- दो शूटर और सुपारी देने वाला बीपी मुद्गल अभी फरार

- गिरफ्तारी को दबिश दे रही पुलिस, अभी तक नहीं आए हाथ

आगरा : प्रापर्टी डीलर की हत्या के पीछे करोड़ों की जमीन और वर्चस्व का विवाद ही निकला। पुलिस ने आरोपित चाचा- भतीजे को गिरफ्तार कर रविवार को हत्याकांड का पर्दाफाश कर दिया। हत्या की सुपारी देने वाले बीपी मुद्गल और दो शूटर अभी फरार हैं। पुलिस उनकी गिरफ्तारी को दबिश दे रही है।

सदर क्षेत्र में राजेश्वर मंदिर के पास रहने वाले प्रॉपर्टी डीलर हरेश पचौरी की 19 दिसंबर को दिनदहाड़े राजपुर चुंगी बाजार में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस मामले में हरेश के भतीजे राहुल पचौरी ने भानु प्रताप मुद्गल और विष्णु पचौरी व चार अज्ञात के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कराया था। एसएसपी बबलू कुमार ने पत्रकार वार्ता में बताया कि घटनास्थल से मिले सीसीटीवी फुटेज में शूटर गोली मारते दिखे। पुलिस ने 60 से अधिक सीसीटीवी कैमरों की रिकार्डिंग खंगाली। इससे पता चला कि बदमाशों ने हरेश के आने से पहले 10 मिनट खड़े होकर इंतजार किया था। वहां एक लाल रंग की एक्टिवा वाला भी उनके साथ था। इसी से पुलिस को सुराग मिल गया। लाल एक्टिवा वाले की पहचान कहरई निवासी सुनील उर्फ सोनू रावत के रूप में हो गई। वह हरेश के घर आता-जाता था और उनसे मामा कहता था। स्वजन ने उसके चाचा विष्णु प्रकाश रावत को मुकदमे में नामजद किया था। पुलिस ने विष्णु रावत और सोनू को गिरफ्तार कर पूछताछ की तो राज खुलते गए। सोनू ने बताया कि निबोहरा के चमरौली निवासी शूटर सचिन कंजा और अशोक उर्फ आकाश यादव ने हरेश की हत्या की थी। सचिन कंजा को एडवांस में पांच लाख रुपये दिए थे। भानु प्रताप मुद्गल और विष्णु प्रकाश रावत ने करोड़ों की जमीन कब्जाने के लिए हत्या की साजिश रची थी। सुपारी देने के समय यह भी तय हुआ था कि काम पूरा होने पर जो जमीन भानु प्रताप और विष्णु को मिलेगी, उसमें दस फीसद हिस्सेदारी सचिन कंजा की भी रहेगी। घटना वाले दिन दो नए फोन और दो नए सिमकार्ड का प्रयोग किया था। घटना के बाद उसने मोबाइल तोड़ दिया था। पुलिस ने सुनील की निशानदेही पर मोबाइल और उसकी स्कूटी बरामद कर ली।

सचिन कंजा ने ली थी दो की हत्या की सुपारी

शूटर सचिन कंजा ने हरेश के साथ सदर क्षेत्र के एक और प्रमुख व्यक्ति की सुपारी ली थी। उनकी हत्या से भी भानु प्रताप और विष्णु का लाभ होना था। पुलिस को पूछताछ में इसकी जानकारी मिलने के बाद उन्हें सतर्क कर दिया है। पुलिस का कहना है कि भानुप्रताप मुद्गल और सचिन कंजा की गिरफ्तारी के बाद कई और रहस्यों से पर्दा उठेगा।

पुलिस ने हत्या के पीछे बताए ये कारण

-गायत्री रिट्रीट की करीब बीस करोड़ रुपये की जमीन में विष्णु प्रकाश रावत ने अपने पार्टनरों के साथ जो समझौता किया था उसे हरेश पचौरी ने लागू नहीं होने दिया।

-14 साल पहले कहरई निवासी जानकी, विशंभर और प्रीतम से भानुप्रताप मुद्गल ने एक जमीन का सौदा किया था। हरेश पचौरी ने बीच में पड़कर उसे निरस्त करा दिया था। इस बात पर विवाद और मारपीट तक हुई थी। गोलियां चली थीं।

-विष्णु प्रकाश रावत ने बैंक कालोनी की 1.65 करोड़ की जमीन का एडवांस लेने के बाद सौदा लटका दिया था। हरेश पचौरी इस बात से खफा थे। दोनों के बीच विवाद हुआ था।

-शमसाबाद मार्ग और उसके आसपास किसी भी जमीन का सौदा करने जाएं तो हरेश पचौरी उस सौदे को बिगाड़ देते थे। वह हर सौदे में अपनी हिस्सेदारी चाहते थे। नियम कानून के जानकार थे। जमीन उनकी मर्जी के बिना खरीदी जाए तो कोई पेंच फंसा देते थे।

पर्दाफाश को टीम ने दिनरात की मेहनत

वारदात के पर्दाफाश को एसपी सिटी बोत्रे रोहन प्रमोद के नेतृत्व में सीओ सदर महेश कुमार और पुलिस की कई टीमों ने दिनरात काम किया। एसएसपी बबलू कुमार ने मानीट¨रग की। घटना की सीसीटीवी कैमरे से लाइव रिकार्डिंग मिलने के बाद पुलिस की जांच आगे बढ़ती गई। शुरुआत में स्वजन द्वारा कराई गई नामजदगी गलत मानी जा रही थी। मगर, जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ी, नामजदगी सही लगने लगी। एक आरोपित को हिरासत में लेकर पूछताछ की। इसके बाद कडि़यां जुड़ती गईं। पर्दाफाश में इंस्पेक्टर कमलेश सिंह, इंस्पेक्टर जितेंद्र सिंह, एसआई मनोज कुमार, अरुण वालियान, राजकुमार गिरी, अनुज कुमार, आदेश त्रिपाठी, प्रशांत कुमार, करनवीर सिंह आदि की अहम भूमिका रही।