-वात्सल्य ग्राम और साध्वी ऋतंभरा के समर्पण को सराहा

मथुरा। लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने गुरुवार को यहां कहा कि मां सबसे बड़ा गुरुकुल है। मातृत्व जागने पर वह खुद को भी जगाने में सफल हो जाती है। शिष्य गुरु से सवाया हो जाता है। साध्वी ऋतंभरा उदाहरण हैं। राम मंदिर आंदोलन के दौरान बुलंद आवाज में देश को जगाने वाली साध्वी ऋतंभरा गुरु के संपर्क में आयीं तो स्वयं भी ऐसी जाग गई कि मातृत्व जाग गया। वह पहले वात्सल्य ग्राम में रहने वाले बच्चों की दीदी और फिर मां बन गईं। इस मां को आज मेरा भी दीदी मां कहने का मन करता है।

वात्सल्य ग्राम परिसर में श्रीमद भागवत कथा सुनने आईं सुमित्रा महाजन ने बतौर मुख्य अतिथि यहां कहा कि अयोध्या आंदोलन के समय ऋतंभरा की बुलंद आवाज सुनने के लिए देश इंतजार करता था। दूसरों को जगाते-जगाते दीदी स्वयं जाग गईं और अपना सारा वात्सल्य उड़ेलते हुए दूसरे बच्चों को पूरक परिवार दे दिया। उन्होंने कहा कि हम एक-दो बच्चे जन्मते हैं, मगर समाज के बच्चों को अनाथ नहीं होने देना तथा उन्हें प्रेम संबंधों से परिपूर्ण परिवारीजन देना, अपने आगोश में लेने का सपना साकार ऋतंभरा जैसे व्यक्तित्व को ही सूझ सकता है।

युगपुरुष स्वामी परमानंद महाराज ने कहा कि राजनैतिक लोग दूसरों को नीचा दिखाने तथा अच्छा काम नहीं करते हैं। अगर वह सच्ची सेवा करें तो देश का भला हो सकता है। स्वामी महाराज ने लोकसभा अध्यक्ष की ओर इशारा करते कहा कि विभिन्न सांसद संसद में किस प्रकार उपद्रव करते हैं, यह उनसे अधिक कौन जान सकता है। उन्होंने वात्सल्य परिवार का आह्वान किया कि वह जाति-पाति आदि की भावना से ऊपर उठकर देश को पालने का सत्कर्म करें।

लोकसभा अध्यक्ष ने किया शिलान्यास

लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने संविद गुरुकुलम सीनियर सैकेंड्री स्कूल के बालिका छात्रावास मां कलावती पालयम् के द्वितीय चरण का शिलान्यास किया। साध्वी ऋतंभरा ने उनको सम्मानित किया।

इंद्रियों के गुलाम राष्ट्र का हित

साध्वी ऋतंभरा ने वात्सल्य ग्राम परिसर में श्रीमद भागवत की कथा सुनाते हुए कहा कि पहले मंदिरों में प्रभु के श्रीविग्रह आदि की अच्छाइयों के बारे में चर्चा होती थी, लेकिन अब मंदिरों में ऐसी चर्चाएं कम सुनने को मिलती हैं। हालत यह हो गई है कि बहुत से लोग घर से निकले थे भगवान को जपने और उन्हें पाने के लिए, परंतु स्वयं की पूजा कराने लगे।

उनका कहना था कि जो इंद्रिय और मन का गुलाम बने हैं वे देश का हित नहीं कर सकते हैं। साध्वी का कहना था कि यह तन श्याम रंग में रंगने को मिला है। संसार की कीचड़ में रंगने के लिए नहीं। इसलिए श्याम को पकड़ो, सोने का सिंहासन, नोटों से प्रभु नहीं मिलते। शार्टकट से काम नहीं चलेगा, किनारा मझधार में डूबने से मिलेगा। ईश्वर को देखो, उसने ऐसा आकाश बनाया है जिसमें एक भी खंभा नहीं लगाया।

साध्वी ने बताया कि उन्होंने आप सभी को प्रेम योग की दीक्षा देने यहां बुलाया है। इसलिए हर काम ईश्वर को समर्पित करो। स्नान ऐसा करो जैसे शंकरजी का अभिषेक हो रहा है। नारियां एक कप चाय का भोग लगाएं और उसमें से आधी पति को दें तथा आधी को स्वयं पीएं। श्रंगार करें, मगर प्रभु को अर्पित करके। इस अवसर पर आरएसएस के केंद्रीय कार्यकारिणी सदस्य बजरंग लाल गुप्ता, महामंडलेश्वर बालकानंद, महंत हरिबोल बाबा, महामंडलेश्वर स्वामी जगतानंद, आचार्य बद्रीश समेत अनेक विद्वान मौजूद रहे।