अरुण पाराशर
आगरा(ब्यूरो। ) आमतौर पर शहर में इमरजेंसी की स्थिति में पुलिस के अधिकारी किसी बड़े फैसले को लेने के लिए स्वतंत्र नहीं होते। इन्हें जिलाधिकारी, मंडलायुक्त और शासन से जारी होने वाले निर्देशों का पालन करना पड़ता है। उनके निर्देशों के मुताबिक ही काम करना पड़ता है। नया कमिश्नर सिस्टम लागू होने के बाद पुलिस कमिश्नर के पास निर्णय लेने के अधिकार बढ़ जाएंगे।

पुलिस को मिलेंगे ये अधिकार
नया कमिश्नर सिस्टम लागू होने पर डीसीपी और एसीपी को मजिस्ट्रेट के भी अधिकार मिल जाएंगे। इसके साथ ही नए सिस्टम के तहत सीआरपीसी के बाकी अधिकार भी पुलिस कमिश्नर को मिल जाएंगे। लाठी-चार्ज और फायरिंग के आदेश देने का अधिकार के अलावा मजिस्ट्रेट के न्यायालयी अधिकार भी पुलिस कमिश्नर के पास आ जाएंगे। गुंडा एक्ट, गैंगस्टर आदि के मामलों की मंजूरी के लिए भी पुलिस को डीएम के आदेश का इंतजार नहीं करना होगा।

लाइसेंस जारी करने के अधिकार भी मिलेंगे
नया कमिश्नर सिस्टम लागू होने से बार लाइसेंस से लेकर शस्त्र और होटल के लिए जारी होने वाले लाइसेंस का अधिकार भी पुलिस कमिश्नर को मिल जाता है। इसके साथ ही धरना प्रदर्शन, समारोह, त्योहार आदि के इजाजत और किसी खास हिस्से में पुलिस बल की संख्या तय करने का अधिकार भी पुलिस के पास रहेगा।


आगरा के लिए क्यों अहम है कमिश्नर प्रणाली
विश्वदायी स्मारक ताजमहल के चलते आगरा दुनियाभर में फेमस है। सालभर यहां विदेशी टूरिस्ट्स का आगमन रहता है। देश में कोई भी विदेशी डेलीगेट्स आए, उनके कार्यक्रम में ताज विजिट भी शामिल रहती है। आगरा यूपी वेस्ट का प्रमुख शहर है। दिल्ली और एनसीआर रीजन से ये शहर सीधा जुड़ा हुआ है। ऐसे में यहां मजबूत पुलिसिंग कई मायनों में अहम होगी।

ऐसे मजबूत होगी कानून-व्यवस्था
कमिश्नर प्रणाली में पुलिस को तमाम प्रशासनिक अधिकार भी मिल जाते हैं। क्षेत्र में धारा 141 या कफ्र्यूू लागू करने का अधिकार भी प्रशासनिक अधिकारियों के पास होता है। इसी तरह सामान्य पुलिसिंग के अंतर्गत दंगे जैसी स्थिति में पुलिस को लाठीचार्ज या फायरिंग के लिए भी प्रशासनिक अधिकारी से अनुमति लेनी होती है। शांति भंग जैसी धाराओं में आरोपी को जेल भेजना है या जमानत देनी है, इसका फैसला प्रशासनिक अधिकारी करते हैं। दरअसल, दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) जिलाधिकारी (डीएम) को कानून व्यवस्था बरकरार रखने के लिए कई शक्तियां प्रदान करता है। पुलिस कमिश्नर प्रणाली में सीआरपीसी के सारे अधिकार पुलिस अधिकारी को मिल जाते हैं। ऐसे में पुलिस त्वरित कार्रवाई करने में सक्षम होती है। कानून व्यवस्था मजबूत होती है।


ये होगा बदलाव
मौजूदा व्यवस्था कमिश्नरेट
एडीजी पुलिस कमिश्नर
आईजी ज्वॉइंट सीपी
डीआईजी एडिशनल सीपी
एसएसपी/एसपी डीसीपी (डिप्टी कमिश्नर ऑफ पुलिस)
डीएसपी/ एएसपी एसीपी (असिस्टेंट कमिश्नर ऑफ पुलिस)

डीसीपी के दायरे में होगी कई चौकी और थाने
डीसीपी एक शहर या इलाके के प्रभारी होते हैं। डीसीपी के नीचे डीएसपी व एएसपी होते हैं, जिन्हें कमिश्नर प्रणाली में असिस्टेंट कमिश्नर ऑफ पुलिस (एसीपी) कहा जाता है। इसके अलावा सभी थाने व पुलिस चौकियां भी सीधे तौर पर डीसीपी के अंतर्गत आती हैं।


जिले को कई जोन में बांटा जाएगा
पुलिस कमिश्नर प्रणाली के तहत जिले को कई जोन में बांटा जाएगा। प्रत्येक जोन का प्रभारी डीसीपी (एसएसपी) रैंक का अधिकारी होगा। इसके अलावा ट्रैफिक पुलिस सहित कुछ अन्य शाखाओं के प्रभारी के तौर पर भी डीसीपी स्तर के पुलिस अधिकारी को तैनात किया जाएगा। ये सभी अधिकारी जिले में बतौर पुलिस कमिश्नर तैनात किए जाने वाले एडीजी रैंक के अधिकारी के अंतर्गत काम करेंगे। अभी पूरे आगरा के लिए एक एसएसपी रैंक का अधिकारी होता है। जबकि एडीजी रैंक के अधिकारी की आगरा जोन के लिए तैनाती होती है। जब जिले का प्रभार एडीजी रैंक के पुलिस कमिश्नर को सौंपा जाएगा और उनके अंतर्गत कई डीसीपी अलग-अलग जोन में तैनात होंगे। जिले में सर्किल और थाने की व्यवस्था सामान्य पुलिस प्रणाली की तरह ही होती है। जिसमें सीओ के जगह सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) होता है्र, उसके अधीन थाने के एसएचओ आते हैं।


जिले की स्थिति
44 पुलिस स्टेशन
06 तहसील
15 ब्लॉक
906 गांव
44.18 लाख जनसंख्या


इस निर्णय से पुलिस कमिश्नर को मजिस्ट्रेट के अधिकार प्राप्त होंगे। इससे कानून व्यवस्था प्रभावी होगी। आगरा में पुलिसिंग बेहतर हो सकेगी।
वीरेंद्र गुप्ता, अध्यक्ष, ट्रांसपोर्ट चैंबर आगरा

प्रदेश सरकार का आगरा को पुलिस कमिश्नरेट बनाने का बहुत अच्छा फैसला है। इससे पुलिसिंग और प्रभावी होगी। अपराधियों पर शिकंजा कस सकेगा।
डॉ। देवाशीष भट्टाचार्य

कमिश्नर प्रणाली लागू होने से आमजन को इसका सीधा लाभ मिलेगा। पुलिस की पॉवर बढ़ेगी। अपराधियों के हौसले पस्त होंगे। दंड प्रक्रिया संहिता के कुछ प्रावधान जैसे धारा 107, 116, 151, 133, 145 में अब पुलिस को पॉवर रहेगी। कार्यपालक मजिस्ट्रेट का हस्तक्षेप नहीं रहेगा। कानून में आस्था रखने वालों को न्याय तुरंत मिलेगा।
रवि चौबे, अधिवक्ता

इस तरह होगी पुलिसिंग
सीपी
जेसीपी/ एडिशनल सीपी
डीसीपी
एडमिशन डीसीपी
एसीपी
एसएचओ

नोट: लखनऊ कमिश्नरेट में इस तरह की व्यवस्था लागू है। कमिश्नरेट व्यवस्था लागू होने के बाद लॉ एंड ऑर्डर, क्राइम, हेडक्वॉर्टर, ट्रैफिक के लिए जिम्मेदारी जेसीपी, एडिशनल सीपी, डीसीपी को सौंपी जाएगी। इनमें पदो की संख्या एक से अधिक हो सकती है। आगरा में 44 थाने हैं। ऐसे में सर्किल की जिम्मेदारी एसीपी को दी जाएगी। एसीपी के अंडर में तीन से चार थाने हो सकते हैं।


आगरा में ये हो सकते हैं जोन
जिले को अभी सिटी, ईस्ट और पश्चिमी में बांटा गया है। हर सेक्टर का नेतृत्व एक एडिशनल एसपी स्तर का अधिकारी करता है। कमिश्नरेट व्यवस्था लागू होने के बाद ये जोन में तब्दील हो सकते हैं। सिटी, ईस्ट और पश्चिमी जोन बन सकते हैं। कमिश्नरेट व्यवस्था लागू होने के बाद जिले में आईपीएस अधिकारियों की संख्या बढ़ेगी।