आगरा। सिकंदरा के गैलाना में पांच हजार से अधिक की आबादी है। किशोरी की हत्या के बाद दिन भर गांव में सन्नाटा पसरा रहा। वहीं महिलाओं और बच्चों में दहशत का माहौल रहा। गांव में आधे गांव के लिए ही सामुदायिक शौचालय है, जबकि आधे गांव की महिलाएं जंगल में शौच के लिए जाती हैं। जनप्रतिनिधियों द्वारा गांव के शुरुआती भाग में एक ही सामुदायिक शौचालय है, जहां सुबह से ही लाइन लगी रहती है। ऐसे में स्थानीय जनप्रतिनिधि से गांव के दूसरे भाग में भी सामुदायिक शौचालय खुलवाने की मांग की गई थी, लेकिन अभी तक मामला पेंडिंग है।

बच्चियों को अकेले नहीं भेजते

गैलाना में तीस फीसदी घरों में शौचालय नहीं है। गांव की महिला सुनीता ने बताया कि गांव दो भागों में है, जंगल की ओर बने अधिकतर घरों में शौचालय नहीं हैं। वहां की सभी महिलाओं सहित पुरुष जंगल में जाते हैं। किशोरी को अकेले नहीं जाने दिया जाता, उनके साथ बड़े जाते हैं।

पहले भी हो चुकी है दुष्कर्म की घटना

शौच को जा रही एक महिला ने बताया कि किशोरी की हत्या का यह पहला मामला है, जबकि दुष्कर्म की दो वारदात पूर्व में हो चुकी है। दो वर्ष पहले की बात है, जिसमें एक आठ वर्ष की किशोरी अपनी बड़ी बहन के घर आई थी, शौच जाने पर जंगल में उसके साथ दुष्कर्म की वारदात को अंजाम दिया गया, वहीं दो वर्ष पूर्व भी इस तरह का मामला सामने आया था।

वर्जन

गांव में ये बहुत बड़ी समस्या है कि घरों में शौचालय नहीं हैं, ऐसे में मजबूरी है जंगल में शौच जाना। सुबह सभी महिलाएं समूह के साथ जाती हैं, दोपहर में अकेले ही जाना पड़ता है। परिवार में कई बार घर शौचालय को लेकर चर्चा की गई, लेकिन कोई फायदा नहीं है।

रूमा

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गांव में शादी के बाद आई थी आज पैंतालीस साल हो चुके हैं, लेकिन सब उसी तरह चल रहा है जो पहले था। शुरुआती दौर में सभी महिलाएं और पुरुष बाहर जाते थे, लेकिन आज भी जब हर तरह की सुविधा है, इसके बाद जंगलों में शौच के लिए जाना पड़ता है। क्या करें मजबूरी है।

मीरा

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बीस वर्ष हो चुके हैं मेरी शादी को सब कुछ पहले की तरह ही है.जबकि दो वर्ष पूर्व भी इस तरह की वारदात हो चुकी है। लेकिन इसके बाद भी शौचालय की व्यवस्था नहीं है। जिसके चलते आज भी मजबूरी में जंगल में शौच के लिए जाना पड़ता है। खास तौर पर बच्चों का ध्यान रखना पड़ता है।

गुड्डी

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गांव के लोगों के साथ बाहर से आने वाले रिश्तेदार भी जंगल जाते हैं। दीवार बनने से गांव वालों को आड़ मिली है। इसकी आड़ में महिलाएं शौचालय जाती हैं। वन विभाग की जमीन है। अगर गांव और जंगल के बीच बाउंड्रीवॉल बन जाती है तो काफी राहत मिल सकती है।

सुनीता

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किशोरी के पिता गन्ने का जूस बेचते हैं। घटना वाले दिन सुबह ग्यारह बजे तक किशोरी ने गन्ने छीलने का कार्य किया था, इसके बाद नहाने से पहले शौच को चली गई। बच्ची के परिवार में दो भाई और तीन बहन हैं। उनके दो घर हैं एक घर जंगल से नजदीक है, जबकि दूसरा कुछ दूरी पर है।

सुनीता देवी