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-शहर में चालीस फीसदी स्कूलों की जर्जर बिल्डिंग

-बारिश के दिनों में खुले में बैठने को मजबूर स्टूडेंट्स

आगरा। सरकार द्वारा नई शिक्षा नीति को बढ़ावा देने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। पढ़ाई में पारदर्शिता लाने के लिए मानव संपदा पोर्टल पर क्लास में पढ़ाई के कार्य को डेली अपलोड किया जाता है, जिसकी जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा समीक्षा की जाती है। इधर शहर और देहात के चालीस फीसदी जर्जर स्कूलों में नौनिहाल की जान पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। ऐसे में सुरक्षा के लिहाज से बच्चे खुले में या स्कूल के बरामदे में पढ़ने को मजबूर हैं।

कंप्लेन की नहीं की जा रही सुनवाई

शहर में 165 प्राथमिक और जूनियर हाईस्कूल हैं, जिसमें से चालीस फीसदी ऐसे स्कूल हैं, जिसमें बिल्डिंग जर्जर हो चुकी है। खस्ताहाल क्लास रूम से प्लास्टर उखड़ रहा है, जिसके नीचे बैठकर बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं। ऐसा ही एक नजारा सिकंदरा के प्राइमरी बालक विद्यालय में देखने को मिला, टीचर डॉ। प्रीती सक्सेना बताती हैं कि स्कूल में चार क्लास रूम बने हैं, सभी कमरों की हालत खराब है, लगातार झड़ रहे प्लास्टर से कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। ऐसे में शिक्षिका खुद को सुरक्षित क रने के साथ बच्चों की भी सुरक्षा को लेकर दहशत में रहती हैं, उन्हें अंदेशा रहता है कि कहीं प्लास्टर के साथ लेंटर गिरने बड़ा हादसा ना हो जाए।

स्कूल में दहशत के साथ पढ़ाई

सिर की मंडी प्राथमिक विद्यालय में स्कूल परिसर में एक भी कमरा बैठने लायक नहीं हैं, दहशत के चलते कमरों को लॉक कर दिया गया, बरामदे में क्लास शुरू कर दी। टीचर्स का कहना है कि खतरे के चलते सुरक्षा के लिहाज से बच्चों को खूले में बैठाया जा रहा है। जहां बैठने के लिए कोई बैंच या कुर्सी नहीं हैं, ऐसे में मजबूरन बच्चों को खुले में बैठकर पढ़ाया जा रहा है। बारिश के दिनों में बैठने को लेकर समस्या बनी रहती है।

मंदिर में लगती है यहां क्लास

नारायणी देवी बिल्डिंग में वर्षो से चल रहे स्कूल को हाल ही में नगला अजीता में शिफ्ट किया गया है। जहां कोई बिल्डिंग नहीं है, मंदिर परिसर में ही स्कूल संचालित किया जाता है, शिक्षिका कीर्ती दुबे का कहना है कि पिछले दो दशक से प्राथमिक और उच्चप्राथमिक स्कूल दस वाई ग्यारह की कोठरी में संचालित होते थे, जिसमें केवल एमडीएम से संबंधित सामान ही रखा जा सकता था, क्लास खुले में संचालित होती थीं।

बजट का अभाव

जिला सचिव यूटा राजीव वर्मा का क हना है कि जर्जर स्कूलों की लिस्ट तैयार कर तत्कालीन जिलाधिकारी को सौंपी गई थी, उनके द्वारा स्कूल बिल्डिंग में मरम्मत कार्य कराने का आश्वासन दिया गया था, लेकिन अभी तक कोई ठोस क दम नहीं उठाए गए हैं।

जर्जर भवन में बैठने को मजबूर नौनिहाल

शहर में प्राथमिक स्कूलों के भवन पूरी तरह से जर्जर हो चुके हैं। हालात यह है कि भवन कभी भी जमींदोज हो सकता है, लेकिन शिक्षा विभाग की लापरवाही से आज भी छात्र इसी जर्जर भवन के नीचे बैठकर पढ़ने के लिए मजबूर है। इलाके के जनप्रतिनिधि, शिक्षक और बच्चे खतरें की आशंका को देखते हुए नया भवन बनवाने के लिए गुहार कर चुके हैं, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं होने से डर का माहौल बना हुआ है।

बारिश के समय बढ़ जाती हैं मुश्किलें

स्कूल में पढ़ाई का माहौल बेहतर होने के कारण नियमित रूप से छात्र विद्यालय आते हैं, लेकिन बच्चों को हमेशा कोई हादसा होने का डर सताता रहता है। स्कूल में अध्यनरत बच्चों का कहना है कि अगर उनके लिए दूसरे भवन की व्यवस्था हो जाती तो अच्छा होता, क्योंकि बरसात के दिनों में इस स्कूल में बैठकर पढ़ाई करना लगभग न के बराबर है। बरसात में पूरी स्कूल की छत से पानी टपकता रहता है।

निर्माण का दे रहे आश्वासन

स्कूल भवन जर्जर होने की खबर से अधिकारी जानकर भी अनजान बने हैं। बिल्डिंग को मरम्मत कराने में बजट के अभाव का हवाला दे रहे हैं। वहीं सामुदायिक भवन में बच्चों को पढ़ाने के निर्देश दिए हैं साथ ही उन्होंने जल्द ही स्कूल के लिए नए भवन का निर्माण करवाने का आश्वासन दिया है। उन्होंने जर्जर भवन को पूरी तरह गिरा देने के निर्देश दिए हैं, ताकि भविष्य में किसी प्रकार की घटना घटित नहीं हो।

वर्जन

शहर में 167 स्कूल हैं, जिसमें से चालीस फीसदी स्कूल ऐसे हैं, जहां बिल्डिंग जर्जर है, बच्चे और टीचर्स बारिश के दिनों में खुले में बैठने को मजबूर हैं। अधिकारी जानकर भी अनजान बने हैं।

राजीव वर्मा, सचिव यूटा

वर्जन

स्कूल के सभी भवन जर्जर हैं, मजबूरन बरसात के दिनों में बच्चों को बरामदे में बैठाया जाता है, जहां से प्लास्टर झड़ रहा है।

डॉ। प्रीती सक्सेना, टीचर

वर्जन

खुले में बच्चों को बैठाने से बारिश के दिनों में खतरा रहता है, तीन दिन पूर्व सांप के निकलने से बच्चे और उनके अभिभावक दहशत में हैं।

सविता शिवहरे, टीचर

वर्जन

जर्जर स्कूलों को लेकर लिस्ट तैयार की गई है। एक ही परिसर में बने प्राथमिक और उच्चाप्राथमिक स्कूलों को मर्ज किया गया है। समस्या का निस्तारण कराया जाएगा।

ब्रजराज सिंह, प्रभारी बीएसए

-शहर में स्कूलों की संख्या

165

-स्कूल मर्ज होने के बाद संख्या

130

-देहात में स्कूलों की संख्या

2957

- स्कूलों को किया गया मर्ज

400