आगरा(ब्यूरो)। जी हां ऐसे ही एक महीने में चार मामले सामने आए हैं। जिनमें चार नाबालिग ने अपना घर सिर्फ इसलिए छोड़ दिया क्योंकि उनके परिजनों ने उन्हें मनमानी नहीं करने दी।

पिता की डांट से हुई नाराज
नाबालिग ने पिता की डांट से नाराज होकर घर छोड़ दिया। बेटी के अचानक गायब होने पर थाना हरीपर्वत में गुमशुदगी का मुकदमा दर्ज कराया गया है। स्मार्ट फोन पर अक्सर व्यस्त रहने वाली किशोरी को पिता ने हिदायत दी थी, नाराज किशोरी ने घर छोड़ पिता से रिलेशन तोड़ लिया।

प्राइवेट स्कूल में पढ़ती है नाबालिग
शहर के खंदारी स्थित एक प्राइवेट स्कूल में पढऩे वाली किशोरी के पिता ने थाने में शिकायत की है कि उनकी बेटी कोचिंग से घर नहीं लौटी है। 22 मई को बेटी कोचिंग गई थी, इससे पहले उसकी पिता से स्मार्ट फोन इस्तेमाल करने को लेकर बहस हुई थी, तब माता-पिता को इस बात का अंदाजा नहीं थी कि वो इतनी छोटी बात पर घर छोड़ सकती है।

स्मार्ट फोन की लत बना रही हिंसक
आरबीएस कॉलेज की असिस्टेंड प्रोफेसर डॉ। पूनम तिवारी ने बताया कि लॉकडाउन से शुरू हुई मोबाइल फोन की लत बच्चों को मनोरोगी बना रही है। बच्चे स्मार्ट फोन को लेकर काफी सीरियस हैं। ऐसे में अगर पेरेंट्स सख्ती करते हैं तो स्वतंत्रता के लिए वे पेरेंट्स से बहस करते हैं, वहीं अधिक सख्ती पर घर छोड़ देते हैं। ऐसे में बच्चों के साथ बातचीत कर उनको इसके नुकसान और फायदे के बारे में बताना चाहिए वजह डांट फटकार के।

रील्स बनाने में रहती थी बिजी
लापता किशोरी के परिजनों ने बताया कि बेटी अक्सर फोन में रील्स बनाकर बिजी रहती थी। इसका कई बार विरोध किया गया लेकिन इसके बाद भी बेटी ने फोन का इस्तेमाल नहीं छोड़ा, बेटी की सहेलियों से पता चला कि वो इंस्टा पर रील्स बनाती है, इसके बाद बेटी को सोमवार सुबह समझाने का प्रयास किया गया, लेकिन कोचिंग जाने की कहकर घर से निकली, फिर वापस नहीं लौटी, उसके दोस्त और रिश्तेदारों से भी ट्राय किया गया।

जरुरी है किशोर और बच्चों की कांउसिलिंग
वर्तमान समय में बच्चे और किशोरों के व्यवहार में तेजी से परिवर्तन आ रहा है। स्मार्ट फोन की लत से वे अपने परिजनों पर भी आक्रामक हो रहे हैं। ऐसे में मंडलीय मनोवैज्ञानिक केन्द्र की जरुरत और बढ़ जाती है, रोजाना यहां बच्चे और किशोर काउंसलिंग को आते हैं। लेकिन महज खाना पूर्ति की जाती है। वहां से मिली काउंसलिंग में कुछ लोग संतुष्टी नहीं मिली, इसके बाद उनको प्राइवेट काउंसलिंग करानी पड़ी।

बहुत उपयोगी हो सकती है काउंसिलिंग
शाहगंज क्षेत्र के पंचकुइयां में मंडलीय मनोज्ञानिक केन्द्र है। ये बहुत उपयोगी साबित हो सकता है। लेकिन वर्तमान में इस केन्द्र में असुविधाओं का अभाव है। स्टाफ को बच्चों के बुद्धि परीक्षण में असुविधा हो रही है। न तो उपकरण, संसाधन हैं, न पीने को पानी है और न चपरासी। न ऑनलाइन कार्य करने के लिए कंप्यूटर, लैपटॉप हैं। केंद्र के प्रभारी को ही सबकुछ करना पड़ता है। असुविधाओं के अभाव में इसी मार्गदर्शन के बल पर छात्रों के पढ़ाई के प्रदर्शन में सुधार और तनाव मुक्त की काउंसलिंग की जाती है।

पुराने तरीके से बुद्धि परीक्षण
मंडलीय मनोवैज्ञानिक केंद्र पर मथुरा, मैनपुरी, आगरा, फिरोजाबाद के बच्चे काउंसिलिंग के लिए आते हैं। औसतन दो से तीन स्टूडेंट्स या युवा रोजाना आते हैं। यहां पढ़ाई में कमजोर और अन्य बच्चों की काउंसिलिंग की जाती है, उनकी बुद्धि का परीक्षण भी किया जाता है। छात्रों और उनके पेरेंट्स को उचित सलाह दी जाती है। मनोवैज्ञानिक तरीके से मार्गदर्शन में बुद्धि परीक्षण, वीपीटी 30, वीपीटी 40, आकार योग्यता परीक्षण के उपकरण पुराने हो चुके हैं।

वन मंथ में चार किशोरियों ने छोड़ा घर
4 मई
-थाना सदर क्षेत्र में रहने वाली किशोरी ने पिता की डांट पर घर छोड़ दिया।

11 मई
-एत्माद्दौला क्षेत्र के इस्लामनगर से घर से किशोरी लापता

16 मई
थाना सिकंदरा के गांव अरसेना से आठवीं की छात्रा लापता

22 मई
-थाना हरीपर्वत क्षेत्र से पिता की डांट से किशोरी लापता

केन्द्र पर काउंसलिंग के लिए रोजाना बच्चे और युवा आते हैं, वर्तमान में स्कूल बंद होने से संख्या कम है। उपकरण नहीं होने पर पुराने तरीके से ही उनकी काउंसलिंग की जाती है।
संदीप कुमार, मंडलीय मनोवैज्ञानिक

किशोर और बच्चों के व्यवहार में तेजी से परिवर्तन आ रहा है, इसके जिम्मेदार पेरेंट्स भी है, वे खुद को बच्चों से इतना दूर कर लेते हैं कि वे अपना अच्छा और बुरा नहीं समझ पाते, घर छोडऩे जैसे कदम उठाते हैं।
रचना सिंह, मनोवैज्ञानिक

किशोरी के गायब होने पर परिजनों की तहरीर पर थाना हरीपर्वत में मुकदमा दर्ज कराया गया है, पुलिस मामले की जांच कर उसकी तलाश कर रही है।
मयंक तिवारी, एसीपी