- निदेशक महिला कल्याण एवं बाल विकास ने प्रकरण को लिया संज्ञान

- सहायक निदेशक को सौंपी जांच, किशोर की पीएम रिपोर्ट और वीडियो रिकाìडग तलब

आगरा: राजकीय संप्रेक्षण गृह में किशोर की मौत के प्रकरण को शासन ने संज्ञान लिया है। महिला कल्याण एवं बाल विकास विभाग के डायरेक्टर मनोज राय ने सोमवार को इस संबंध में विभागीय अधिकारियों से जानकारी हासिल की। जिसके बाद प्रकरण की जांच के आदेश दिए हैं। निदेशालय की टीम आगरा आकर घटनाक्रम की विस्तृत जांच करेगी। निदेशक ने कस्टडी में किशोर मौत और पूर्व में टीबी की बीमारी से पीडि़त होने की जानकारी न होने को घोर लापरवाही माना है। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट में खबर के प्रकाशन के बाद निदेशक ने प्रकरण की जांच सहायक निदेशक वीएस निरंजन को जांच सौंपी है।

किशोर की हुईं थी मौत

सिस्टम की लापरवाही ने रविवार को आगरा के राजकीय संप्रेक्षण गृह में निरुद्ध एक किशोर की जान गई थी। किशोर टीबी की बीमारी से पीडि़त था और इसकी जानकारी जिला प्रोबेशन विभाग को नहीं थी। मलपुरा क्षेत्र स्थित संप्रेक्षण गृह में एटा निवासी निरुद्ध किशोर की तबियत बिगड़ने पर उसे संप्रेक्षण गृह के स्टाफ ने 29 जनवरी को मेडिकल कॉलेज के टीबी वार्ड में भर्ती कराया। शनिवार रात 8 बजे खून की उल्टी के साथ ही किशोर ने आखिरी सांस ली थी। पोस्टमार्टम हाउस के बाहर किशोर की मां का आरोप है कि बेटे की बीमारी के बारे में उसे नहीं बताया गया। बता दें कि जनपद एटा के गांव नया बांस का रहने वाला किशोर 18 सितंबर 2019 से राजकीय बाल संप्रेक्षण गृह में निरुद्ध था। धारा 377, 308 और पॉक्सो एक्ट में तहत किशोर को संप्रेषण गृह में लाया गया था।

टीबी से मौत पर सरकार सख्त

एनएन मेडिकल कॉलेज टीबी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ। संतोष कुमार ने बताया किशोर में टीबी की पुष्टि की। जिसके बाद जानकारी पर सरकार ने शिकंजा कस दिया। महिला एवं बाल कल्याण विभाग के निदेशक मनोज राय ने प्रकरण को गंभीर बताते हुए कहा कि संप्रेषण गृह में निरुद्ध किशोर के हेल्थ परीक्षण में लापरवाही हुई है। हर किशोर का हेल्थ कार्ड बनता है, ऐसे में जांच कराई जा रही है कि क्यों किशोर के हेल्थ कार्ड में टीबी जैसी गंभीर बीमारी का जिक्र नहीं है? सोमवार को निदेशालय में आगरा प्रकरण में निदेशक ने विभागीय अधिकारियों के साथ बैठक की और सहायक निदेशक विजेंद्र सिंह को प्रकरण की जांच सौंपी। जल्द ही सहायक निदेशक के नेतृत्व में एक टीम जांच के लिए आगरा पहुंचेगी।

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संप्रेक्षण गृह में फैली टीबी?

सोमवार को दैनिक जागरण आई नेक्स्ट के परीक्षण में एक खुलासा और हुआ है। तफ्तीश में निकलकर आया है कि 28 जनवरी को संप्रेक्षण गृह में हुए हेल्थ चेकअप में 3 अन्य किशोरों में टीबी के लक्षण मिले थे, जबकि मृत किशोर में टीबी की पुष्टि नहीं हुई थी। जबकि हेल्थ चेकअप के 3 दिन बाद पीडि़त किशोर की मौत हो जाती है। ऐसे में सवाल यह है कि क्या विभाग की लापरवाही से संप्रेक्षण गृह में टीबी फैल गई है? क्योंकि यहां सभी 153 किशोर एक साथ रहते हैं। प्रभारी डीपीओ ने बताया कि मृत किशोर को पूर्व में टीबी थी, लेकिन वो ठीक हो चुका था। यही कारण रहा कि उसका केस डायग्नोसिस नहीं हो सका। वहीं, निदेशालय के आदेश पर प्रोबेशन विभाग एक्शन में आ गया है। अब डॉक्टरों की टीम राजकीय संप्रेक्षण गृह में निरुद्ध सभी 153 बंदियों के हेल्थ की जांच की जाएगी। इसके लिए प्रभारी डीपीओ ने सोमवार को सीएमओ को जांच के लिए पत्र लिखा है।

रखरखाव के लिए खर्च होते हैं करोड़ों

- केंद्र और राज्य सरकार से वित्तपोषित योजना में संप्रेक्षण गृह पर सरकार करोड़ों रुपए खर्च करती है।

-वर्ष 2019-20 में संप्रेक्षण गृह के रखरखाव के लिए 39 लाख रुपए खर्च किए गए थे।

-वर्ष 2017-18 में शासन की ओर से राजकीय संप्रेक्षण गृह के लिए 79 लाख 95 हजार रुपए का बजट जारी किया गया था।

-राजकीय संप्रेक्षण गृह में किशोर को तीन श्रेणियों में रखा जाता है।

-पहली श्रेणी 7 से 12 वर्ष एजग्रुप, दूसरी श्रेणी में 12 से 16 वर्ष ऐजग्रुप और तीसरी श्रेणी 16 से 18 वर्ष एजग्रुप के किशोर रखे जाते हैं।

-निरुद्ध किशोरों को केस ट्रायल होने तक संप्रेक्षण गृह में निरुद्ध रखा जाता है।

बॉक्स में

राजकीय किशोर संप्रेक्षण गृह

153-कुल निरुद्ध किशोर

100-संप्रेक्षण गृह क्षमता-

6-केयर टेकर

3-फोर्थ श्रेणी कर्मचारी

15-होमगार्ड

64-सीसीटीवी

बॉक्स में

जनपदवार

जिला निरुद्ध किशोरों की संख्या

आगरा 52

फीरोजाबाद 12

अलीगढ़ 43

कासगंज 13

एटा 32

फर्रुखाबाद 1

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जांच अधिकारी ने तलब किया रिकार्ड

महिला कल्याण एवं बाल विकास विभाग के निदेशक के निर्देश पर सहायक निदेशक विजेंद्र सिंह निरंजन को जांच सौंपने के साथ ही जांच अधिकारी ने तफ्तीश शुरू कर दी है। सहायक निदेशक ने प्रभारी डीपीओ से किशोर की पोस्टमार्टम रिपोर्ट की सीडी, पुलिस रिपोर्ट, रैंडम हेल्थ जांच रिपोर्ट समेत अन्य दस्तावेज तलब किए हैं।

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आगरा के संप्रेक्षण गृह में टीबी से किशोर की मौत पर जांच बैठा दी गई है। विभाग के सीनियर अधिकारी को जांच का जिम्मा दिया गया है। कस्टडी में रहते हुए किशोर में गंभीर बीमारी टीबी की पड़ताल क्यों नहीं हो सकी? इसकी जांच के लिए प्रोबेशन विभाग से कुछ एवीडेंस और दस्तावेज तलब किए गए हैं। जांच के बाद दोषी पर कार्रवाई होगी। जल्द ही निदेशालय की एक टीम आगरा पहुंचकर परीक्षण करेगी।

-मनोज राय, निदेशक, महिला कल्याण एवं बाल विकास