आगरा: ट्रेजरी अफसर बनकर पुलिस पेंशनर्स को ठगी का शिकार बनाने वाले साइबर शातिरों के बारे में बैंक से सुराग लगाया जा रहा है। पुलिस को आशंका है कि साइबर शातिरों के पास कुछ डाटा हैकर्स से आया है। यह डाटा सिर्फ बैंक या ट्रेजरी में होता है। इसमें कहां से सेंध लगाई गई इसकी भी जानकारी की जा रही है। साइबर शातिरों ने पिछले दिनों ट्रेजरी अफसर बनकर शाहगंज क्षेत्र में रहने वाले सेवानिवृत्त एचसीपी से 96 हजार और अग्निशमन विभाग के सेवानिवृत्त दारोगा से 26 लाख रुपये की ठगी कर ली थी। जांच कर रहे रेंज साइबर थाना प्रभारी शैलेष कुमार सिंह का कहना है कि सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों के मोबाइल नंबर, खाता संख्या और किस मद में कितना पैसा आया इस बात की जानकारी बैंक और ट्रेजरी में ही होती है। साइबर अपराधी सेवानिवृत्त कर्मचारियों को काल करने के बाद फोन पर ये जानकारी देकर ही जाल में फंसाते हैं। इसके बाद सेवानिवृत्त पुलिसकर्मी पिन और ओटीपी भी बता देते हैं। आशंका है कि साइबर अपराधी हैकरों से यह डाटा ले रहे हैं। बैंकों और ट्रेजरी का डाटा केंद्रीयकृत सिस्टम में होता है। दिल्ली में सक्रिय कुछ हैकर्स साइबर अपराधियों को बैंक का डाटा उपलब्ध कराते हैं। ऐसे में टीम डाटा उपलब्ध कराने वाले हैकर्स के बारे में भी पता कर रही है। उधर, जिन बैंकों में रुपये गए हैं, उनके खातों का डाटा नहीं मिल सका है। बैंक के अधिकारियों को मेल किया गया है। उनसे जानकारी नहीं मिली है।