केस वन

बाग मुजफफर खां निवासी मनोज सिंह की दो बेटियां पास के ही कान्वेंट स्कूल में पढ़ती हैं। कोरोना काल में स्कूल फीस जमा नहीं कर पाए तो स्कूल ने बेटियों को ऑनलाइन ग्रुप से निकाल दिया, फीस माफी का प्रार्थना-पत्र भी नहीं लिया। डीआईओएस और कमिश्नर से शिकायत की है।

केस टू

मारूति सिटी निवासी राकेश चावला के बच्चे शमसाबाद रोड स्थित पलिक स्कूल में पढ़ते हैं। स्कूल ने फीस न मिलने पर मार्च में उन्हें आनलाइन शिक्षण ग्रुप से हटा दिया। दो बार से परीक्षा में भी शामिल नहीं होने दिया। डीआइओएस से की शिकायत पर कोई सुनवाई नहीं हुई।

केस तीन

कमला नगर निवासी गौरव प्रताप सिंह की बेटी संजय प्लेस स्थित कान्वेंट स्कूल में पढ़ती है। कोरोना काल में नौकरी चली गई, आर्थिक स्थिति के कारण स्कूल फीस नहीं दे पाए। स्कूल ने बेटी को आनलाइन कक्षा से निकाल दिया। किश्त में फीस देना चाहते हैं, लेकिन स्कूल नहीं मान रहा।

केस चार

खंदारी स्थित रामानंद शर्मा के दो बच्चे हाईवे स्थित कान्वेंट स्कूल में पढ़ते हैं, उन्होंने स्कूल में फीस कम करने का प्रार्थना पत्र दिया, तो स्कूल ने लेने से ही मना कर दिया। फीस रसीद में मैग्जीन, कंप्यूटर, लाइब्रेरी आदि की फीस भी जोड़ दी। डीआइओएस से शिकायत पर सुनवाई नहीं हुई।

स्कूलों ने फीस न देने पर विद्यार्थियों को आनलाइन कक्षाओं से निकाला

परीक्षा में नहीं होने दिया शामिल, शासनादेश के बाद भी शिकायतों पर नहीं हुई कार्रवाई

आगरा। यह महज कुछ ही मामले हैं, लेकिन आजकल शहर के हर घर में लोग यह समस्या झेल रहे हैं। फीस न मिलने के कारण कुछ स्कूलों ने शासनादेश हवा में उड़ाते हुए विद्यार्थियों को आनलाइन शिक्षण ग्रुप से हटाने के साथ उन्हें परीक्षा में बैठाने से इंकार कर दिया है।

नहीं हो रहा शासनादेश का पालन

स्थिति यह है कि स्कूलों ने फीस में रियायत देने वाले प्रार्थना-पत्र भी लेना बंद कर दिया। जबकि शासनादेश है कि कोई भी स्कूल विद्यार्थी को फीस के अभाव में न तो ऑनलाइन क्लास से निकालेगा, न परीक्षा में बैठने से रोकेगा। सिर्फ शिक्षण शुल्क लिया जाएगा, बावजूद इसके अभिभावकों से तमाम मदों में फीस जबरन वसूली जा रही है।

पापा चला रहा है आंदोलन

प्रोग्रेसिव आगरा पेरेंट्स एसोसिएसन (पापा) के दीपक सरीन का कहना है कि स्कूलों की मनमानी से अभिभावक परेशान हैं, जबकि विभागीय अनदेखी उनका हौसला तोड़ रही है। संस्था ने डीआईओएस से 41 स्कूलों की शिकायत की थी, उसके बाद 36 स्कूलों की लिस्ट और अभिभावकों के प्रार्थना पत्र डीएम को सौंपे। 56 स्कूलों की शिकायत जिला शुल्क व नियामक समिति से की। हालांकि समिति ने शिकायत पर स्कूलों को नोटिस जारी किए, लेकिन जवाब क्या आया? उन्हें आज तक नहीं पता। संस्था अब तक 450 से ज्यादा प्रार्थना-पत्र दे चुकी है, लेकिन समाधान कोई नहीं निकला।

जारी कर रहे हैं नोटिस

अभिभावकों की शिकायत पर नोटिस जारी किए जा रहे हैं। अब तक करीब 54 स्कूलों को नोटिस जारी किए गए। उन्होंने शिकायतकर्ता अभिभावकों को राहत देने का भरोसा भी दिया। उसके बाद दोबारा शिकायत नहीं मिली। वहीं, ज्यादा फीस वसूले जाने की शिकायत पर कल भी कुछ स्कूलों को नोटिस जारी किए हैं।