आगरा (ब्यूरो)। कोरोना संक्रमण आने के बाद से ताजमहल पर ऑफलाइन टिकट खिड़कियों को बंद कर दिया गया है। टूरिस्ट्स को ताज देखने के लिए ऑनलाइन टिकट ही बुक करने की सुविधा है। ताज के दोनों गेटों के पास क्यूआर कोड स्कैनर लगे हुए हैैं, यहां पर टूरिस्ट इन्हें मोबाइल से स्कैन करके टिकट बुक कर सकते हैैं। अब टूरिस्ट्स की संख्या बढऩे से ये सुविधा फेल साबित हो रही है। यहां पर टूरिस्ट्स की टिकट बुक नहीं हो पा रही है।

इंटरनेट की परेशानी
ताजमहल के आसपास इंटरनेट की दिक्कत है। ताजमहल नो इंटरनेट जोन में आता है। वहां पर नेट कनेक्टिविटी बेहद कम है, जिसका खामियाजा यहां पर आने वाले टूरिस्ट्स को टिकट बुक करने के दौरान उठाना पड़ता है। वे यहां पर क्यूआर कोड स्कैन करके टिकट नहीं कर पा रहे हैैं।

लोकल एजेंट हावी
टूरिस्ट्स टिकट नहीं कर पाते। वे घंटों टिकट बुक करते हुए परेशान हो जाते हैैं। ऐेसे में यहां लोकल एजेंट बनकर घूम रहे ब्रोकर्स टूरिस्ट्स की इस परेशानी का फायदा उठाते हैं। वह पहले से बुक की हुई टिकट उन्हें महंगे दामों पर बेच देते हैं। कोरोना आने के बाद ये धंधा काफी सक्रिय हो गया है। टूरिस्ट्स को भी ऐसे में मजबूरी में महंगी टिकट खरीदनी पड़ती है।

कट गए अकाउंट से पैसे नहीं हुई टिकट बुक
ओडिशा से घूमने आए एक टूरिस्ट्स ने अपने पांच सदस्यों की टिकट वहां लगे क्यूआर स्कैन कोड के माध्यम से की, लेकिन बीच में ही उसका ट्रांजेक्शन फेल हो गया। अकाउंट से उनके पैसे कट गए ,लेकिन टिकट बुक नहीं हुई। इसके साथ में ही झांसी से अपने परिवार के साथ घूमने आए टूरिस्ट्स के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। उन्हें टिकट बुक करना आता ही नहीं था और उन्हें टिकट बुक करने की प्रक्रिया के बारे में बताने के लिए वहां कोई भी एएसआई का कर्मचारी मौजूद नहीं था।

पेचीदा है सिस्टम
ताजमहल का ऑनलाइन टिकट बुक करने का सिस्टम बेहद पेचीदा है। सबसे पहले आपको वहां लगे क्यूआर स्कैन कोड को अपने पेटीएम से ही स्कैन करना होगा। पेटीएम के सिवाय वह कोड किसी और ऑनलाइन गेट वे से भी स्कैन नहीं होता और उसके बाद में बेहद ही पेचीदा प्रोसेस शुरू होता है। गांव से घूमने आने वाले और कम शिक्षित पर्यटक इस प्रोसेस में फंस कर रह जाते हैं। मजबूरन उन्हें वहां पहले से मौजूद ब्रोकर का सहारा लेना पड़ता है। टिकट तय शुल्क से ज्यादा का भुगतान करना पड़ता है।