- पंजाब और खुजराहो की तरह आगरा में भी शुरू होगा प्रयोग

- पर्यावरण से लेकर मिलेगा लोगों को रोजगार

आगरा। गौ-शालाओं में अब आपको गोबर से गमले जल्द ही बनते दिखाई दे सकते हैं। इसके साथ ही हवन सामग्री भी। जिला प्रशासन यह कदम पर्यावरण संरक्षण और अधिक से अधिक लोगों को रोजगार से जोड़ने के उद्देश्य से पहले करने जा रहा है। मुख्य विकास अधिकारी रविंद्र कुमार मांदड़ को जाजंधर की बुलंदपुर गौ शाला में इस प्रकार से प्रयोग किए जा रहे हैं। उसी के आधार पर यहां पर भी इसका प्रयोग किए जाने का आइडिया आया है। जिसके लिए अधिक से अधिक लोगों का प्रेरित किया जाएगा।

करीब दो लाख है गौ वंश

जनपद में करीब दो लाख गौ वंश हैं। जिनके गोवर को ठिकाने लगाना बड़ी चुनौती है। जब यह प्रोजेक्ट शुरू होगा तो निश्चित तौर पर इस समस्या का समाधान भी होगा। आगरा में छोटी बड़ी करीब आधा दर्जन गौ शाला हैं, जिनमें करीब एक हजार गौ वंश रहता है। लेकिन प्रयोग के तौर पर किसी एक गौ शाला में इस प्रोजेक्ट का प्रयोग किया जाएगा। इसके बाद अन्य गौशालाओं में किया जाएगा।

बनने जा रहे हैं बडे़ गौशाला

शासन से गौशाला निर्माण के लिए बजट स्वीकृत हो गया है। खेरागढ़ तहसील में बडे़ स्तर पर गौशाला का निर्माण शुरू होने जा रहा है। शहरी क्षेत्र में भी गौशाला बनने जा रहे हैं। इसके लिए वीडियो कांफ्रेसिंग में भी जिलाधिकारी से जानकारी मांगी गई है।

गोबर में होते हैं पर्यावरण बचाने के तत्व

गाय के गोबर में पर्यावरण को बचाने वाले मौजूद तत्वों के चलते इनसे बनने वाले गमलों व हवन सामग्री को पंजाब में लोग हाथों हाथ खरीद रहे हैं। उसी उम्मीद के साथ यह प्रयोग यहां पर भी जल्द शुरू होने जा रहा है। देहात क्षेत्रों में शासन स्तर से शुरू होने जा रही गौ शालाओं में इसका प्रयोग किया जा सकता है। इसके साथ ही अन्य गौ शालाओं में भी प्रयोग किए जाने के लिए संचालकों को प्रेरित किया जाएगा।

जबलपुर में तैयार हो रही है मशीन

जबलपुर की कंपनी में इसे बनाने की मशीन तैयार की जा रही है। इसकी कीमत करीब 80 हजार रुपये है। वहीं नर्सरी में पौधे लगाए जाने के लिए पॉलीथिन के बजाय गोबर से तैयार गमलों में पौधे लगाने को लेकर नर्सरी वालों को जागरूक किया जा रहा है।