का इस्तेमाल घुसपैठियों की ओर से पहचान समेत कई तरह के दस्तावेज बनाने में किया जा सकता है। वह सरकारी योनजाओं का लाभ उठाने में भी बिजली बिल का इस्तेमाल कर सकते हैं।



प्रॉपर डॉक्यूमेंट के आधार पर यह कनेक्शन 2016 में जारी किया गया था। जिसका समय रहते भुगतान हो रहा है।

शैलेश देसाई, उपाध्यक्ष टोरेंट पॉवर आगरा


आवास विकास ने जमीन को अधिग्रहीत किया था। लेकिन इसमें कोर्ट में केस फाइल कर दिया गया था। जमीन विवादित है। इसलिए अब तक इस पर कोई निर्माण नहीं हुआ है। जमीन के बारे में और अधिक जानकारी नहीं है।
श्यामवीर सिंह, पार्षद