अरुण पाराशर
आगरा(ब्यूरो)। नगर निगम परिसर में स्मार्ट सिटी का कैंपस बना है। यहां पर ही इंटीगे्रटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर बना हुआ है। जिससे सिर्फ शहर की मॉनिटरिंग ही नहीं होती है, बल्कि ट्रैफिक रूल्स का उल्लंघन करने वालों पर भी डंडा चलाया जाता है। ऐसे विजुअल को रिकॉर्ड किया जाता है, जिसमें ट्रैफिक रूल्स को तोड़ते वाहन दिखते हैं। इन्हीं विजुअल के आधार पर पुलिस चालान करती है। इसके बाद चालान का शुल्क वसूलती है।

अब हिस्सा चाहता है निगम
जिस इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर का इस्तेमाल कर पुलिस चालान करती है, उस सेंटर के संचालन पर हर महीने में करीब 16 लाख रुपए का खर्च आता है। ऐसे में इस खर्च को वहन करने के लिए नगर निगम अब चालान के शुल्क में अपना हिस्सा चाहता है।

हाल ही में हुई थी बैठक
हाल ही में स्मार्ट सिटी की बैठक पणजी में हुई थी। जिसमें आगरा, कोयंबटूर, इंदौर, सूरत आदि शहर शामिल हुए थे। इसमें चर्चा के दौरान सामने आया था कि अन्य स्मार्ट सिटी में वाहन चालान से होने वाले शुल्क की वसूली 25 परसेंट से लेकर 50 परसेंट तक निगम के खाते में जाती है। जिससे कंट्रोल सेंटर पर होने वाले खर्च को उठाया जाता है।


निगम पर बोझ होगा कम
पिछले तीन वर्ष में करीब चार लाख वाहनों के चालान इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर से किए गए हैं। इन चालानों का शुल्क करीब 50 करोड़ रुपए है। इसमें से पुलिस की ओर से करीब 10 से 15 करोड़ का शुल्क वसूला भी जा सकता है। ऐसे में नई व्यवस्था लागू हो जाती है तो इसका आधा निगम के खाते में जाएगा।


300 करोड़ की लागत से बनाया गया इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर
16 लाख रुपए करीब हर महीने खर्च आता है आईसीसीसी पर
07 लाख रुपए करीब आता है बिजली का बिल
1.75 लाख रुपए नगर निगम को जाता है किराया
1340 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं, जो कंट्रोल रूम से कनेक्ट हैं
43 पब्लिक एड्रेस सिस्टम
43 पैनिक बटन
39 एनवायरनमेंट सेंटर
63 ट्रैफिक लाइट

लगाए गए हैं चार प्रकार के कैमरे
पीटीजेड कैमरा
चौराहों पर पीटीजेड कैमरे लगाए गए हैं। इस कैमरे की खासियत ये होती है कि इसे रिमोट के माध्यम से कम ज्यादा किया जा सकता है। इसकी जूम को भी बढ़ाया जा सकता है। यह किसी एक विषय वस्तु पर फोकस कर सकता है। जैसे वस्तु मूव करेगी तो ये कैमरा भी साथ ही मूव करता है।

एएनपीआर कैमरा
ऑटोमेटिक नंबर प्लेट रिकॉग्रिशन कैमरा ये कैमरा व्हीकल्स की नंबर प्लेट को कैच करने में सहायक है। इस कैमरे की खासियत ये है कि ये कैमरा दौड़ते हुए वाहनों की नंबर प्लेट का कैप्चर कर लेगा। इसका डाटा सॉफ्टवेयर पर अपलोड हो जाता है।

आरएलवीडी
रेड लाइट वॉल्यूशन डिटेक्शन कैमरा, इस प्रकार के कैमरे चौराहों पर ई-चालान के लिए लगाए गए हैं। इन कैमरों के माध्यम से रेड लाइट क्रॉस करने या बिना हेलमेट के कोई दुपहिया वाहन चालक गुजरता है, तो ये कैमरा उसको डिडेक्ट कर कैप्चर कर उसको सेव कर देता है। सॉफ्टवेयर में इंटरनेट कनैक्टिविटी होने के साथ ई-चालान ऑटोमेटिक हो जाता है। जिन लोगों के मोबाइल फोन आरटीओ में सेव हैं, उसको मैसेज भेज दिया जाता है। जिन लोगों का मोबाइल नंबर सेव नहीं है, उनको डाक से सूचना भेजी जाती है।

फिक्स बॉक्स कैमरा: चौराहे या पूरे शहर की निगरानी के लिए फिक्स बॉक्स कैमरे लगाए गए हैं। इन कैमरों की खासियत ये है कि ये पूरे बाजार गली, चौराहे या सड़क को कवर करता है।

आईसीसीसी से कनेक्ट सेवाएं
- स्मार्ट पार्र्किं ग
- ट्रैकिंग ऑफ सॉलिड वेस्ट
- एरिया बेस्ड डेवलपमेंट, एबीडी
- स्मार्ट मैप जीआईएस
- फायर बिग्रेड कंट्रोल सिस्टम
- इमरजेंसी रेस्पॉन्स एवं डिजास्टर मैनेंजमेंट
- इंटीग्रेटेड ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम
- सोलर पोल एवं स्ट्रीट लाइट


अन्य स्मार्ट सिटी में इस तरह की व्यवस्था हैं। यहां भी इसे लागू कराने के लिए शासन को पत्र लिखा गया है।
अंकित खंडेलवाल, नगरायुक्त