- इस बार बाजार में नहीं दिखाई दी चीनी राखी

आगरा: रक्षाबंधन पर भाइयों की कलाई पर सजी राखियां चीनी को सबक सिखाने की कहानी बयां कर रही थीं। ऐसा कोई कलाई नहीं थी जिसमें स्वदेशी राखी न हो। इस बार लोगों ने चीनी राखी का बहिष्कार साबित कर दिया कि अब चीनी को आर्थिक रूप से कमजोर कर उस पर जीत प्राप्त की जा सकती है।

गलवान घाटी की घटना के बाद हर कोई चीन को सबक सिखाने की बात कह रहा था। इसके लिए रक्षाबंधन त्योहार को सबसे सही समय माना गया। लोगों ने चीनी राखी का बहिष्कार करने की मुहिम शुरू हुई। उसका असर रक्षाबंधन से पहले बाजारों में दिखाई भी दिया। इस बार बाजार में चीनी राखी नदारद रहीं।

लुहार गली एसोसिएशन के अध्यक्ष रामकुमार ने बताया कि पिछले सालों में बाजार में चीन की बनी राखी बड़ी तादाद में आती थीं, लेकिन इस बार चीनी राखी नहीं आईं। लोगों ने भी खरीदारी से पहले चीनी राखी न लेने की बात कही। इसका असर यह रहा कि स्वदेशी राखियों की डिमांड बढ़ी। लोगों ने स्थानीय स्तर पर भी राखियां तैयार कराईं। राखी के थोक व्यापारियों के मुताबिक इस साल स्वदेशी राखी से चीन को करीब एक करोड़ रुपये का झटका लगा है।

कोरोना के चलते घर बनाई राखी

इस बार कोरोना के चलते लोग बाजार में कम ही निकले। बहुत से लोगों ने तो घर में ही राखी तैयार कीं। स्वयंसेवी संगठनों ने भी चीनी राखी का बहिष्कार के लिए स्वदेशी राखी तैयार कर उनका वितरण कराया था। इसका असर भी बाजार में देखने को मिला।