अगरा (ब्यूरो)। शिक्षाविद और डॉ। बलूनी ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के चेयरमैन डॉ। नवीन बलूनी ने बताया कि नई शिक्षा नीति स्कूल में दाखिला लेने वाले स्टूडेंट से लेकर कॉलेज में पढऩे वाले स्टूडेंट से लिए गेम चेंजर साबित होगी। इससे बच्चे अब रटेंगे नहीं बल्कि सीखेंगे। इसमें बच्चों को सिखाने पर जोर दिया गया है। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि नई शिक्षा नीति में बच्चे को टेबल रटाने के बजाया उसे जोडऩा, घटाना, मल्टीप्लाई करना सिखाने पर जोर रहेगा। उन्होंने कहा कि अब तक बच्चे को टेबल तो याद हो जाती थी, लेकिन उसे मल्टीप्लाई करने और जोडऩे, घटाने में समस्या रहती थी। यदि बच्चा मल्टीप्लाई, जोडऩा-घटाना जानता है तो वो अच्छी तरह से मैथ को सॉल्व कर लेगा। नई शिक्षा नीति में स्टूडेंट का बेसिक क्लीयर होगा।

भाषा की नहीं बनेगी बैरियर
डॉ। बलूनी ने बताया कि हम शुरु से ही उस भाषा में कोई भी चीज सीखने में सहज होते हैैं, जिसमें हम आसानी से समझते हैैं। नई शिक्षा नीति में थ्री लैैंग्वेज फॉर्मूला की बात की गई है। इसके अनुसार पांचवी क्लास तक स्टूडेंट को मातृभाषा में स्टडी करने की बात कही गई है। जब बच्चा अपनी मातृभाषा में कुछ सीखेगा तो वो उसे ज्यादा समझ में आएगा, जबकि इंग्लिश में चीजों को समझने में दिक्कत होगी। अभी छोटे बच्चे को इंग्लिश में कुछ सिखाते हैैं तो उसका पूरा फोकस इंग्लिश के शब्दों और वाक्यों को समझने में लग जाता है। यहां इंग्लिश बाधा की तरह काम करती है। इस प्रक्रिया में सब्जेक्ट को अच्छी तरह से नहीं समझ पाता है। रही बात अंग्रेजी की, आगे की क्लास में जाकर बच्चा अंग्रेजी में भी पढ़ेगा और वो अपनी रूचि के हिसाब से इंग्लिश को चुनेगा और सीख जाएगा।

स्टूडेंट ओरिएंटेड है एनईपी
डॉ। बलूनी ने बताया कि नई शिक्षा नीति पूरी तरह से स्टूडेंट ओरिएंटेड है। इसमें स्टूडेंट अपनी रूचि के हिसाब से सब्जेक्ट चुन सकता है और पढ़ाई कर सकता है। पहले की तरह इसमें ऐसा नहीं होगा कि स्टूडेंट जिस रास्ते पर चल पड़ा तो वापस नहीं लौटेगा। इसमें बच्चा अपनी मर्जी से सब्जेक्ट चुनकर पढ़ाई कर सकता है। डॉ। बलूनी ने कहा कि इससे सुपियरिटी और इंप्युरिटी कॉम्पलैक्स दूर होगा। अब तक ऐसा माना जाता था कि साइंस स्ट्रीम का बच्चा ज्यादा होशियार है, आर्ट का कम होशियार है। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा।

अपनी कॉपी खुद जांचेंगे बच्चे
डॉ। बलूनी ने बताया कि एनईपी में मूल्यांकन का पूरा फॉर्मूला ही बदल दिया है। अब स्टूडेंट माक्र्स के पीछे नहीं भागेंगे। एनईपी के अनुसार अपनी एग्जाम शीट पर सबसे पहले बच्चा खुद को माक्र्स देगा। इसके बाद उसकी क्लास का पास में बैठा स्टूडेंट उसे माक्र्स देगा और सबसे अंत में टीचर स्टूडेंट को माक्र्स देगी। इससे फायदा ये होगा कि बच्चे को खुद अपनी परफॉर्मेंस का अहसास होगा। वो अपनी पर्फोमेंस में सुधार लाएगा।

हायर एजुकेशन में भी आएगा बदलाव
डॉ। बलूनी ने बताया कि एनईपी से हायर एजुकेशन में भी बदलाव आएगा। जब स्टूडेंट कॉलेज जाएगा तो वो ऐसा स्टूडेंट होगा जिसका बेसिक क्लीयर होगा। वो कॉलेज जाकर हायर एजुकेशन को पाने के लिए तैयार होगा। उन्होंने बताया कि एनईपी में स्टूडेंट केवल डिग्री के लिए स्टडी नहीं करेगा। बल्कि कुछ नया सीखने के लिए स्टडी करेगा। हायर एजुकेशन के बाद स्टूडेंट को एक्जिट एग्जाम देना होगा।

"नई शिक्षा नीति को 50 परसेंटाइल के फॉर्मूले पर बनाया गया है। इससे क्लास का कमजोर बच्चा भी कोर्स को समझ सकेगा और होशियार बच्चा भी। एनईपी गेम चेंजर साबित होगी."
- डॉ। नवीन बलूनी, चेयरमैन, डॉ। बलूनी ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस