- डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन के लिए घरों में लगाए गए थे क्यूआर कोड

- मौजूदा समय में नहीं हो पा रहा उपयोग, निगम ने मॉनीटरिंग पर खर्च किए 18 करोड़

आगरा। डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन के लिए घरों में लगाए गए क्यूआर कोड शोपीस बनकर रह गए हैं। इनके लिए खरीदे गए 305 आरएफआईडी (रेडियो फ्रीक्वेंसी आईडेंटिफिकेशन डिवाइस) स्कैनर कबाड़ बन चुके हैं। अब इनको स्मार्ट सिटी को वापस कर दिया गया है। मौजूदा समय में डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन व्यवस्था ठप पड़ी हुई है। नगर निगम ने इस व्यवस्था की मॉनीटरिंग के लिए 18 करोड़ रुपये खर्च किए थे।

अगस्त में शुरू हुई थी व्यवस्था

अगस्त में शहर के 100 वार्डो में से 5 वार्डो में डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन व्यवस्था शुरू की गई थी। इस बारे में स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्ट मैनेजर आनंद मेनन ने बताया कि जब क्यूआर कोड से आरएफआईडी स्कैनर को टच किया गया, तो उनमें कमी होने की जानकारी सामने आई। तब पता लगा कि उनका सॉफ्टवेयर काम नहीं कर रहा है। सभी स्कैनर को वापस ले लिया गया। कूड़े की निगरानी के लिए दिए 305 आरएफआईडी स्कैनर एक महीने काम कर खराब हो गए। बता दें कि इसकी मॉनीटरिंग के लिए 440 डस्टबिन में चिप लगाए गए थे, 144 गाडि़यों में जीपीएस सिस्टम लगाया गया था।

खुलें में फेंका जा रहा कचरा

अभी भी खुले में कचरा फेंका जा रहा है। यहां तक कि डस्टबिन होने के बाद भी कचरे को डस्टबिन के बाहर फेंक दिया जाता है। अभी पिछले दिनों नगर आयुक्त ने औचक निरीक्षण किया था। उसमें ये बात सामने आयी थी। इस पर नगर आयुक्त ने सेनेटरी इंस्पेक्टर्स को चेतावनी भी दी थी। शहर में जीपीएस सर्वे के अनुसार 3.57 घरों में से 1.66 लाख घरों से कूड़ा कलेक्शन का दावा नगर निगम द्वारा किया गया था। शहर में आज भी तमाम ऐसे एरियाज है, जहां से कूड़ा कलेक्शन नहीं हो पा रहा है।

क्यूआर स्कैन कोड बने सफेद हाथी

कूड़े की मॉनीटरिंग के लिए सेनेटरी इंस्पेक्टरों को रिस्ट वॉच दी गई। इसके लिए एक लाख से ज्यादा घरों में क्यूआर स्कैन कोड लगाए गए। जनवरी से स्कैनिंग का काम बंद है। हालांकि नगर निगम के अफसरों का दावा है कि अभी तक 3 लाख घरों में क्यूआर कोड लगाए जा चुके है।

करोड़ों का कंट्रोल रूम भी बेअसर

करोड़ों की लागत से इंटीग्रेटेड कंट्रोल रूम तैयार किया गया। दावा किया गया था कि इससे सॉलिड वेस्ट की निगरानी हो सकेगी। लेकिन, ये अब तक नहीं हो सका। जबकि शहर में 720 प्वॉइंट पर कैमरे लगाए जा चुके हैं।

कंपनियों का गोलमाल आया सामने

बता दें, डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन के लिए शहर के एक लाख से ज्यादा घरों में क्यूआर कोड लगाए जा चुके थे। इसके बाद नगर निगम की ओर से 305 आरएफआईडी स्कैनर खरीदे गए। ये प्रोजेक्ट परवान चढ़ता उससे पहले ही कूड़ा कलेक्शन कंपनियों का गोलमाल सामने आ गया। कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई की गई। एफआईआर दर्ज कराकर इन्हें ब्लैक लिस्टेड कर दिया गया। तब से लेकर ये व्यवस्था ठप पड़ी हुई है।

घर के दरवाजे पर क्यूआर कोड तो लगा दिए गए हैं, लेकिन इनसे क्या होगा। कोई आता ही नहीं। न कोई कूड़ा लेने आता है, न कोई इनको स्कैन करने आता है। योजनाओं के नाम पर पैसा को ठिकाने लगाया जा रहा है।

नौशाद, राजपुर चुंगी

शहर में कई स्थानों पर दरवाजे के बाहर क्यूआर कोड लगाए गए हैं, लेकिन डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन नहीं हो रहा है। केवल कागजी दावे हैं। इस नाम पर बजट मिल जाएगा। उसका बंदरबांट हो जाएगा। कोई देखने वाला नहीं है।

जावेद, केके नगर

हमारे इलाके में कभी डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन करने वाली गाड़ी नहीं आई। क्यूआर कोड लगाने से क्या हुआ। नगर निगम में कंट्रोल रूम से क्या देखा जा रहा है। कहते थे कूड़ा उठा है कि नहीं पता लग जाएगा। सब झूठे वादे हैं।

भंवर सिंह

सभी स्कैनर में सॉफ्वेयर अपडेट किया जाएगा। वे पूरा डाटा स्कैन नहीं कर पा रहे थे। उन सभी को सही कर वापस नगर निगम को सौंपा जाएगा।

आनंद मेनन, प्रोजेक्ट मैनेजर, स्मार्ट सिटी