- एयर पॉल्यूशन से गंभीर रोगियों की हालत बिगड़ सकती हैं
- कोविड पेशेंट्स के लिए बन सकती है कोमॉíबड सिचुएशन
आगरा। कोविड-19 का संक्रमण अब भी बरकरार है और अब तक इसका कोई स्थाई उपचार नहीं मिला है। मौसम अब बदलने लगा है। ताजनगरी में इस मौसम में हवा विषैली हो जाती है। इसका असर अब दिखने भी लगा है। लगातार शहर की हवा एक्यूआई में पूअर लेवल में दर्ज हो रही है। अब तक 140 कोविड पेशेंट्स की डेथ हो चुकी है। इसमें 80 परसेंट पेशेंट्स की डेथ को-मॉíबड सिचुएशन यानि अन्य बीमारियों जैसे डायबिटीज, अस्थमा, निमोनिया आदि होने के साथ हुई थी। बढ़ते पॉल्यूशन के कारण इसमें इजाफा हो सकता है।
बीमारियों को गंभीर करेगा पॉल्यूशन
कोरोनावायरस और एयर पॉल्यूशन का सीधा कोई संबंध नहीं है। लेकिन, एयर पॉल्यूशन अन्य बीमारियों को गंभीर कर सकता है। इसका सबसे बुरा असर सांस रोगी, दमा रोगी और फे फड़ों के रोगियों पर पड़ता है। सरोजिनी नायडू मेडिकल कॉलेज के डॉ। अजीत सिंह चाहर बताते हैं कि पॉल्यूशन से हवा में विषैले कण शामिल हो जाते हैं। इसके कारण फेफड़े प्रभावित होते हैं। वहीं, कोरोना वायरस में भी श्वसन तंत्र प्रभावित होता है। कोरोना वायरस का संक्रमण नाक और मुंह के जरिए फेफड़ों तक पहुंचता है। फेंफड़ों को खराब करना शुरू कर देता है। एयर पॉल्यूशन के कारण अन्य श्वसन संबंधी एलर्जी होने लगती हैं। एयर पॉल्यूशन डायबिटीज, हाइपरटेंशन और हार्ट के पेशेंट्स को भी प्रभावित करता है। उनकी बीमारी पॉल्यूशन के चलते गंभीर हो सकती है। इस स्थिति में कोरोना होने पर को-मॉíबडिटी के चांस बढ़ जाते हैं। यानि कोरोना के साथ अन्य बीमारियां हावी हो सकती हैं। पेशेंट को रिकवर करना मुश्किल हो सकता है।
बढ़ने लगा है एयर पॉल्यूशन
आगरा में लॉकडाउन के समय तो हवा काफी स्वच्छ हो गई थी। लेकिन, जैसे ही लॉकडाउन खुला तो शहर की हवा दूषित होने लगी। आगरा की एयर क्वॉलिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 50-60 से अब 150-200 हो गई है। पिछले कुछ दिनों में तो आगरा प्रदेश में एयर पॉल्यूशन के मामले में नंबर वन रहा है। हर साल सíदयां आते ही आगरा की हवा दूषित होने लगती है। लेकिन इस बार इसके परिणाम घातक साबित हो सकते हैं।
गुरुवार को एक्यूआई
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ऐसे करें बचाव
- घर से बाहर निकलते वक्त हमेशा मास्क का उपयोग करें।
- आंखों पर चश्मा लगाएं।
- बच्चों व बुजुर्गो को धूप निकलने के बाद ही बाहर घूमने भेजें।
- बार-बार हाथों को साफ करते रहें।
ठंड के दिनों में प्रदूषण की वजह से एलर्जी, अस्थमा की शिकायतें बढ़ जाती हैं। फेफड़ों की बीमारी से जूझ रहे पेशेंट्स को तकलीफें भी होती हैं। ऐसे में पेशेंट्स को कोविड-19 का संक्रमण हो जाएगा, तो ये घातक साबित हो सकता है। अब तक कोविड के पेशेंट्स की ज्यादातर मौत को-मॉíबडिटी के कारण हुई हैं। पॉल्यूशन बढ़ने से इसमें इजाफा हो सकता है।
-डॉ। अजीत सिंह चाहर, एसएनएमसी
बुधवार को हवा में प्रदूषक तत्व
पीएम 2.5 285
एनओ2 79
सीओ2 73
ओजोन 86
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बीते दिनों आगरा में एक्यूआई
गुरुवार 285
बुधवार 264
मंगलवार 252
सोमवार 272
रविवार 287
शनिवार 282
शुक्रवार 253
गुरुवार 237
ये बीमारियां बनी को-मॉíबड सिचुएशन
140 संक्रमितों की अब तक मौत हो चुकी है
32 परसेंट डायबिटिक पेशेंट्स की हुई है मौत
28 परसेंट हाई ब्लड प्रेशर के पेशेंट्स की हुई है मौत
10 परसेंट निमोनिया के पेशेंट्स की हुई है मौत
10 परसेंट हार्ट डिजीज के पेशेंट्स की हुई है मौत
10 परसेंट सांस रोगियों की हुई है मौत
03 परसेंट थॉयरायड के पेशेंट्स की हुई है मौत
07 परसेंट लीवर के पेशेंट्स की हुई है मौत