AGRA। कोरोना काल में हुई ऑक्सीजन क्राइसिस के बाद में एसएन मेडिकल कॉलेज में चार ऑक्सीजन प्लांट लगाए गए थे। इस वक्त एसएन की इमरजेंसी, टीबी एंड चेस्ट डिपार्टमेंट, मेडिसिन बिङ्क्षल्डग और एमसीएचस बिङ्क्षल्डग सहित चार ऑक्सीजन प्लांट संचालित हैं। हर प्लांट की उत्पादन क्षमता एक हजार लीटर ऑक्सीजन प्रति मिनट है। एसएन के अधिकांश विभागों में सेंट्रल ऑक्सीजन सप्लाई की भी व्यवस्था है। इसके बाद भी डी टाइप ऑक्सीजन सिलेंडर इस्तेमाल किए जा रहे हैं। सबसे ज्यादा सिलेंडर इमरजेंसी में इस्तेमाल हो रहे हैं। यहां 50 से 60 ऑक्सीजन सिलेंडर हर रोज इस्तेमाल हो रहे हैं। इसके साथ ही मेडिसिन बिङ्क्षल्डग में भी ऑक्सीजन सिलेंडर इस्तेमाल किए जा रहे हैं।

अल्टरनेट ऑप्शन जरूरी
एसएन मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ। प्रशांत गुप्ता ने बताया कि ऑक्सीजन प्लांट को लगातार नहीं चलाया जाता है, कुछ घंटे चलाने के बाद रेस्ट दिया जाता है। उन्होंने बताया कि दोनों का खर्च भी लगभग एक जैसा है। एक ऑक्सीजन प्लांट 250 केवीए एनर्जी कॉन्ज्यूम करता है। इसमें यूज होने वाली बिजली लागत और सिलेंडर की लागत लगभग एक जैसी है। उन्होंने कहा कि हमें मरीज को परेशानी न हो, इस कारण हमें अल्टरनेट ऑप्शन भी रखना पड़ता है। इसलिए सिलेंडर भी इस्तेमाल किए जा रहे हैं। धीरे-धीरे सिलेंडर पर निर्भरता कम की जाएगी, लेकिन ऑक्सीजन की कमी न हो इसके लिए सिलेंडर स्टैंड बाई में रखे जाएंगे।

ऑक्सीजन, दवा और जांच के केमिकल के लिए आता है बजट
एसएन को हर वर्ष ऑक्सीजन, दवा और जांच में इस्तेमाल होने वाले केमिकल के लिए बजट मिलता है। बजट का एक बड़ा हिस्सा ऑक्सीजन की आपूर्ति में खर्च हो रहा है। डी टाइप ऑक्सीजन सिलेंडर की आपूर्ति बाजार में 400 से 500 रुपए आंकी जा रही है।

यह है स्थिति
950 बेड हैैं एसएन में
500 से 550 मरीज भर्ती रहते हैं
50 से 60 मरीज इमरजेंसी में रहते हैैं भर्ती
04 हजार लीटर ऑक्सीजन प्रति मिनट चार प्लांट से होती है प्रोड्यूस
80 से अधिक डी टाइप सिलेंडर की रोजना हो रही खपत

ऑक्सीजन प्लांट को ऑल्टरनेट ऑप्शन की तरह यूज किया जा रहा है। सिलेंडर को भी उपयोग कर रहे हैैं। यदि कोई परेशानी आए तो दूसरी व्यवस्था बैकअप के रूप में काम करेगी।
- डॉ। प्रशांत गुप्ता, प्रिंसिपल, एसएनएमसी