-नगर निगम ने वन विभाग से मांगी अनुमति

-वाइल्डलाइफ एसओएस की मदद से पकड़े जाएंगे बंदर

-शहर में बंदरों की अनुमानित संख्या 30 हजार

आगरा : ताजनगरी में एक बार फिर बंदरों को पकड़ने की तैयारी हो रही है। इसके लिए नगर निगम ने वन विभाग से अनुमति मांगी है। अनुमति मिलने के बाद इस प्रस्ताव पर काम शुरू हो जाएगा।

पूर्व में बन चुका है प्रोजेक्ट

शहर में ताजमहल, सिकंदरा, एसएन मेडिकल कालेज, बेलनगंज, रावतपाड़ा, दरेसी, किनारी बाजार, जामा मस्जिद, आगरा किला समेत कई क्षेत्रों में बंदरों का आतंक है। पिछले कुछ दिनों में बंदरों की वजह से घटनाएं भी कई हुई हैं। बेलनगंज, रावतपाड़ा और दरेसी जैसे इलाकों में लोगों ने बंदरों के आतंक से बचने के लिए लोहे की जालियों से अपने घरों को सुरक्षित किया है। वर्ष 2019 में कीठम स्थित भालू संरक्षण केंद्र और चुरमुरा स्थित हाथी देखभाल केंद्र पर रेस्क्यू सेंटर बनाने की योजना थी, जो अब तक पूरी नहीं हो पाई है। बंदरों को पकड़ने के लिए वाइल्ड लाइफ एसओएस ने प्रोजेक्ट तैयार किया था, जिसमें 55 करोड़ रुपये खर्च होने थे। पूर्व में वाइल्डलाइफ एसओएस द्वारा एसएन मेडिकल कालेज के बंदरों को पकड़कर बंध्याकरण भी किया गया था।

अल्फा बंदरों पर है नजर

बंदर टोलियों में चलते हैं। इनमें टोली का नेतृत्व करने वाला बंदर (अल्फा) सबसे आक्रामक होता है। उसकी पहचान कर उसे पकड़ा जाएगा। इससे उन टोलियों का आतंक कम होगा।

पांच साल पहले हुई थी गणना

शहर में बंदरों की गणना वन विभाग ने पांच साल पहले कराई थी। तब इनकी संख्या लगभग 18 हजार थी। वर्तमान में शहर में बंदरों की अनुमानित संख्या 30 हजार है।

वन विभाग से बंदरों को पकड़ने की अनुमति मांगी गई है। बंदरों को पकड़ने का काम वाइल्डलाइफ एसओएस द्वारा किया जाएगा। जल्द ही इस संबंध में बैठक होगी।

-निखिल टीकाराम, नगरायुक्त